ECN ट्रेडिंग पर FXTM गाईड
ECN ट्रेडिंग क्या है और ECN अकाउंट से आपको कैसे फायदा हो सकता है?
इस सरल, आसानी से पढ़ी जा सकने वाली गाईड में हम आपको वे सभी बातें बताएंगे जिनका आपके लिए जानना जरूरी है।
इस गाइड में क्या- क्या है
- FXTM की अधिक जानकारी
- MyFXTM - क्लाइंट डैशबोर्ड
- FXTMPartners सहबद्ध और IB प्रोग्राम
- FXTMPartners
- पार्टनरशिप विजेट
- कैरियर
- आयोजन
- ग्राहक सेवाएं
- उत्कृष्ट ट्रेडिंग शर्तें
- फॉरेक्स ट्रेडिंग प्रमोशन
- फॉरेक्स ट्रेडिंग कांटेस्ट
- रेफर ए फ्रेंड
- लाइसेंसधारी ब्रोकर
- फाईनेंशियल कमीशन का मुआवजा फंड
- नीतिगत वक्तव्य
- कूकी नीति
- जोखिम प्रकटन
- अकाउंट ओपन करने की सहमति
FXTM ब्रांड विभिन्न अधिकार-क्षेत्रों में अधिकृत और विनियमित है।
फॉरेक्स टाइम लिमिटेड (www.forextime.com/eu) साइप्रस प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग द्वारा विनियमित है, जिसका CIF लाइसेंस नंबर है 185/12, तथा यह दक्षिण अफ्रीका के फाइनेंशियल सेक्टर कंडक्ट अथॉरिटी (FSCA) द्वारा लाइसेंस प्राप्त है और इसका FSP नंबर 46614 है। यह कंपनी यूके के फाइनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी के साथ रजिस्टर्ड है, जिसका नंबर 600475 है।
ForexTime (www.forextime.com/uk) फाईनेंशियल कंडक्ट अथॉरिटी द्वारा लाइसेंस नंबर 777911 के अंतर्गत अधिकृत और विनियमित है।
Exinity Limited (www.forextime.com) मॉरीशस गणराज्य के वित्तीय सेवा आयोग द्वारा विनियमित निवेश डीलर है, जिसकी लाइसेंस संख्या C113012295 है।
कार्ड ट्रांजेक्शन एफटी ग्लोबल सर्विसेज लिमिटेड, रजिस्टर्ड नंबर HE 335426 और रजिस्टर्ड पता Ioannis Stylianou, 6, Floor 2, Flat 202 2003, Nicosia, Cyprus के माध्यम से प्रोसेस किए जाते हैं। कार्डधारक के पत्राचार के लिए पता: [email protected] व्यवसाय के स्थान का पता: FXTM Tower, 35 Lamprou Konstantara, Kato Polemidia, 4156, Limassol, Cyprus.
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जोखिम चेतावनी: फोरेक्स और लिवरेज किए गए वित्तीय इंस्ट्रूमेंट की ट्रेडिंग में महत्वपूर्ण जोखिम हैं और इससे आपकी निवेश की गई पूंजी का नुकसान हो सकता है। आप जितनी हानि उठाने की क्षमता रखते हैं उससे अधिक का निवेश न करें और आपको इसमें शामिल जोखिम अच्छी तरह समझना सुनिश्चित करना चाहिए। लेवरिज्ड प्रोडक्ट की ट्रेडिंग सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग? हो सकती। ट्रेडिंग शुरु करने से पूर्व, कृपया अपने अनुभव का स्तर, निवेश उद्देश्य पर विचार करें और यदि आवश्यक हो तो स्वतंत्र वित्तीय सलाह प्राप्त करें। क्लायंट के निवास के देश में कानूनी अपेक्षाओं के आधार पर FXTM ब्रांड की सेवाओं का प्रयोग करने की अनुमति है अथवा नहीं, यह निर्धारित करना क्लायंट की स्वयं की जिम्मेदारी है। कृपया FXTM का पूरा जोखिम प्रकटीकरण पढ़ें.
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जोखिम की चेतावनी: ट्रेडिंग जोखिम भरा है। आपकी पूंजी जोखिम में है। Exinity Limited FSC (मॉरीशस) द्वारा विनियमित है।
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What is Margin Money in Hindi | होम लोन में मार्जिन मनी क्या होता है? जानिए
बैंक से लोन लेने में कभी-कभी आपको मार्जिन मनी चुकाने की जरूरत पडती है। इस लेख में हम जानेंगे कि मार्जिन मनी क्या होता है? (What is Margin Money in Hindi), यह क्यों लिया जाता है और कितना लिया जाता है?
Margin Money in Home Loan: क्या आप पहली बार होम लोन लेने वाले हैं? तो क्या आप जानते हैं कि आपको भी होम लोन अमाउंट में योगदान करना होगा। अगर आपको नहीं पता तो बता दें कि होम लोन में बैंक या NBFC आपको पूर्ण रूप से लोन राशि प्रदान नहीं करती है। वह आपके ऋण राशि का 80 या 90 प्रतिशत ही लोन के रूप में देती है। शेष राशि का भुगतान आपको अपनी जेब से करना पड़ता है, जिसे डाउन पेमेंट या मार्जिन मनी (Margin Money) के रूप में जाना जाता है। आइये इस पोस्ट में जानते है कि होम लोन में मार्जिन मनी क्या है? (What is Margin Money in Home Loan) और इसका क्या महत्व है।
मार्जिन मनी क्या है? | What is Margin Money in Hindi
होम लोन में Margin Money, वह राशि है जो एक उधारकर्ता डाउन पेमेंट के रूप में चुकाता है। संपत्ति खरीदते समय, कुल लागत का वह हिस्सा जिसे खरीदार के अपने फंड से वित्तपोषित किया जाना होता है, मार्जिन मनी कहलाता है और यह 10% से 25% तक भिन्न हो सकता है। इसका भुगतान बैंक या गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) को भी किया जा सकता है, जहां से संभावित घर खरीदार होम लोन मांग रहा है।
मार्जिन मनी क्यों जरूरी है?
ऋणदाता इस भुगतान किए गए पैसे को डाउन पेमेंट के रूप में विश्वास का संकेत मानते हैं। यह महत्वपूर्ण है, यह देखते हुए कि यह वित्तपोषण कंपनी के लिए जोखिम को कम करता है, क्योंकि उन्हें पता होगा कि उधारकर्ता भरोसेमंद हो सकता है।
Margin Money के रूप में आपको कितना भुगतान करना चाहिए?
मार्जिन मनी के रूप में भुगतान की जाने वाली राशि, संपत्ति के बाजार मूल्य, होम लोन पीरियड, टोटल होम लोन अमाउंट और लागत पर निर्भर करती है। कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी और योजना से जुड़े लोगों के लिए, मार्जिन मनी ऐसी संपत्ति के निर्माण के चरण पर निर्भर करेगी।
मार्जिन मनी रसीद
होम लोन में मार्जिन मनी का भुगतान करने पर, ऋणदाता बैंक या NBFC एक रसीद देगा जिसे Margin money Receipt कहा जाता है।
Margin Money की व्यवस्था कैसे करें?
अपनी बचत को समाप्त करना, बचत पर ऋण लेना, आपकी कंपनी से आसान ऋण मांगना, या बैंकों/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से टॉप-अप ऋण, मार्जिन मनी की व्यवस्था करने के कुछ लोकप्रिय विकल्प हैं। हालांकि यह आपको अल्पावधि में वित्त व्यवस्था करने में मदद करता है, इसके कुछ परिणाम भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, आप अपनी बचत को खाली करने का जोखिम उठाते हैं या यदि आप बचत के बदले ऋण का विकल्प चुनते हैं, तो ब्याज दरें बहुत अधिक हो सकती हैं। सॉफ्ट लोन अगले कुछ महीनों के लिए आपके टेक-होम पे को प्रभावित करेगा और टॉप-अप लोन एक महंगा मामला है। इस प्रकार, मार्जिन मनी स्रोत को अंतिम रूप देने से पहले सभी विकल्पों पर विचार करें।
Margin Money और ट्रेड में इसका उपयोग
जब शेयर मार्केट में Margin Money (Margin Trading) शब्द का उपयोग किया जाता है, तो यह उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसके द्वारा निवेशक अतिरिक्त स्टॉक खरीदते हैं या जो वे खरीद सकते हैं उससे अधिक खरीदते हैं। विभिन्न स्टॉक ब्रोकर भारत में इंट्रा-डे ट्रेडिंग में शामिल हैं। इसमें एक ही सत्र में सिक्योरिटीज की खरीद और बिक्री शामिल है। मार्जिन ट्रेडिंग तब कुछ तेजी से पैसा बनाने का एक त्वरित तरीका बन जाता है। इसे स्पष्ट रूप से कहें तो, एक मार्जिन एकाउंट आपको अधिक स्टॉक खरीदने के लिए मौका देता है।
Angel Broking: एंजेल ब्रोकिंग की बाजार में कमजोर एंट्री, 10% डिस्काउंट पर शेयर हुआ लिस्ट
Angel Broking Stock Listing: एंजेल ब्रोकिंग का स्टॉक आज शेयर बाजार में लिस्ट हो गया.
Mere exit to Chinese investors should not be used as the driver to list Indian startups abroad!
Angel Broking Stock Listing: एंजेल ब्रोकिंग की शेयर बाजार में कमजोर लिस्टिंग हुई है. कंपनी का शेयर आज 10 फीसदी डिस्काउंट के साथ बीएसई पर 275 रुपये के भाव पर लिस्ट हुआ. एनएसई पर भी शेयर 275 रुपये के भाव पर ही लिस्ट हुआ. शेयर के लिए प्राइस बैंड 306 रुपये रखा गया था और आईपीओ के जरिए एंजेल ब्रोकिंग का लक्ष्य बाजार से 600 करोड़ रुपये जुटाने की थी. इश्यू प्राइस की तुलना में शेयर की एंट्री 31 रुपये कमजोरी के साथ हुई.
कंपनी का कारोबार
एंजेल ब्रोकिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी है जो ब्रोकिंग और एडवाइजरी सेवाओं के अलावा मार्जिन फंडिंग, लोन अगेंस्ट शेयर्स और कई तरह की वित्तीय सेवाएं देती है. कंपनी के ग्राहकों की संख्या लगातार बढ़ी है. जून 2020 को खत्म तिमाही के दौरान कंपनी ने हर महीने औसतन 1,15,565 नए ग्राहक जोड़े जो वित्त वर्ष 2020 की तुलना में 147.59 फीसदी अधिक है. यह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर एक्टिव क्लाइंट के मामले में चौथी सबसे बड़ी ब्रोकर कंपनी है. एंजेल ब्रोकिंग की पहुंच देश के 1,800 शहरों और कस्बों में है. कंपनी की 110 से अधिक शाखाएं हैं.
किसके हाथ में है प्रबंधन
इस आईपीओ से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कंपनी अपनी कार्यशील पूंजी की जरूरत को पूरा करने और अन्य कॉरपोरेट कामों में करेगी. एंजेल ब्रोकिंग की पहुंच देश के 1,800 शहरों और कस्बों में है. कंपनी की 110 से अधिक शाखाएं हैं. आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज, एडेलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेस और एसबीआई कैपिटल को इस निर्गम के प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गयी है.
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49 शेयरों का था एक लॉट
यह आईपीओ निवेश के लिए 22 सितंबर से 24 सितंबर के बीच खुला था. इस आईपीओ में एक लॉट 49 शेयरों का रखा गया था. यानी कम से कम 49 शेयरों के लिए बोली लगानी थी. इसके बाद 49 के गुणक में शेयरों के लिए बोली लगाई जा सकती थी. आईपीओ में प्रमोटर्स व निवेशकों द्वारा 300 करोड़ रुपये की अपनी हिस्सेदारी बिक्री के लिए रखी गई. वहीं, इस 300 करोड़ रुपये के ताजा शेयर भी जारी किए जाएंगे.
क्या थी एक्सपर्ट की राय
सैमको सिक्योरिटीज की सीनियर रिसर्च एनालिस्ट निराली शाह के अनुसार एंजेल ब्रोंकिंग पिछले 10 साल में पहली ब्रोकिंग कंपनी है, जो आईपीओ प्लान लाई है. कंपनी में मजबूत ग्रोथ की पूरी संभावनाएं हैं. टेक्नोलॉजी बेस्ड होने के नाते कंपनी को ट्रेडिशनल ब्रोकर्स पर बढ़त है. कंपनी का कस्टमर बेस लगातार बढ़ रहा है. यह चौथी सबसे बड़ी ब्रोकिंग कंपनी है. हालांकि इश्यू का वैल्युएशन कुछ महंगा दिख रहा है. फिर भी निवेशकों को लंबी अवधि के नजरिए से इसमें निवेश की सलाह है.
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MF: म्यूचुअल फंड में निवेशकों का पैसा होगा ज्यादा सेफ! कार्वी घोटाले के बड़े बदलाव की तैयारी में सेबी
Mutual Funds: कार्वी स्टॉक ब्रोंकिंग घटनाक्रम के बाद सेबी ने निवेशकों के पैसे को सुरक्षित रखने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है.
Mutual Funds: कार्वी स्टॉक ब्रोंकिंग घटनाक्रम के बाद सेबी ने निवेशकों के पैसे को सुरक्षित रखने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है.
कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के पैसे को सुरक्षित रखने के लिये एक और कदम उठाने की पहल की है. सेबी ने म्यूचुअल फंड यूनिट्स के लेनदेन में निवेशकों के रखे गए धन (पूल अकाउंट) का इस्तेमाल रोकने का प्रस्ताव किया है. कार्वी स्टॉक ब्रोंकिंग घटनाक्रम के बाद सेबी ने ब्रोकरों अथवा क्लियरिंग कारपोरेशन सदस्यों के पास रखे म्यूचुअल फंड कोषों के निवेश अथवा यूनिट्स के सीधे इस्तेमाल को रोकने का प्रस्ताव किया है.
पीटीआई के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि इस तरह के मामले सामने आए हैं जहां ट्रेडिंग और क्लियरिंग सदस्यों द्वारा उनके पास रखे गए निवेशकों और ग्राहकों के पैसे अथवा सिक्युरिटीज का इस्तेमाल खुद के अथवा किसी तीसरे पक्ष के मार्जिन दायित्वों अथवा सौदों के निपटान दायित्वों को पूरा करने में इस्तेमाल किया गया है. कई बार इन सिक्युरिटीज का इस्तेमाल शेयरों के एवज में कर्ज जुटाने के लिये भी किया गया.
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सेबी का कहना है कि इसी प्रकार जब स्टाक ब्रोकर, क्लियरिंग सदस्यों और म्यूचुअल फंड वितरकों और निवेश सलाहकारों द्वारा उपलब्ध कराए गए डिजिटल प्लेटफार्म के जरिये म्यूचुअल फंड सौदे किये जाते हैं तो ऐसे में उपलब्ध निवेश राशि के दुरुपयोग की गुंजाइश बनी रहती है. सेबी का कहना है कि ऐसे सौदों में म्यूचुअल फंड कोषों को पता नहीं चलता है कि पैसा कहां से आ रहा है क्योंकि उन्हें जो धन प्राप्त होता है वह निवेशकों के पूल खाते अथवा अलग से रखे गये एस्क्रो खाते से आता है.
निवेशकों की सुरक्षा पर सेबी सख्त
निवेशकों की सुरक्षा के लिहाज से इस तरह की चुनौतियों का समाधान निकालने के लिये सेबी ने प्रस्ताव किया है कि स्टॉक ब्रोकर, म्यूचुअल फंड वितरक, निवेश सलाहकार और दूसरे प्लेटफार्म, म्यूचुअल फंड लेनदेन के लिये अब कोष की पूलिंग अथवा म्यूचुअल फंड यूनिट नहीं रख सकेंगे.
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग का मामला सामने आने के बाद सेबी ने इस प्रस्ताव की पहल की है. कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग मामले में ब्रोकिंग कंपनी ने उसके ग्राहकों की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि की सिक्युरिटीज का दुरुपयोग करने का आरोप है.
जारी किया था डिस्कसन पेपर
सेबी ने सोमवार को इस संबंध में जो डिस्कसन पेपर जारी किया है उसमें कहा गया है कि किसी एक्सचेंज के प्लेटफार्म पर शेयर ब्रोकर के जरिये होने वाले सौदे के मामले में शेयर बाजारों को बेहतर प्रणाली स्थापित करनी चाहिए. इसमें ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये भुगतान सीधे निवेशक के बैंक खाते से मान्यता प्राप्त क्लियरिंग कारपोरेशन को प्राप्त हो और निवेशक को भुगतान करने के मामले में सीधे क्लियरिंग कारपोरेशन से निवेशक के बैंक खाते में किया जाना चाहिए.
इसी प्रकार से म्यूचुअल फंड यूनिट्स की प्राप्ति और उसकी बिक्री सीधे निवेशकों के खाते में अथवा खाते से जारी किया जाएगा. इसमें ब्रोकर अथवा म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर्स, ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग? फाइनेंशियल एडवाइजर्स के पास किसी तरह का कोई भंडारण नहीं होगा जहां से वह नकदी अथवा यूनिटों का लेनदेन करते रहें.
Shares और Mutual Funds पर बहुत ही कम ब्याज पर ले सकते हैं लोन, बस रखना होगा इन बातों का ध्यान
Loan Against Shares & Mutual Funds : शेयर और म्यूचल फंड्स आपकी सम्पत्तियां हैं। आप इन पर लोन ले सकते हैं। वह भी असुरक्षित लोन की तुलना में बहुत ही कम ब्याज पर लोन ले सकते हैं। लेकिन आपको यहां बताए गए कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना होगा।
Updated Oct 15, 2022 | 03:54 PM IST
शेयरों और म्यूचल फंड्स पर उधार लेते समय ध्यान रखने योग्य बातें
Loan Against Shares & Mutual Funds : ईक्विटी होल्डिंग जैसे शेयरों या म्यूचल फंड यूनिट्स पर उधार लेना कोई आम बात नहीं है। लेकिन, यह फंड्स का और वह भी कम ब्याज दर पर, इंतजाम करने का सबसे सुविधाजनक और फास्ट तरीका है। ऐसे निवेशक जिन्होंने ईक्विटी-ओरिएन्टेड इंस्ट्रुमेंट्स में निवेश किया है, वह इस प्रकार के शेयरों और म्यूचल फंड्स पर अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन लेने पर विचार कर सकते हैं। आपके म्यूचल फंड्स यूनिट्स को रिडीम करवाने या आंशिक अथवा पूरी तरह से अपने शेयरों को बेचने की तुलना में यह बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। सिक्योरिटीज पर लोन लेने से आपका निवेश पहले की तरह ही बना रहता है और आप अपनी आपातस्थिति के लिए धन की व्यवस्था कर पाते हैं।
अपने म्यूचल फंड्स और ईक्विटी पर लोन लेते समय आपको निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण बातों को याद रखना चाहिए।
आपको यह तय कर लेना चाहिए की आपकी समस्त होल्डिंग्स, जिन्हें आप गिरवी रखना चाहते हैं, वह डिमैट फार्मेट में होनी चाहिए और समस्त केवाईसी-संबंधित ब्यौरा और दस्तावेज, क्या आप भारतीय निवासी हैं अथवा अनिवासी भारतीय आदि, ये सभी बातें आपके ब्रोकर या बैंक के पास अपडेटेड होनी चाहिए।
आमतौर पर केवल लिस्टेड कंपनियों के शेयरों पर ही लोन लिया जा सकता है। ये स्टॉक एक्स्चेंज से प्रतिबंधित या डिलिस्टेड इकाईयां ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग? नहीं होनी चाहिए। ऐसा ही म्यूचल फंड यूनिट्स पर भी लागू होता है। कमियों या चूक के कारण इन्हें फंड हाउस द्वारा अलग-अलग स्कीमों में नहीं रखा गया होना चाहिए। इसके अलावा, उधारदाताओं द्वारा खुद ही उन कंपनियों तथा फंड्स की सूची रखी जाती है जिन्हें उनके बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया गया होता है। यदि आपकी होल्डिंग्स इन दोनों श्रेणियों में नहीं आती हैं, तो उन्हे कोलेट्रल के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
जिन सिक्योरीटीज को आप कोलेट्रल के रूप में गिरवी रखते हैं, आमतौर उस होल्डिंग की वैल्यू का 50% से 80% लोन दिया जाता है। इसको अलग-अलग उधारदाताओं द्वारा भिन्न-भिन्न तय किया जाता है। लेकिन, इस तरीके से मिलने वाला न्यूनतम लोन 50,000/- रूपये और अधिकतम लोन राशि 20 लाख रूपये होती है।
म्यूचल फंड होल्डिंग्स और शेयरों पर लिए गए लोन के लिए ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। विशेष रूप से, पर्सनल लोन के साथ तुलना करने पर, सिक्योरीटीज पर लिए गए लोन के लिए ब्याज कम होता है। बैंक पर निर्भर करते हुए, आपसे प्रतिवर्ष 7-15% ब्याज लिया जा सकता है। लेकिन, ईक्विटीज पर लोन के संबंध में यह अच्छी बात होती है कि यह लोन ओवरड्राफ्ट लोन के रूप में उपलब्ध होता है, तथा आप केवल प्रयोग की गई राशि पर ब्याज का भुगतान करने के लिए जिम्मेवार होते हैं। उदाहरण के लिए, आपको अपने अकाउंट पर 5 लाख रुपए के ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्राप्त होती है। अगर आप 2 लाख रुपए निकलवाते हैं और उसे अपने अकाउंट में एक महीने में जमा कर देते हैं, तो आपको केवल 2 लाख रुपए के लिए एक ही महीने का ब्याज भुगतान करना होगा। संक्षेप में, आपको ब्याज केवल उसी राशि पर देना होता है जिसका आपने इस्तेमाल किया है न कि स्वीकृत की गई राशि पर।
आप जरूरत राशि के आधार पर अपनी सिक्योरीटीज को आंशिक या पूरी तरह से गिरवी रख सकते हैं। अगर राशि कम है, तो आप अपनी होल्डिंग्स के एक छोटे से हिस्से को गिरवी रख सकते हैं। यह निर्णय करने के लिए एक अंदाजा लगा लेना समझदारी की बात होती है कि आपको अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए कितनी कोलेट्रल को गिरवी रखना पड़ेगा। नेट बैंकिंग पर लॉग-इन करने के बाद, ओटीपी की पुष्टि के उपरांत, आप एनएसडीएल और सीडीएसएल जैसी शेयर डिपॉजट्रीज के पास ऑनलाइन ही अपनी होल्डिंग्स को गिरवी रख सकते हैं।
जब आप सिक्योरिटीज पर लोन लेते हैं, तो आपके गिरवी रखे गए शेयर या म्यूचल फंड्स पर लिए ग्रहणाधिकार बन जाता है। अनिवार्य रूप से इसके मायने हैं कि जब तक आप उधारदाता को राशि चुका नहीं देते हैं, तब तक आप उन सिक्योरीटीज की ट्रेडिंग या बिक्री नहीं कर सकते हैं।
यदि आप लोन अवधि के दौरान लोन राशि का ब्याज सहित भुगतान नहीं करते हैं, तो ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग? उधारदाताओं को आपको होल्डिंग्स को बेचने का अधिकार होता है और इस तरह से वह राशि की वसूली कर सकते हैं।
शेयर और म्यूचल फंड्स आपकी सम्पत्तियां हैं। इसलिए, आप उन पर लोन ले सकते हैं, तथा वह भी असुरक्षित लोन की तुलना में बहुत ही कम ब्याज पर लोन ले सकते हैं। लेकिन, उधारदाता आपके क्रेडिट स्कोर और पात्रता की जांच करेंगे और लोन को मंजूर करने से पहले वे आपकी यूनिट्स की वैल्यू का भी आंकलन करेंगे। इसके अलावा, शेयर और म्यूचल फंड्स पर लोन लेने से पहले, आपको अपनी जरूरत तथा रिपेमेंट क्षमता का भी आंकलन कर लेना चाहिए। सिक्योरीटीज पर लिए गए लोन के संबंध में चूक की लागत क्रेडिट स्कोर पर चोट पहुंचने के अलावा भी बहुत बड़ी हो सकती है। याद रखें कि यदि आप चूक करते हैं, तो आपको निवेश को गंवाना पड़ेगा। इसलिए, जब भी आप लोन लेने का फैसला करते हैं, तो विवेकशील बने और समय पर इसको चुकाएं ताकि आपको अपना निवेश न गंवना पड़े और आपके क्रेडिट स्कोर को भी नुकसान न हो।
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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