बुजुर्गों में तनाव से मैमाेरी लाॅस का खतरा

देशमें पांच में से एक बुजुर्ग किसी किसी मानसिक रोग का सामना कर रहा है। इसका कारण है लगातार मानसिक तनाव। इन बुजुर्गों को अपनी बीमारी के बारे में पता ही नहीं चलता। इसलिए जरूरी है कि बुजुर्गों में होने वाले किसी भी मानसिक रोग की पहचान जल्द कर ली जाए। मानसिक विकारों का इलाज होने पर बुजुर्ग काम करने की क्षमता खोने लगते हंै। लेकिन अगर इस प्राॅब्लम का पता लग जाए तो इलाज संभव है। ये बात मैक्स सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल (एमएसएसएच) के डिपार्टमेंट ऑफ साइकेट्री के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सचिन कौशिक ने रविवार को बुजुर्गों के लिए हुए सेमिनार में कही। बढ़ती उम्र में हताशा, एक बढ़ती महामारी विषय पर ये सेमिनार हुआ।

डॉ. सचिन कौशिक बताते हैं कि उम्र के इस पड़ाव पर आकर माइंड फुलनेस बेस्ड तनाव कम करने के लिए माइंड फुल वॉकिंग और दूसरे ध्यान भी बुजुर्गों के लक्षण शामिल हैं। इन तरीकों से मानसिक रोगों को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि योगा और सीनियर सिटीजंस क्लब या सामाजिक संबंधों को बढ़ाकर मानसिक विकारों को दूर किया जा सकता है। इससे भी अगर राहत मिले तो बुजुर्गों को डॉक्टर से कंस्टेशन लेनी चाहिए।

डाॅ. सचिन कौशिक कहते हैं कि बुढ़ापे में बुजुर्गों की बीमारी के हर लक्षण की तरह मानसिक रोगों के लक्षण पहचानना भी जरूरी है। बुजुर्गों में उदासी, आसानी से थकान, पहले वाली गतिविधियों में बुढ़ापे में मन लगाना जैसे लक्षण देखने जरूरी है। इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बुजुर्गों में खास तरह की मानसिक समस्याएं होती हैं। ऐसे बुजुर्ग अक्सर छिपी हुई हताशाओं से पीड़ित होने के साथ ही कई तरह से सिरदर्द, शरीर में दर्द, याददाश्त खराब होने जैसे गेरिएट्रिक डिस्आर्डर आते हैं।

बुजुर्गों में बढ़े पोस्‍ट कोविड लक्षण, एसएनएमएमसीएच के वृद्ध वार्ड में बढ़ेंगी सुविधाएं, अटल क्लिनिक में भी विशेष ओपीडी

कोरोना संक्रमण काल के बाद बुजुर्गों में भी पोस्ट कोविड लक्षण काफी बढ़े हैं। सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया है। इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकार ने राष्ट्रीय बुजुर्ग स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम को लेकर धनबाद में भी विशेष सुविधाएं देने का निर्देश दिया है।

जागरण संवाददाता, धनबाद: कोरोना संक्रमण काल के बाद बुजुर्गों में भी पोस्ट कोविड लक्षण काफी बढ़े हैं। सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया है। इसलिए तो अब वृद्धजनों के बेहतर स्वास्थ्‍य की निगरानी विभाग शुरू कर रहा है। इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकार ने राष्ट्रीय बुजुर्ग स्वास्थ्य बुजुर्गों के लक्षण देखभाल कार्यक्रम को लेकर धनबाद में भी विशेष सुविधाएं देने का निर्देश दिया है। उपायुक्त संदीप सिंह ने इस संबंध में जिले के सिविल सर्जन डॉक्‍टर श्‍याम किशोर कांत को सरकारी अस्पतालों में वृद्ध जनों के लिए सुविधाएं बढ़ाने को कहा है। वृद्ध जनों के लिए अस्पतालों में अलग से ओपीडी सेवा देने को कहा गया है। शहीद निर्मल महतो मेमोरियल कॉलेज एवं अस्पताल के वृद्ध वार्ड में भी बुजुर्गों के लक्षण सुविधाएं बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।

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अटल मोहल्ला क्लिनिक में अलग से ओपीडी सेवा देने का निर्देश: अटल मोहल्ला क्लिनिक में बुजुर्ग जनों के लिए अलग से ओपीडी सेवा देने का निर्देश दिया गया है। धनबाद में विभिन्न जगहों पर फिलहाल 12 अटल क्लिनिक चलाई जा रही हैं। सिविल सर्जन ने बताया कि प्रत्येक महीने के तीसरे शनिवार को अटल मोहल्ला क्लिनिक में वृद्ध जनों के लिए विशेष सेवा की शुरुआत की जा रही है। इसके तहत वृद्धजनों की जांच के अलावा दवा और इलाज की भी व्यवस्था होगी।

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कोरोना वायरस संक्रमण काल से समुदाय हुआ है प्रभावित: सिविल सर्जन ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण काल के दौरान पूरा समुदाय प्रभावित हुआ है। वृद्ध जनों पर सबसे ज्यादा खतरा था। यही वजह थी कि इनकी मौत भी ज्यादा हुई। ऐसे में अब इन्हें विभिन्न स्वास्थ सुविधाओं से जोड़ने की कवायद हो रही है। फिलहाल धनबाद में सामुदायिक भवन भूली, उत्क्रमित विद्यालय सिंदरी बस्ती, अंचल कार्यालय झरिया, सामुदायिक भवन कतरास, वार्ड विकास केंद्र साउथ बलिहारी, सामुदायिक भवन लोयाबाद स्टेशन, सामुदायिक भवन डोमपाड़ा, सामुदायिक भवन चांदमारी विक्ट्री, सामुदायिक भवन लोअर चौथाईकुल्ही बाउरीपट्टी, सामुदायिक भवन पाथरडीह, सामुदायिक भवन रिवरसाइड सूर्यमंदिर, सामुदायिक भवन लकड़का में अटल मोहल्‍ला क्लिनिक चल रही है।

कोरोना के लक्षण क्‍या बच्‍चों और बुजुर्गों में अलग-अलग होते हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, बच्चों को भी कोरोना वायरस से खतरा है. बुजुर्गों में इस घातक वायरस के लक्षण आम लोगों से अलग हो सकते हैं

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बुजुर्गों में इस घातक वायरस के लक्षण आम लोगों से अलग हो सकते हैं. आमतौर पर जुकाम, बुखार और सांस लेने की तकलीफ के तौर पर पहचाने जाने वाला वायरस बुजुर्गों में इनसे अलग लक्षण भी पैदा कर सकता है. बुजुर्ग लोगों को थकान, भूख कम लगना, कुछ समझ न आना, बैलंस बिगड़ने जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि ज्यादा उम्र के लोगों को इन लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और फौरन मदद लेनी चाहिए. दरअसल उम्र के साथ हमारा शरीर बदल जाता है और ऐसे में किसी बीमारी के लिए प्रतिक्रिया भी अलग हो जाती है. ज्यादा उम्र में शरीर सुस्त हो जाता है. बोन मैरो फाइटर और सिग्नल सेल्स कम बनाने लगता है. बुजुर्गों के इम्यून सेल्स धीमे काम करते हैं.

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बुजुर्गों में अकसर दिखने वाले ऐसे 12 लक्षण जो गंभीरता से लेने चाहियें

Image Description: An elderly person with a walker and supported by a caregiver

वही लक्षण जो एक युवा व्यक्ति में एक कारण से हो सकते हैं वे बुजुर्गों में दूसरे कारणों से हो सकते हैं। युवा व्यक्ति में शायद वे इतने गंभीर न हों, पर बुज़ुर्ग में वे किसी गंभीर बीमारी की ओर संकेत कर सकते हैं। बुजुर्गों में अकसर कई चिरकालिक पुरानी बीमारियाँ पहले से मौजूद होती हैं, चोटें होती हैं, उनमें उम्र की वजह से शारीरिक परिवर्तन होते हैं। इन सब के कारण कभी-कभी उनमें अन्य गंभीर लक्षण स्पष्ट प्रकट नहीं होते या इतने गंभीर नहीं लगते । यदि इन लक्षणों को नजरंदाज करें, इनकी सही जांच न करें, तो इनको पैदा करने वाली बीमारियों का इलाज नहीं होता और इन से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गंभीर बुजुर्गों के लक्षण या घातक परिणाम हो सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इन अस्पष्ट चेतावनी संकेतों पर ध्यान दिया जाए, इनके वास्तविक कारणों की पहचान हो, और तुरंत उचित कदम लिए जाएँ।

बुजुर्गों की बढ़ती आबादी से डिमेंशिया का खतरा

पटियाला |लाइफ एक्सपेक्टेंसीबढ़ने और जन्म दर घटने के साथ अगले कुछ दशकों में 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी होगी। साथ ही बुजुर्गों में अल्जाइमर डिमेंशिया (याददाश्त कमजोर होना) की बीमारी बढ़ने के संकेत हैं।

यूनाइटेड नेशनल पापुलेशन के अनुसार आने वाले कुछ समय में 15 फीसदी से भी ज्यादा आबादी बुजुर्गों की होगी। इनमें 5 फीसदी बुजुर्गों को उक्त बीमारी होने की संभावना है। वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे बुजुर्गों के लक्षण पर कोलंबिया एशिया अस्पताल के डाॅ. सतवंत सचदेवा कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी ने बताया कि डिमेंशिया एक ऐसा शब्द है जिसे बुढ़ापे में होने वाली याददाश्त की कमजोरी और दूसरे इंटलैक्चुअल डिसऑर्डर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अल्जाइमर डिमेंशिया धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है जिसमें लक्षण धीरे-धीरे गंभीर होते जाते हैं और मरीज की हालत खराब बुजुर्गों के लक्षण होती जाती है। सबसे अधिक दुर्घटना होने का खतरा भी बढ़ जाता है। डिमेंशिया न्यूरोलॉजिकल डिस आर्डर है और अलग-अलग लोगों में इसके अलग लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों को आमतौर पर परिवार के लोग अनदेखा कर देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बढ़ती उम्र का असर है।

हेल्थीजीवनशैली अपनाएं : ब्रेनके लिए हेल्दी जीवनशैली अपनाकर इसके खतरे को कम किया जा सकता है। ब्रेन हेल्दी जीवनशैली के महत्वपूर्ण हिस्से हैं, नियमित व्यायाम, ऐसे काम जिससे दिमाग सक्रिय रहे और पौष्टिक आहार।

ऐसे बुजुर्गों के लक्षण कर सकते बीमारी से बचाव

अल्जाइमर्सरिसर्च एवं प्रिवेंशन फाउंडेशन के मुताबिक नियमित शारीरिक व्यायाम अल्जाइमर्स के खतरे को कम करता है। लोग हमेशा दिमागी कार्यों में अधिक व्यस्त रहते हैं उन्हें डिमेंशिया होने का खतरा कम रहता है। डाइट लें जो दिमाग के लिए हेल्दी हो, ऐसा खाना खाएं जिसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा अधिक हो। अखरोट, मछली, सोयाबीन और फ्लैक्स सीड यानी तीसी के बीज खास हैं।

यहहैं बीमारी के लक्षण

डिमेंशियाकी शुरुआत याददाश्त कमजोर होने के मामूली लक्षणों के साथ होती है। किसी बुजुर्ग में इस तरह की समस्या नजर आती है तो आपको तुरंत अलर्ट हो जाना चाहिए और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर इसकी पहचान जल्दी हो जाए। यहां तक कि डॉक्टरों को भी, जो बुजुर्गों की अन्य समस्याओं का इलाज करते हैं, उन्हें भी अपने मरीजों में डिमेंशिया के लक्षणों पर गौर करना चाहिए।

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