Today at #GoogleForIndia we announced a new $10B digitization fund to help accelerate India’s digital economy. We’re proud to support PM @narendramodi’s vision for Digital India - many thanks to Minister @rsprasad & Minister @DrRPNishank for joining us. https://t.co/H0EUFYSD1q — Sundar Pichai (@sundarpichai) July 13, 2020
ऋषि सुनक हो सकते हैं ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री, रेस में हैं सबसे आगे
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा दे दिया है. अगला प्रधानमंत्री कौन होगा, इसको लेकर अटकलों का दौर जारी है. कई नामों की चर्चा की जा रही है. इनमें से एक नाम ऋषि सुनक का भी है. ऋषि भारत की आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं. ऋषि को भारत समर्थक नेता के तौर पर जाना जाता है.
नई दिल्ली : बोरिस जॉनसन की सरकार में वित्त मंत्री रह चुके ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं. वह रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं. सुनक भारत की मशहूर आईटी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद हैं.
सुनक को 2020 में वित्त मंत्री बनाया गया था. उनके माता-पिता भारतीय मूल के हैं. वे 1960 के दशक में ब्रिटेन आकर बस गए थे. ऋषि का जन्म 1980 में ब्रिटेन के साउथम्पैटन में हुआ. वह तीन भाई-बहन हैं. उनकी मां दवा दुकान चलाती थीं, जबकि पिता डॉक्टर थे. ऋषि अपने भाई-बहन में सबसे बड़े हैं.
ऋषि ने ब्रिटेन के विंचेस्टर कॉलेज से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की है. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से फिलोसॉफी और इकोनोमिक्स की डिग्री प्राप्त की है. इसके बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया. ग्रैजुएशन कंप्लीट करने के बाद ऋषि ने गोल्डमैन साच के साथ काम की शुरुआत की. बाद में वह हेज एंड फर्म्स के पार्टनर बन गए.
ऋषि ने एक अरब पाउंड की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कंपनी की स्थापना की. उनकी कंपनी छोटे कारोबारों में निवेश में मदद करने का काम करती थी. इसके बाद वह राजनीति में आए.
वह जब स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे, तभी उनकी मुलाकात अक्षता मूर्ति से हुई. अक्षता, नायारण मूर्ति की बेटी हैं. यह मुलाकात संबंध में तब्दील हो गई. दोनों ने शादी कर ली. उनकी दो बेटी, कृष्णा और अनुष्का, हैं.
ऋषि 2015 में कंजरवेटिव पार्टी से सांसद बने. वह रिचमंड कई कारोबारों में निवेश से चुने गए थे. रिचमंड यॉर्कशर में पड़ता है. उन्होंने ब्रेग्जिट का समर्थन किया. इसके बाद उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई. ब्रिटिश पीएम टेरीजा मे की कैबिनेट में उन्हें जूनियर मंत्री के रूप में काम करने का मौका मिला.
फिटनेस को लेकर उन्हें काफी जुनूनी माना जाता है. वह फुटबॉल और क्रिकेट के शौकीन हैं. लोगों के बीच वह डिशी ऋषि के नाम से जाने जाते हैं.
ऋषि को बोरिस जॉनसन का समर्थक माना जाता था. सरकार की ओर से अधिकांश प्रेस ब्रीफिंग में वह चेहरा हुआ करते थे. लेकिन बाद में दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गईं.
कोरोना काल में उनकी भूमिका को लेकर खूब चर्चा रही. उन्होंने कोरोना काल में झटका खा चुके पर्यटन उद्योग को 10 हजार करोड़ का पैकेज दिया. उन्होंने यह भी फैसला किया कि किसी भी मजदूर की मजदूरी नहीं घटेगी.
बोरिस जॉनसन पार्टीगेट मामले में किरकिरी झले चुके हैं. इस मामले में ऋषि का भी नाम आया था. उन पर जुर्माना भी लगा. उन्हें फिक्स्ड पेनल्टी नोटिस जारी किया गया था. दरअसल, कोविड काल के दौरान मई 2020 में पीएम आवास पर शराब की एक पार्टी का आयोजन किया गया था. इसकी कुछ तस्वीरें मीडिया में लीक हो गईं. इसके बाद यह मामला तूल पकड़ गया. बोरिस को माफी मांगनी पड़ी थी. ऋषि की पत्नी अक्षता पर टैक्स चोरी के भी आरोप लग चुके हैं.
भारत को लेकर ऋषि का कहना रहा है कि ब्रिटेन, भारत को कमतर आंक रहा है. इससे उसे बचना चाहिए. ऋषि को प्रो-इंडियन के रूप में देखा जाता है.
भारत में 75 हजार करोड़ का निवेश करेगा गूगल, डिजिटल अर्थव्यवस्था में आएगी तेजी
सुंदर पिचाई ने लिखा कि ग्लोबल महामारी के चलते पूरी दुनिया में डिजिटल लेनेदन तेजी से बढ़ा है.
गूगल (Google) ने भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 10 बिलियन डॉलर (करीब 75,000 करोड़ रुपए) के निवेश की घोषणा की है. गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने देश में आयोजित हो रहे छठे गूगल फॉर इंडिया (Google For India) के कार्यक्रम में भारत में 75,000 करोड़ रुपए निवेश करने की बात कही.
सुंदर पिचाई ने कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए गूगल अगले 5-7 सालों में 75 हजार करोड़ रुपए निवेश करेगा.
भारत में निवेश का ऐलान उन्होंने आज हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बातचीत के बाद किया.
सुंदर पिचाई ने गूगल के ब्लॉग में इस निवेश के बारे में लिखा है जिसका शीर्षक है भारत के डिजिटल भविष्य में निवेश (Investing in India's digital future).
उन्होंने लिखा है कि तकनीक ने दुनिया को एक नई खिड़की प्रदान की है. इस खिड़की के माध्यम से पूरी दुनिया एक परिवार के रूप में नजदीक आ रही है.
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— Sundar Pichai (@sundarpichai) July 13, 2020
उन्होंने भारत के डिजिटलाइजेशन के बारे में लिखा कि छोटे कारोबारों का डिजिटलाइजेशन (digitization of small businesses) होने एक बड़ी कामयाबी की कहानी है. चार साल पहले महज एकतिहाई छोटे कारोबार ही ऑनलाइन सिस्टम का इस्तेमाल करते थे, जो कि अब बढ़कर 26 मिलियन हो गए हैं.
सुंदर पिचाई ने लिखा कि ग्लोबल महामारी के चलते पूरी दुनिया में डिजिटल लेनेदन तेजी से बढ़ा है. उदाहरण के लिए, डिजिटल भुगतान ने पूरे भारत में परिवारों को लॉकडाउन के दौरान वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंचने में सक्षम कई कारोबारों में निवेश बनाया है. उनके लिए, किराने की डिलीवरी सेवाएं अमूल्य हैं.
उन्होंने लिखा कि यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के विजन से ही मुमकिन हो पाया है.
प्रधानमंत्री से की बात
बता दें कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (Google कई कारोबारों में निवेश CEO Sundar Pichai) के बीच बातचीत हुई. प्रधानमंत्री ने इस बातचीत को बहुत ही सार्थक बताया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi)ने अपने ट्विटर अकांउट पर सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) के साथअपनी बातचीत की जानकारी शेयर करते हुए लिखा, 'आज सुबह सुंदर पिचाई के साथ एक फलदायी बातचीत हुई. हमने भारत के किसानों, युवाओं और उद्यमियों के जीवन को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति के इस्तेमाल सहित कई मुद्दों पर चर्चा की.'
कई कारोबारों में निवेश
अस्वीकरण :
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इन 7 स्टॉक्स में करें निवेश और फिर मजे से खाने-पीने और मूवी देखने पर खर्च करें कई कारोबारों में निवेश पैसे
Shares: बर्गर किंग, रेडिको खेतान, जुबिलेंट फूडवर्क्स, पीवीआर जैसोंं के स्टॉक्स में पैसा लगाना फायदेमंद रह सकता है.
- Rahul oberoi
- Updated On - June 7, 2021 / 01:26 PM IST
कोविड -19 महामारी ने कई कारोबारों को बेहाल कर दिया है, खासतौर पर टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर पर इसका बेहद बुरा असर पड़ा है. हालांकि, संक्रमण के नए मामलों में लगातार गिरावट और वैक्सीनेशन की मुहिम में तेजी के साथ ही कामकाज के जल्द ही पटरी पर लौटने की भी उम्मीद पैदा हो रही है.
लोग पार्टियों में जाने या फिल्म देखने के लिए अपने घरों से बाहर निकलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में पाबंदियां हटने और मॉल्स और बाजारों के खुलने पर लोग एंटरटेनमेंट और खाने-पीने पर जमकर पैसा खर्च करेंगे.
विलियम ओ’नील इंडिया ने 7 ऐसे शेयरों (Shares) का सुझाव दिया है जिन्हें अर्थव्यवस्था के अनलॉक होने से फायदा होने की उम्मीद है.
बर्गर किंग
कंपनी भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (QSR) चेन है. यह बर्गर, फ्राइज और पेय पदार्थ जैसे तमाम फास्ट फूड बेचती है.
दिसंबर 2020 तक बर्गर किंग कई कारोबारों में निवेश के देशभर में सब-फ्रैंचाइजी सहित 270 रेस्टोरेंट चल रहे हैं. विश्व स्तर पर यह दूसरी सबसे बड़ी फास्ट-फूड बर्गर चेन है. बर्गर किंग को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2022 में बिक्री वित्त वर्ष 2020 जैसी रहेगी. वहीं, वित्त वर्ष 2023 से 5 से 7% ग्रोथ की उम्मीद है.
वेस्टलाइफ डेवलपमेंट
ये कंपनी भी क्विक-सर्विस रेस्टोरेंट चलाती है. यह अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी हार्डकैसल रेस्टोरेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिए पश्चिमी और दक्षिणी भारत में मैकडॉनल्ड्स रेस्टोरेंट चलाती है.
PVR सिनेमाज भारत में स्क्रीन्स की संख्या के मामले में मार्केट लीडर है. इसने देश में सिनेमा देखने और दर्शकों के फिल्में देखने के तरीके में बड़ा बदलाव किया है.
इसके कुछ प्रमुख निवेश और अधिग्रहण नवंबर 2012 में सिनेमैक्स सिनेमाज (इससे PVR नेटवर्क में 138 नई स्क्रीन शामिल हुईं), मई 2016 में DT सिनेमाज (32 स्क्रीन) और अगस्त 2018 में एसपीआई सिनेमाज (76 स्क्रीन) हैं.
वित्त वर्ष 2020-2021 की तीसरी तिमाही के अंत तक, PVR भारत और श्रीलंका के 71 शहरों में 176 सिनेमाघरों में 845 स्क्रीन संचालित चल रही है, इनमें करीब 1.82 लाख लोगों के बैठने की क्षमता है.
आईनॉक्स लेजर (Inox Leisure)
कंपनी देश भर में स्क्रीन के कई डिस्टीब्यूशन के साथ भारत में सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स चेन में से एक है. गुजरे फाइनेंशियल ईयर की चौथी तिमाही के अंत में 69 शहरों में इसकी 648 स्क्रीन थीं.
वित्त वर्ष 2022 के बाद, कंपनी की योजना देश भर में 1650 स्क्रीनों की संख्या को बढ़ाते हुए और 958 स्क्रीन खोलने की है.
जुबिलेंट फूडवर्क्स
कंपनी भारत की सबसे बड़ी फूड सर्विस कंपनियों में से एक है. यह तीन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स डोमिनोज पिज्जा, डंकिन डोनट्स और पोपेयेज़ के मास्टर फ्रैंचाइजी राइट्स रखती है.
जुबिलेंट पिज्जा सेगमेंट में मार्केट लीडर है. “Ekdum” के लॉन्च के साथ, जुबिलेंट ने भारत के पसंदीदा बिरयानी सेगमेंट में भी एंट्री की है.
युनाइटेड स्पिरिट्स
कंपनी वॉल्यूम बिक्री के मामले में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शराब कंपनी है. यह डियाजियो की सहायक कंपनी है. इसके प्रमुख ब्रांड मैक डॉवेल्स नंबर 1, ब्लैक डॉग, जॉनी वॉकर, एंटीक्विटी, सिग्नेचर, रॉयल चैलेंज, स्मिरनॉफ और वैट 69 हैं.
कंपनी लांग टर्म की कहानी में विश्वास करती है. भारत में, अगले तीन से पांच वर्षों में लगभग 1.7 करोड़ लोगों के शराब पीने की कानूनी आयु (LDA) श्रेणी में शामिल होने की उम्मीद है.
रेडिको खेतान
रेडिको खेतान को पहले रामपुर डिस्टिलरी के नाम से जाना जाता था. इसने 1943 में कामकाज शुरू किया था. यह बल्क में शराब की एक प्रमुख सप्लायर है.
इसने मैजिक मोमेंट्स, कॉन्टेसा XXX रम और ओल्ड एडमिरल ब्रांडी, 8PM व्हिस्की के साथ अपने पोर्टफोलियो की शुरुआत की है. पिछले छह वर्षों से इसका शुद्ध कर्ज (Net debt) घट रहा है.
(डिस्क्लेमरः इस स्टोरी में की गई सिफारिशें संबंधित रिसर्च और ब्रोकरेज फर्म ने की हैं. मनी9 और इसके मैनेजमेंट इनकी निवेश सलाह की कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है. निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से राय लें.)
अपनी पूंजी बिना जांच पड़ताल के किसी भी चिटफंड कंपनियों में निवेश ना करें
दुर्ग 02 मार्च 2022 :- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन एवं राजेश श्रीवास्तव जिला न्यायाधीश /अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में राहुल शर्मा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा विधिक जागरूकता शिविर के माध्यम से बताया गया कि पिछले कुछ सालों में चिटफंड कंपनियों से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। लोग जल्द पैसा दो- तीन गुना करने के चक्कर में इन कंपनियों में निवेश करते हैं, लेकिन इसके बाद कंपनियां फरार हो जाती हैं। ऐसे कई कंपनियों के दफ्तर बंद हो गए। डायरेक्टर लापता हो गए। चिट फंड एक्ट-1982 के मुताबिक चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह एक साथ समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए। जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए ।
इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं। नियम के मुताबिक ये स्कीम किसी संस्था या फिर व्यक्ति के जरिए आपसी संबंधियों या फिर दोस्तों के बीच कई कारोबारों में निवेश चलाया जा सकता है लेकिन अब चिट फंड के स्थान पर सामूहिक सार्वजनिक जमा या सामूहिक निवेश योजनाएं चलाई जा रही हैं। ये बरतें सावधानियां – निवेश से पहले किसी भी चिटफंड कंपनी के बारे में पूरा पता करें। सरकार ने चिटफंड के बारे में कुछ गाइडलाइन दे रखी उस पर जरूर नजर रखें। जब कभी आपको किसी चिट फण्ड कंपनी में पैसा लगाना हो तो सबसे पहले यह जांच करें कि जिस राज्य में वह कंपनी है क्या वह कंपनी उस राज्य के रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड है या नहीं, सेबी ने चेतावनी जारी कर कहा था कि वह न किसी स्कीम या शेयर में निवेश की सलाह देता है और न ही किसी स्कीम लेने की सिफारिश करता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और बीमा नियमन एवं विकास प्राधिकरण भी निवेशकों के लिए चेतावनी जारी करती रही है।
चिट फंड कंपनियां इस काम को मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) में तब्दील कर देती हैं। मल्टी लेवल मार्केटिंग में कंपनियां मोटे मुनाफे का लालच देकर लोगों से उनकी जमा पूंजी जमा करवाती हैं। साथ ही और लोगों को भी लाने के लिए कहती हैं । बाजार में फैले उनके एजेंट साल, महीने या फिर दिनों में जमा पैसे पर दोगुने या तिगुने मुनाफे का लालच देते हैं। कम समय में अमीर बनने की चाहत में लोग अपनी कमाई को चिट फंड कंपनियों और एजेंटों के हवाले कर देते हैं ।चिट फंड कई साल से छोटे कारोबारों और गरीब लोगों के लिए पैसा लगाने का बड़ा स्रोत रहा है । भारत में चिट फंड का नियमन चिट फंड कानून कई कारोबारों में निवेश 1982 के द्वारा होता है। इस कानून के तहत चिट फंड कारोबार का पंजीयन व नियमन संबद्ध राज्य सरकारें ही कर सकती हैं। चिट फंड एक्ट 1982 के धारा 61 के तहत चिट रजिस्ट्रार की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है। चिट फंड के मामलों में कार्रवाई और न्याय निर्धारण का अधिकार रजिस्ट्रार और राज्य सरकार का ही होता है।2009 में सत्यम कंप्यूटर घोटाला तो 2013 में शारदा घोटाला सामने आया। ये घोटाले करोड़ों नहीं, वरन हजार करोड़ रूपए तक के थे। शारदा घोटाले में तो 34 गुना तक फायदा निवेशकों को देने की लालच दिया गया था। इस समूह के द्वारा अनेक कई कारोबारों में निवेश राज्यों के लगभग तीन सैकड़ा शहरों में अपनी शाखाएं खोलीं थीं, इसी तरह का एक घोटाला रोजवैली के नाम पर भी सामने आ चुका है । ऐसे में लोगों को जागरूक होने की बहुत आवश्यकता है कि वह अपने पूंजी बिना जांच पड़ताल के किसी भी चिटफंड कंपनियों में निवेश ना करे ।
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