डेट फंड्स हमारी रकम को कहाँ निवेश करते हैं?

डेट फंड्स हमारी रकम को कहाँ निवेश करते हैं?

डेट फंड्स निवेशकों से सामूहिक तौर पर एकत्रित की गई रकम को बैंकों, PSU, क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? PFI (सार्वजनिक वित्तीय संस्थान), कॉर्पोरेट्स और सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले बॉन्ड्स में निवेश करते हैं। आम तौर पर ये बॉन्ड्स मध्यम से लंबी अवधि के लिए होते हैं। जब कोई म्यूचुअल फंड ऐसे बॉन्ड्स में निवेश करता है, तो इन बॉन्ड्स से वह मीयादी ब्याज कमाता है जो समय के साथ फंड की कुल रिटर्न में योगदान देता है।

कुछ डेट फंड्स मुद्रा बाज़ार के साधनों, जैसे सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले T-बिल, वाणिज्यिक पत्र, जमा प्रमाणपत्र, बैंकर्स एक्सेप्टेंस, विनिमय बिल आदि, में भी निवेश करते हैं जिनका स्वरूप अधिकतर छोटी अवधि का होता है। ये साधन भी नियमित अंतरालों पर नियत ब्याज का भुगतान करने का वादा करते हैं, जो समय के साथ फंड की कुल रिटर्न में योगदान देता है।

यद्यपि बॉन्ड्स और मुद्रा बाज़ार के साधन, दोनों ही अपने निवेशकों, यानि म्यूचुअल फंड्स, से भविष्य में ब्याज का भुगतान करने का वादा करते हैं, कुछ परिस्थितियों, जैसे वित्तीय संकट, के तहत वे इन ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में विफल हो सकते हैं। इसलिए, जबकि डेट फंड्स को इक्विटी फंड्स की तुलना में अधिक स्थिर माना जाता है, फिर भी उनमें कुछ जोखिम होता है क्योंकि ये जारीकर्ता समय पर भुगतान करने में विफल हो सकते हैं जो फंड की कुल रिटर्न का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

Debt funds में आज ही करें निवेश, बेहतर रिटर्न के साथ आपका पैसा रहेगा सुरक्षित- जानिए डीटेल

Debt fund Investment: डेट फंड को लिक्विड फंड भी कहा जाता है. क्योंकि इसमें लिक्विडिटी की भी कोई समस्या नहीं होती है. इसका मतलब ये कि आप अपना पैसा कभी भी निकाल सकते हैं.

Debt fund Investment: डेट फंड असल में म्यूचअल फंड ही होता है. इसमें निवेशक बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) या फिर दूसरी स्मॉल सेविंग्स स्कीम (Small Savings Scheme) के अल्टरनेट के रूप में इन्वेस्ट करते हैं. जैसे की सरकारी सिक्योरिटी, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और ट्रेजरी बिल्स. फिक्स्ड डिपॉजिट का समय पूरा होते ही डेट फंड आपको फिक्स्ड रेट पर अच्छा खासा रिटर्न देते हैं.

सुरक्षित रहेगा आपका पैसा

ICICI पर क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? साझा जानकारी के मुताबिक, डेट फंड का उद्देश्य केवल इन्वेस्टर्स को सुरक्षित इन्वेस्टमेंट के साथ फायदा पहुंचाना है. बता दें डेट फंड को लिक्विड फंड भी कहा जाता है. क्योंकि इसमें लिक्विडिटी की भी कोई समस्या नहीं होती है. इसका मतलब ये कि आप अपना पैसा कभी भी निकाल सकते हैं.

Debt Funds में इन्वेस्ट करने के 4 बेनिफिट्स

स्टेबल फंड्स

डेट फंड में रिटर्न आमतौर पर हमेशा एक जैसा रहता है. इसके रेट्स में मार्केट के चलते कभी बदलाव नहीं दिखता है. ऐसे में अगर आपको इन्वेस्ट करने में डर लग रहा है, तो ये आपके लिए सुरक्षित ऑप्शन है. वहीं अगर आप कुछ समय के लिए अपनी फाइनेंशियिल प्लानिंग करना चाहते हैं, तो Debt Funds बेस्ट है.

लोवर फीस

Debt Funds में आप Equity और म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले कम पैसों से निवेश कर सकते हैं. अक्सर इन्वेस्टर्स डेट और म्यूचुअल फंड स्कीम्स को ही चुनते हैं, जिससे TDS पर कोई असर नहीं पड़ता है. हालांकि अगर आप फंड यूनिट को बेचते हैं, तो आपको इन्वेस्टमे्ंट के दौरान चैक्स देना पड़ेगा.

आमतौर पर ऐसी योजनाओं में इन्वेस्टर्स का पैसा सरकारी सिक्योरिटी, बॉन्ड और कॉर्पोरेट डिबेंचरों में लगाया जाता है. हालांकि, इस तरह के फंडों से इक्विटी फंडों (Equity Fund) के मुकाबले कम रिटर्न मिलता है.

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दरअसल यह फंड इक्विटी फंडों की तुलना में कम जोखिम भरे हैं. इनका इक्विटी बाजार के उतार चढ़ाव से कोई मतलब नहीं. बता दें लॉन्ग टर्म में कई डेट फंड ने बैंक एफडी की तुलना में 1.5 से 2 फीसदी ज्यादा रिटर्न दिया है. ज्यादातर बैंक जहां एफडी करने पर 5.75 फीसदी से 6.75 फीसदी या 7 फीसदी के बीच रिटर्न दे रहे हैं.

कम जोखिम, क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? बेस्ट रिटर्न

Debt Fund में अगर आप इन्वेस्ट करते हैं, तो आपको बेहतर रिटर्न मिलेगा. क्योंकि म्यूचअल फंड (Mutual Fund) में इन्वेस्टमेंट सबसे ज्यादा फायदा देने वाला सौदा माना जाता है. ऐसा अक्सर होता है कि फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले डेट म्यूचुअल फंड में ज्यादा रिटर्न मिलता है.

Debt funds से मिलने वाला पैसा टैक्स के दायरे में आता है. डेट फंड को 3 साल के बाद भुनाने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (LTCG) लगता क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? है. 3 साल के पहले डेट म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने के बाद जो मुनाफा होता है, उसा शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना पड़ता है.

समझें डेट फंड्स में निवेश की ये खास रणनीति, कम जोखिम में मिलेगा ऊंचा रिटर्न

ब्याज दरों की चाल के हिसाब से तय करें डेट म्युचुअल फंड में निवेश की रणनीति, कम जोखिम में मिलेगा ऊंचा रिटर्न

समझें डेट फंड्स में निवेश की ये खास रणनीति, कम जोखिम में मिलेगा ऊंचा रिटर्न

गुड़गांव की कनिका फैशन डिजाइनर हैं. कामकाज में वे इतनी बिजी रहती हैं कि अपने लिए तक वक्त नहीं निकाल पातीं. यही वजह है कि इन्वेस्टमेंट (investment) का नाम आते ही कनिका के हाथ-पैर फूलने लगते हैं. अपनी व्यस्तता के चलते कनिका बाजार (stock market) के रिस्क से दूर रहना ही ठीक समझती हैं. इसीलिए उन्होंने पैसा डेट म्यूचुअल फंड्स (debt mutual funds) में लगाया है. यानी रिस्क भी नहीं और ठीक-ठाक रिटर्न भी. हाल में उन्हें किसी ने बताया कि डेट म्यूचुअल फंड्स में भी इन्वेस्टमेंट की स्ट्रैटेजी होती है. अब ये बात कनिका को पता नहीं थी. आखिर, डेट जैसे प्लेन कॉन्सेप्ट में क्या स्ट्रैटेजी हो सकती है? कनिका फंस चुकी थीं. सोचा, जिस माथापच्ची से बच रही थी, अब वही करनी पड़ेगी. खैर, कनिका की दोस्त प्रिया एक सर्टिफाइड प्लानर है. बस कनिका वीकेंड पर सीधे प्रिया के घर जा पहुंची.

क्या है डेट फंड्स का फंडा

कनिकाः यार प्रिया ये बताओ डेट फंड्स का क्या फंडा है?

प्रियाः क्यों तूने क्या इनमें पैसा लगाया हुआ है?

प्रियाः रुक कॉफी बनाती हूं और…तुझे इंटरेस्ट रेट्स का चक्कर तो पता ही होगा.

प्रियाः कोई ना. इसे समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है.

कनिकाः मेरे लिए रॉकेट साइंस जैसा ही है.

प्रियाः कॉफी विद प्रिया में आज खुलेंगे इंटरेस्ट रेट के राज..हाहाहा

‘कॉफी विद प्रिया’ में आसान भाषा में समझें काम की बात

प्रियाः देख…इंटरेस्ट रेट्स के साथ दो बातें हो सकती हैं. या रेट ऊपर जाएंगे या गिरेंगे.

कनिकाः ठीक है. बात आई समझ में. वैसे कॉफी शानदार है.

प्रियाः थैंक्स, तो अब दोनों केस में तुझे अलग-अलग स्ट्रैटेजी की जरूरत पड़ सकती है.

कनिकाः अच्छा. मतलब रेट्स के हिसाब से फैसला लेना होगा.

प्रियाः करेक्ट. अब देख. अभी ब्याज दरें लो लेवल पर हैं.

तो इस बात के ज्यादा आसार हैं कि अगली तिमाहियों में रिजर्व बैंक महंगाई रोकने के लिए ब्‍याज दरें बढ़ाए.

कनिकाः ओके. अब इसमें क्या करना चाहिए?

प्रियाः ऐसे माहौल में लोगों को ऐसे डेट म्‍यूचुअल फंड में पैसे लगाने चाहिए जिनका मैच्‍योरिटी पीरियड कम हो.

प्रियाः एक्सपर्ट की राय तुझे बताती हूं.

क्या है बाजार के जानकार की राय

ITI म्‍यूचुअल फंड के CEO CIO जॉर्ज हेबर जोसेफ कहते हैं, “जब दरें बढ़ती हैं तो कम मैच्‍योरिटी पीरियड वाले फंड फायदेमंद होते हैं और इसी तरह ब्‍याज दरें घटने के मामले में यह उलटा होता है. इसलिए बढ़ते ब्‍याज दर के माहौल में लिक्‍विड फंड, अल्‍ट्रा शॉर्ट फंड, लो ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड, शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड तार्किक रूप से फायदा पहुंचाते हैं.”

ब्याज दर गिरने पर क्या करें?

कनिकाः wow…. अच्छा अगर ब्याज दरों में गिरावट दिख रही हो तो क्या करूं?

प्रियाः कोविड के वक्त तूने देखा था कि इंटरेस्ट रेट्स में तेज गिरावट आई थी.

कनिकाः हां. याद है मुझे

प्रियाः तो उस वक्त लंबी ड्यूरेशन वाले डेट म्‍यूचुअल फंड्स को फायदा हुआ.

ऐसे ज्‍यादातर फंड्स में डबल डिजिट रिटर्न मिला.

ले‍किन तब में क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? कम क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? अवध‍ि वाले म्‍यूचुअल फंड्स को नुकसान हुआ.

कनिकाः इससे क्या सबक मिला?

प्रियाः इसका सबक ये है कि जब ब्याज दरें गिरती दिख रही हों तो 4 से 6 साल या इससे ज्‍यादा की लंबी अवध‍ि वाले डेट म्‍यूचुअल फंड में पैसा लगा दे.

मसलन, मीडियम ड्यूरेशन फंड, मीडियम से लॉन्ग-ड्यूरेशन फंड, लॉन्‍ग-ड्यूरेशन फंड बेहतर प्रदर्शन करते हैं.

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पिछले कुछ सालों में ब्‍याज दरों में नरमी का माहौल रहा है. इसने बॉन्‍ड फंड के रिटर्न प्रोफाइल को हवा देने का काम किया. लेकिन, अब यह दौर खत्‍म हो गया है.

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फंड्सइंडिया में रिसर्च हेड अरुण कुमार जोर देकर कहते हैं, ''आपके पास जो पहले से लो-रिस्‍क डेट पोर्टफोलियो था, उससे रिटर्न की अपेक्षाएं कम हो गई हैं. कारण है कि वाईटीएम घट गई है.''

पिछले कुछ सालों में ब्‍याज दरों में नरमी का माहौल रहा है. इसने बॉन्‍ड फंड के रिटर्न प्रोफाइल को हवा देने का काम किया. लेकिन, अब यह दौर खत्‍म हो गया है. इससे बॉन्‍ड की कीमतों पर अंकुश लगेगा. इसका असर बॉन्‍ड फंडों में मार्क-टू-मार्केट (एमटीएम) गेंस पर पड़ेगा. अच्‍छा होगा कि आप इस वास्‍तविकता के साथ अपनी अपेक्षाओं को जोड़ लें.

क्‍वांटम म्‍यूचुअल फंड में फंड मैनेजर (फिक्‍स्‍ड इनकम) पंकज पाठक कहते हैं, ''इस समय निवेशकों को यह समझना चाहिए कि बॉन्‍ड पर उनके जुट रहे ब्‍याज की रफ्तार कम हुई है. कैपिटल गेंस की क्षमता भी सीमित हुई है. ऐसे में पिछले 2-3 साल जैसे प्रदर्शन को दोहराने की संभावना बहुत कम है.''

सभी कैटेगरी में वाईटीएम में नरमी आई है
निवेशकों को आने वाले कुछ वर्षों में कम रिटर्न की अपेक्षा करनी चाहिए

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अगले कुछ साल के लिए डेट फंडों को एमटीएम गेंस के बजाय एक्रुअल (पूंजी की बढ़ोतरी) के नजरिये से इस्‍तेमाल करना चाहिए. आदित्‍य बिड़ला सनलाइफ एएमसी के हेड-फिक्‍स्‍ड इनकम मनीष दांगी कहते हैं कि ड्यूरेशन गेंस का दौर पीछे छूट चुका है. आगे चलकर फिक्‍स्‍ड इनकम को एक्रुअल प्रोडक्‍ट या कैश डिप्‍लॉयमेंट स्‍ट्रैटेजी के क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? तौर क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? पर देखना चाहिए.

एक्‍सपर्ट्स कहते हैं कि निकट अवधि में 1-3 साल की मैच्‍योरिटी के एएए रेटिंग के हाई क्‍वालिटी बॉन्‍डों में निवेश करने वाले फंडों में पैसा लगाना सही होगा. दांगी कहते हैं, ''3-6 महीनों के एलोकेशन के लिए हम लो ड्यूरेशन कैटेगरी का सुझाव देंगे. जिन निवेशकों का नजरिया 1 साल से ज्‍यादा की अवधि का है, वे शॉर्ट टर्म फंड कैटेगरी में पैसा लगाने के बारे में सोच सकते हैं.'' कॉरपोरेट बॉन्‍ड फंड और बैंकिंग पीएसयू डेट फंड भी अच्‍छे विकल्‍प हैं. लेकिन, निवेशकों को इनसे पुराना प्रदर्शन दोहराने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए.

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पोर्टफोलियो में डेट फंड्स की भूमिका

Debt Mutual Funds: डेट फंड में निवेश करना काफी आसान है. निवेशक एसेट मैनेजमेंट कंपनी व विशिष्ट योजनाओं के ट्रैक-रिकॉर्ड . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 16, 2020, 13:41 IST

नई दिल्ली. म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? केवल क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? इक्विटी फंड के माध्यम से ग्रोथ ही प्रदान नहीं करते, बल्कि वे डेट फंड्स (Debt Funds) के जरिए संतुलन और स्थिरता भी लेकर आते हैं. इतना ही नहीं डेट फंड यथोचित रूप से सुरक्षित और लिक्विड भी हैं. डेट फंड्स के माध्यम से बैंक एफडी आदि अन्य पारंपरिक निवेश विकल्पों की तुलना में उच्च रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है. इस लेख में हम तीन मुख्य बातों पर बात करने वाले हैं. ये तीन बाते हैं- आपके पोर्टफोलियो में डेट फंड्स की भूमिका, अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप सही डेट फंड का चयन करना और डेट फंड में निवेश करना.

आपके पोर्टफोलियो में डेट फंड्स की भूमिका
डेट फंड मामूली जोखिम व नियमित आय के साथ निवेशक के छोटे व मध्यम अवधि के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करते हैं. इसके लिए डेट फंड कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियां (बॉन्ड व डिबेंचर) और पूंजी बाजार के इंस्ट्रूमेंट्स (वाणिज्यिक पत्र, बैंक जमा का प्रमाण पत्र) जैसे विभिन्न निश्चित आय के साधनों में निवेश करता है. फंड कई सारे उधारकर्ताओं में निवेश करता है, जिससे किसी एक कंपनी में ओवर एक्सपोजर का जोखिम घट जाता है. नियमित आय चाहने वाले निवेशकों के लिए भी डेट फंड काफी उपयुक्त है, क्योंकि ये कम अस्थिर होते हैं. कोई भी अपनी विशिष्ट समयसीमा, लिक्विडिटी की जरूरत और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर डेट फंड का चुनाव कर सकता है.

करें सही डेट फंड का चुनाव
निवेशक को सबसे पहले हर एक फंड के प्रमुख जोखिमों को समझ लेना चाहिए. आइए जानते हैं कि ये क्या हैं?
>> क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? लिक्विडिटी रिस्क
नकदी पैदा करने के लिए प्रतिभूतियों को लिक्विड करते समय रिटर्न पर जोखिम ही लिक्विडिटी रिस्क है. लिक्विडिटी रिस्क इंस्ट्रूमेंट की जटिलता, इसकी रेटिंग और मैच्योरिटी की अवधि पर निर्भर करता है.

>> क्रेडिट रिस्क
मैच्योरिटी पर डिफॉल्ट होने या ब्याज अथवा मूलधन का भुगतान नहीं होने का जोखिम क्रेडिट रिस्क कहलाता है.

>> ड्यूरेशन रिस्क
अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में बदलाव होने पर किसी बॉन्ड के मूल्य में परिवर्तन का जोखिम ही ड्यूरेशन रिस्क कहलाता है. सामान्य तौर पर, यह जोखिम इंस्ट्रूमेंट की अवधि के साथ बढ़ता है.

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अधिकतर डेट फंड्स में इन सभी जोखिमों का कुछ अंश रहता है. हालांकि, आमतौर पर इनमें से कोई एक जोखिम हावी रहता है, जो उत्पाद की प्रकृति पर निर्भर करता है. आइए जानते हैं कि कौनसे उत्पाद पर किस परिस्थिति में कैसा जोखिम हावी रहता है.

डेट फंड रिटर्न पैदा करने के लिए क्रेडिट या अवधि में से किसी एक का उपयोग करके निवेशक के लिए रिटर्न जनरेट करते हैं.
>> क्रमिक रणनीति (इसमें क्रेडिट रिस्क हावी रहता है) ब्याज दर जोखिम को मध्यम स्तर पर रखते हुए और क्रेडिट रिस्क को मैनेज करते हुए एक स्थिर ब्याज आय धारा को जनरेट करने पर निर्भर करती है. अधिकांश क्रेडिट रिस्क फंड्स मैच्योरिटी तक प्रतिभूतियों को खरीदते हैं और रखते हैं. इन फंड्स में इंस्ट्रूमेंट्स की अवधि आमतौर पर एक से तीन साल के बीच होती है. ये क्या मुझे डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए? फंड्स किसी भी आकस्मिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए कुछ लिक्विड होल्डिंग्स व नकदी भी बनाए रखते हैं. हालांकि, शॉर्ट नोटिस पर क्रेडिट प्रतिभूतियों को बेचने पर कुछ रिटर्न का त्याग किये बिना यह थोड़ा कठिन होता है.

>> दूसरी तरफ जो फंड ड्यूरेशन रणनीति का अनुसरण करता है, वे ब्याज दरों के मूवमेंट की प्रतिक्रिया में बॉन्ड प्राइस में बदलाव से लाभ प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं. बॉन्ड प्राइस और ब्याज दरें विपरीत दिशा में चलते हैं. इसलिए जब ब्याज दरें गिरती हैं, मौजूदा बॉन्ड्स की कीमत बढ़ती है, क्योंकि इन बॉन्ड्स को ब्याज दर के नए स्तर के हिसाब से दोबारा एडजस्ट करने की जरूरत होती है. चूंकि नए बॉन्ड कम ब्याज कैरी करेंगे, इसलिए मौजूदा बॉन्ड अधिक आकर्षक हो जाते हैं और इस तरह से तब तक कीमतों में बढ़ोतरी होती है, जब तक कि यील्ड्स नए बॉन्ड से मेल नहीं खाती. एक ड्यूरेशन फंड अपने द्वारा होल्ड किये गए बॉन्ड से पूंजी में वृद्धि की कोशिश करेगा. यह फंड सावधानिपूर्वक चुने गए लंबी अवधि के डेट इंस्ट्रूमेंट्स के पोर्टफोलियो में निवेश करके रिस्क मैनेज करता है.

डेट फंड में कैसे निवेश करें
डेट फंड में निवेश करना काफी आसान है. अधिकतर मध्यम व बड़े आकार के फंड हाउसेज ऊपर सूचीबद्ध डेट प्रोडक्ट्स में से अधिकांश की पेशकश करते हैं. निवेशक एसेट मैनेजमेंट कंपनी व विशिष्ट योजनाओं के ट्रैक-रिकॉर्ड की जानकारी प्राप्त कर अपनी आवश्यकता के अनुसार एक विशिष्ट उत्पाद में निवेश कर सकते हैं. यहां निवेशक को फंड के प्रदर्शन की तुलना केवल उसकी श्रेणी के उत्पादों के साथ ही नहीं, बल्कि संबंधित बेंचमार्क व फंड के उद्देश्यों के आधार पर भी कर लेनी चाहिए. (लेखक- कुमारेश रामकृष्णन, सीआईओ-फिक्‍स्‍ड इनकम, पीजीआईएम म्‍यूचुअल फंड)

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