बचत योजना और निवेश योजना में क्या होता है अंतर, जानें- क्यों बचत से ज्यादा महत्वपूर्ण है निवेश?
हम में से प्रत्येक के कुछ लक्ष्य होते हैं जिन्हें हम प्राप्त करना चाहते हैं. इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक अच्छी निवेश योजना बहुत महत्वपूर्ण है.
Published: April 13, 2022 9:48 AM IST
Saving and Investment Yojana:‘बचत’ और ‘निवेश’ शब्द अक्सर एक दूसरे के स्थान पर उपयोग किए जाते हैं, लेकिन यह हमेशा सटीक नहीं होता है. बचत और निवेश दो अलग-अलग प्रकार के वित्तीय उपकरण हैं जिनका उपयोग विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है.
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बचत का मतलब भविष्य में उपयोग किए जाने के लिए कुछ धन को अलग रखना होता है. पैसा आमतौर पर बचत खाते में रखा जाता है और इसे आसानी से एक्सेस किया जा सकता है, खासकर आपातकालीन स्थितियों में.
निवेश का मतलब आपके पैसे को बढ़ने में मदद करने के लिए बॉन्ड, स्टॉक, रियल एस्टेट या म्यूचुअल फंड जैसी संपत्ति खरीदने से है.
जहां एक बचत योजना आपको समय के साथ एक कोष बनाने में सक्षम बनाती है, वहीं एक निवेश योजना आपको एक ऐसा अवसर प्रदान करती है जहां आप अपने धन को बढ़ने में मदद कर सकते हैं.
निवेश योजना का विकल्प क्यों चुनना चाहिए?
हम में से प्रत्येक के कुछ लक्ष्य होते हैं जिन्हें हम प्राप्त करना चाहते हैं. इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक अच्छी निवेश योजना बहुत महत्वपूर्ण है. आज के माहौल में सिर्फ कमाई और बचत ही काफी नहीं है. घर या आर्थिक रूप से सुरक्षित सेवानिवृत्ति का खर्च उठाने में सक्षम होने के लिए, यह महत्वपूर्ण होता है कि आप निवेश के ऐसे रास्ते खोजें जो आपको समय के साथ अपना पैसा बढ़ाने की अनुमति दें. निवेश शुरू करने से पहले एक लक्ष्य को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, इससे आप प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने में सक्षम होंगे.
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काम की खबर: नजारा का IPO तो खुला, लेकिन जानिए कैसे करें IPO में निवेश, डीमैट अकाउंट है जरूरी
हमारे देश में बचत के पैसे लगाने यानी निवेश करने के कई तरीके हैं। इन्ही में से एक है 'इनीशियल पब्लिक ऑफर' यानि IPO। निवेश का ये तरीका आज कल ट्रेंड में है। अगर आप भी IPO में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि IPO क्या होता है? दरअसल, जब कोई कंपनी अपने स्टॉक या शेयर्स छोटे-बड़े निवेशकों के लिए जारी करती है तो उसका जरिया IPO होता है। इसके बाद कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है।
IPO होता क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपनी कंपनी के शेयर्स को लोगों को ऑफर करती है तो इसे IPO कहते हैं। कंपनियों द्वारा ये IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे वह शेयर बाजार में आ सके। शेयर बाजार में उतरने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीदारी और बिकवाली शेयर बाजार में हो सकेगी। यदि एक बार कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग की इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके बाद शेयर को खरीदने और बेचने से होने वाले फायदे और नुकसान में भागीदारी निवेशकों की होती है।
कंपनी IPO क्यों जारी करती है?
जब किसी कंपनी को अपना काम बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो वह IPO जारी करती है। ये IPO कंपनी उस वक्त भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय IPO से पैसा जुटाना चाहती हैं। शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद कंपनी अपने शेयरों को बेचकर पैसा जुटाती है। बदले में IPO खरीदने वाले लोगों को कंपनी में हिस्सेदारी मिल जाती है। मतलब जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो आप उस कंपनी के खरीदे गए हिस्से के मालिक होते हैं।
क्या इसमें निवेश करने में रिस्क हो सकता है?
इसमें कंपनी के शेयरों की परफॉर्मेंस के बारे में कोई आंकड़े या जानकारी लोगों के पास नहीं होती है, इसलिए इसे थोड़ा रिस्की तो माना ही जाता है। लेकिन जो व्यक्ति पहली बार शेयर बाजार में निवेश करता है उसके लिए IPO बेहतर विकल्प है।
IPO में निवेश कैसे करें?
अगर आप IPO में इन्वेस्ट करना चाहते है तो उसके लिए आपको डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। ये अकाउंट एचडीएफसी सिक्योरिटीज, आईसीआईसीआई डायरेक्ट और एक्सिस डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास जाकर खोला जा सकता है। इसके बाद आपको जिस कंपनी में निवेश करना है उसमें आवेदन करें। निवेश के लिए जरूरी रकम आपके डीमैड एकाउंट से लिंक्ड एकाउंट में होनी चाहिए। निवेश की रकम तब तक आपके एकाउंट से नहीं कटती जब तक आपको शेयर अलॉट नहीं हो जाता।
जब भी कोई कंपनी IPO निकालती है उससे पहले इसका एक समय किया जाता है जो 3-5 दिन का होता है। उसी समय में उस कंपनी का IPO ओपन रहता है। जैसे शेयर मार्केट से हम एक, दो या अपने चुनाव से शेयर खरीदते है यहां ऐसा नहीं होता। यहां आपको कंपनी द्वारा तय किए गए लॉट में शेयर खरीदना होता है। ये शेयर की कीमत के हिसाब से 10, 20, 50, 100, 150, 200 या अधिक भी हो सकता है। वहां आपको 1 शेयर की कीमत भी दिखाई देती है।
IPO की कीमत कैसे तय होती है?
IPO की कीमत दो तरह से तय होती है। इसमें पहला होता है प्राइस बैंड और दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।
प्राइस बैंड कैसे?
शेयर की कीमत को फेस वैल्यू कहा जाता है। जिन कंपनियों को आईपीओ लाने की इजाजत होती है वे अपने शेयर्स की कीमत तय कर सकती हैं। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश क्या होता है? और अन्य क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुक-रनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड तय करता है। भारत में 20% प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका मतलब है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20% से ज्यादा नहीं हो सकती है। फ्लोर प्राइस वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर बोली लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड उस दायरे को कहते हैं जिसके अंदर शेयर जारी किए जाते हैं। मान लीजिए प्राइस बैंड 100 से 105 का है और इश्यू बंद होने पर शेयर की कीमत 105 तय होती है तो 105 रुपए को कट ऑफ प्राइस कहा जाता है। अमूमन प्राइस बैंड की ऊपरी कीमत ही कट ऑफ होती है।
आखिरी कीमत
स्टॉक मार्केट एक्सपर्ट अविनाश गोरक्षकर के अनुसार बैंड प्राइस तय होने के बाद निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका मतलब है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत तय हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के बाद कंपनी ऐसी कीमत तय करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर बिक जाएंगे।
अगर IPO में कंपनी के शेयर नहीं बिकते हैं तो क्या होगा?
अगर कोई कंपनी अपना IPO लाती है और निवेशक शेयर नहीं खरीदता है तो कंपनी अपना IPO वापस ले सकती है। हालांकि कितने प्रतिशत शेयर बिकने चाहिए इसको लेकर कोई अलग नियम नहीं है।
ज्यादा मांग आने पर क्या होगा?
मान लीजिए कोई कंपनी IPO में अपने 100 शेयर लेकर आई है लेकिन 200 शेयरों की मांग आ जाती है तो कंपनी सेबी द्वारा तय फॉर्मूले के हिसाब से शेयर अलॉट होते हैं। कंप्यूटराइज्ड लॉटरी के जरिए आई हुई अर्जियों का चयन होता है। इसके अनुसार जैसे किसी निवेशक ने 10 शेयर मांगे हैं तो उस 5 शेयर भी मिल सकते हैं या किसी निवेशक को शेयर नहीं मिलना भी संभव होता है।
Investment Tips: पहली बार SIP में करने जा रहे हैं निवेश, तो जानिए मोटे मुनाफे के टिप्स
Investment Tips: म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करने के लिए ज्यादा पैसे की जरूत नहीं होती है। SIP सिस्टम में आप 100 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं। इससे निवेश का जोखिम कम होता है। रिटर्न का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
Investment Tips: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच हर कोई SIP पर ध्यान दे रहा है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में एसआईपी अकाउंट बढ़कर 5.71 करोड़ हो गए। म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश जोखिम भरा है। ऐसे में आप एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करना आसान और लाभदायक है। इस तरह आप 10 साल में 1 करोड़ रुपये का फंड बना सकते हैं।
निवेश बना सकता है करोड़पति
इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश एक बेहतर विकल्प है। आप छोटी बचत कर सकते हैं। SIP के जरिए इक्विटी म्यूचुअल फंड में बड़ा निवेश कर सकते हैं। यह निवेश आपको करोड़पति बना सकता है। जो लोग बड़ी रकम जमा करना चाहते हैं, लेकिन एकमुश्त नहीं। वे म्यूचुअल फंड एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं।
निवेश में जोखिम कम
म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करने के लिए ज्यादा पैसे की जरूत नहीं होती है। SIP सिस्टम में आप 100 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं। इससे निवेश का जोखिम कम होता है। रिटर्न का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
निवेश से पहले करना होगा केवाईसी
एसआईपी में निवेश बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है। निर्धारित राशि खाते से हर महीने तय तारीख को काट ली जाएगी। म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको केवाईसी पूरा करना होगा। एसआईपी कैलकुलेटर की मदद से फंड की राशि का अनुमान लगाया जा सकता है।
10 साल में कितना पैसा होगा जमा
म्यूचुअल फंड में एसआईपी कम से कम 12 फीसदी सालाना निवेश क्या होता है? की दर से ब्याज देता है। आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में 10 साल का टारगेट रख सकते हैं। इन दस वर्षों के निवेश से एक करोड़ का फंड जमा किया जा सकता है।
आप वार्षिक स्टेप-अप को 20 प्रतिशत पर रख सकते हैं। यानी आप अपने SIP को हल साल 20% तक बढ़ा सकते हैं। अगर आप 21000 रुपये प्रति माह के एसआईपी की शुरुआत करते हैं, तो 10 साल में 1 करोड़ रुपये का फंड जमा हो जाएगा।
SIP कैलकुलेटर के अनुसार, दस साल बाद कुल निवेश रकम 65,41,588 रुपये और वापसी राशि 38,34,556 रुपये होगी। इस तरह आप 1,03,76,144 रुपये का फंड जमा कर सकते हैं।
निवेश क्या है
निवेश क्या है, निवेश कितने प्रकार के हो सकते हैं और निवेश का सिद्धांत क्या है। किस प्रकार का निवेश मॉडल आपके लिये सही रहेगा। इस सब की जानकारी लेते हैं हिंदी में विस्तार से। निवेश का अर्थ क्या है और निवेश के साधन कौन से हैं जिनसे सुरक्षित निवेश किया जा सके, अच्छा रिटर्न भी मिले और आसान तथा सुविधाजनक भी हो।
निवेश क्या है
निवेश क्या है
निवेश का अर्थ है अपनी अतिरिक्त पूंजी या धन को ऐसी जगह लगाना जहां से अतिरिक्त धन प्राप्ति या आय की संभावना हो। महान निवेशक वॉरेन बफेट के अनुसार भविष्य में और अधिक धन प्राप्त करने के लिए “पैसा लगाने की प्रक्रिया” को निवेश कहते है। निवेश का लक्ष्य आपके पैसे को एक या एक से अधिक प्रकार के निवेश के साधनों में लगाना है जिससे कि समय के साथ साथ आपका पैसा बढ़ सके। बचत और निवेश में अंतर को भी समझें।
निवेश क्या है – कम मेहनत ज्यादा कमाई
हम में से अधिकांश अपने काम में कड़ी मेहनत करते हैं, चाहे वह हमारा जॉब हो या हमारा खुद का बिजनेस हो। हम अक्सर कई घंटों तक काम करते हैं जिसके लिए मेहनात की आवश्यकता होती है और हम अकसर तनाव में रहते हैं। अपनी मेहनत की कमाई में से कुछ बचा लेना और उसे अपनी भविष्य की जरूरतों के लिए निवेश करना ही अपनी कमाई से सबसे अधिक लाभ उठाने का एक तरीका है। निवेश करना वास्तव में होशियारी के साथ कम मेहनत में ज्यादा कमाने का तरीका है।
आज की इच्छायें या भविष्य की जरुरतें
आप अपनी आय के पैसे को कहां और किस तरह प्रयोग करते हैं इसमें आपकी प्राथमिकता निवेश से पता चलती है। पैसे को खर्च करना आसान है और इससे एक क्षणिक सुख भी मिलता है फिर चाहे वो नए कपड़े खरीदना हो, रैस्टॉरेंट में खाना हो या छुट्टियों पर जाना। इस सब से हमें खुशियां मिल सकतीं हैं मगर जब हम निवेश करते हैं तो हम भविष्य की आवश्यक्ताओं को आज की इच्छाओं से अधिक प्राथमिकता देते हैं।
सुनहरी भविष्य के लिये निवेश
जब आप जीवन की आपाधापी में व्यस्त हों तो निवेश आपके लिये काम करता है और भविष्य की फसल तैयार करता है जिससे की जीवन के सुनहरी वर्षों में भी जिंदगी सुखद रहे। निवेश को समझना उतना कठिन भी नहीं है। यहां पढ़ें कि आप छोटे छोटे निवेश के द्वारा एक करोड़ रुपये कैसे बना सकते हैं।
निवेश के प्रमुख तरीके
निवेश के साधन
प्रत्येक निवेश के साधन की अपनी विशेषताएं और सीमायें हैं। यह समझना बहुत आवश्यक है कि कौन सा निवेश का साधन आपके लिये बेहतर है। उदाहरण के लिये यदि आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं तो यह जानना जरूरी है कि निवेश क्या होता है? जिस म्यूचुअल फंड योजना में आप निवेश कर रहगे हैं वह किस तरह की इक्विटी में निवेश करती है? फंड हाउस कौन सा है? चार्जेस कितने हैं? म्यूचुअल फंड निवेश में कितना रिस्क हो सकता है। निवेश करने से पहले इस तरह के सवाल जान लेना आवश्यक है। निवेश में सफलता प्राप्त करने निवेश क्या होता है? के लिये अपने निवेश को समझना बहुत आवश्यक है। मार्केट से जुड़े निवेश में लाभ की गारंटी नहीं होती मगर अपने निवेश को समझना आपके लिये फायदेमंद हो सकता है।
निवेश करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
कोई भी निवेश करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है
- क्या यह निवेश का साधन आपके लिए ठीक है?
- क्या आप जहां निवेश कर रहे हैं उस साधन या उसकी योजना को समझते हैं?
- कितने पीरियड का निवेश है?
- निवेश करने कितना आसान है?
- निवेश से जुड़े सभी रिस्क को समझना।
- रिटर्न और निवेश की गई रक़म की गारंटी है या नहीं?
- क्या य़ोजना सरकार द्वारा समर्थित या प्रमाणित है?
- कुछ समस्या होने पर रेग्युलेटर कौन होगा?
यहां हमने जाना कि निवेश क्या है, इसके साधन कौन कौन से हो सकते हैं और अपने निवेश को जानना और उसमें छिपे रिस्क को समझना क्यों जरूरी है।
निम्नलिखित में से एक वास्तविक निवेश _________ है।
Key Points
- निवेश के 3 प्रकार हैं:
- स्वामित्व निवेश: स्वामित्व वह है जो ज्यादातर लोगों के दिमाग में आता है जब निवेश शब्द पर चर्चा की जाती है। ये निवेश के सबसे अस्थिर और लाभदायक वर्ग हैं।
- ऋण निवेश: धन उधार देना निवेश की एक श्रेणी है। आम तौर पर कई निवेशों की तुलना में जोखिम कम होते हैं और इसके परिणामस्वरूप, पुरस्कार अपेक्षाकृत मामूली होते हैं।
- नकद समकक्ष: ये निवेश कर रहे है "नकदी के रूप में के रूप में अच्छा है," जिसका अर्थ है कि वे नकदी के लिए वापस आसानी से और जल्दी से परिवर्तित किया जा सकता है।
Additional Information
- वास्तविक निवेश से, हमारा मतलब मौजूदा कागजी प्रतिभूतियों, बांडों, डिबेंचर या इक्विटी को खरीदना नहीं है, बल्कि नए कारखानों, मशीनों, रेलमार्गों आदि की खरीद से है।
- निवेश व्यय एक संबंधित अवधारणा है, जो उत्पादक के टिकाऊ उपकरणों, नए निर्माण और सूची में परिवर्तन के लिए किए गए व्यय को संदर्भित करती है।
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Last updated on Sep 27, 2022
On 21st December 2022, UGC released a tentative application date notice. As per the notice, the CUET application process will begin in the first week of February 2023. The NTA (National Testing Agency) has released the CUET Exam Dates for the academic year 2023-24. The exam will be conducted from 21st to 31st May 2023. The NTA has also released the reserve dates which are from 1st to 7th June 2023. Candidates can download their admit cards by filling in the application number, date of birth, and security pin as and when released. The CUET (Central Universities Entrance Test) is a common exam conducted by NTA for UG admissions into all the central and many other universities of India.
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मतदाताओं की संख्या: 314