कहां होता है निवेश?
Mutual Fund Investment: बाजार की गिरावट में इस तरह निवेश करना होता है फायदेमंद, लंबे समय बाद मिलता है तगड़ा मुनाफा
By: ABP Live | Updated at : 31 May 2022 07:59 AM (IST)
Mutual Fund Investment Tips: अक्सर जब निवेश की बात आती है तो निवेशक बाजार पूंजीकरण (Market capitalization) आधारित विकल्पों को देखते हैं. हालांकि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) की इस प्रक्रिया में जो चीज छूट जाती है वह है कांबिनेशन डील यानी मिला-जुला सौदा, जो लार्ज और मिडकैप श्रेणी के रूप में खास तौर पर मौजूद है. इसकी विशेषता यह है कि मिडकैप में निवेश लंबे समय में जहां ज्यादा फायदा देता है, वहीं लार्ज कैप में निवेश का उद्देश्य कम और अस्थिर उचित रिटर्न प्रदान करने का होता है.
ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरती है. इसमें पोर्टफोलियो (Portfolio) का कम से कम 35-35 प्रतिशत हिस्सा लार्ज और मिडकैप वाली कंपनियों में निवेश करने की अनिवार्यता है. इसलिए यह निवेश का यह एक बेहतर विकल्प है.
निवेश की पाठशाला: स्टॉक खरीदने से पहले कैसे करें होमवर्क, किन बातों का रखें ध्यान? जानिए जरूरी बातें
- News18Hindi
- Last Updated : October 15, 2022, 11:55 IST
हाइलाइट्स
स्टॉक खरीदने से पहले फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस जरूर निवेश की रणनीति करें.
विभिन्न लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश की अवधि तय करें.
बीते सालों में स्टॉक का प्रदर्शन और बड़े निवेशकों की हिस्सेदारी के बारे में पता लगाएं.
मुंबई. शेयर बाजार में पैसा बनाना आसान है लेकिन बिना जानकारी के भारी आर्थिक नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है. जब भी आप निवेश के उद्देश्य से स्टॉक खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो इससे पहले होमवर्क जरूर करें. क्योंकि आप अपनी मेहनत की कमाई को बाजार में निवेश कर रहे हैं. किसी भी कंपनी का स्टॉक खरीदने के लिए दो तरह के एनालिसिस करने होते हैं. पहला फंडामेंटल और दूसरा टेक्निकल एनालिसिस होता है. फंडामेंटल में कंपनी के बिजनेस और प्रॉफिट समेत कई पहलुओं का अध्ययन किया जाता है. वहीं, टेक्निकल एनालिसिस में स्टॉक के प्राइस को देखकर बाय और सेल की रणनीति बनाई जाती है.
शेयर बाजार में नुकसानदायक है 'महंगा खरीदो और सस्ता बेचो' की रणनीति, मुनाफा चाहिए तो हरगिज न करें ये गलतियां
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। कुछ साल पहले एक्सिस म्यूचुअल फंड की एक स्टडी के हवाले से खबर थी कि निवेशक जिस फंड में निवेश करते हैं, उसके मुकाबले उनका अपना रिटर्न कम रहता है। सरसरी तौर पर देखने पर ये बात निवेश का गणित समझने वाले किसी भी शख्स को बेतुकी लगेगी। मगर करीब से देखेंगे तो समझ जाएंगे कि यहां क्या हो रहा है। इसे समझने का राज गणित में नहीं, बल्कि लोगों के व्यवहार में छुपा है।
स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, एएमसी ने पिछले 20 साल में, मार्च 2022 तक मिलने वाले म्यूचुअल फंड रिटर्न जांचा। इस अंतराल में, सक्रिय रूप से मैनेज किए गए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 19.1 प्रतिशत सालाना रिटर्न मिला था। मगर इन फंड्स के निवेशकों ने केवल 13.8 प्रतिशत ही कमाया था। ये एक बड़ा फर्क है। पिछले 20 साल में, 19.1 प्रतिशत का मतलब है, एक लाख रुपये का निवेश बढ़कर 33 निवेश की रणनीति लाख रुपये हो गया। वहीं, 13.8 प्रतिशत का मतलब है ये केवल 13.3 लाख ही हो पाया। ये जिंदगी बदल देने वाला फर्क है। इसी तरह, हाइब्रिड फंड्स ने 12.5 निवेश की रणनीति प्रतिशत रिटर्न दिया, मगर निवेशकों ने करीब 7.4 प्रतिशत कमाए। फिर से ये फर्क बहुत बड़ा है। एक लाख निवेश करने पर, असल में ये फर्क 10.5 लाख और 4.2 लाख का हुआ।
उत्साह में खरीदो, घबराहट में बेचो
मेरे अनुभव में ये आम बात है। मुझे हमेशा ही लगता रहा है कि फंड को मिलने वाले असल मुनाफे के मुकाबले निवेशक कहीं कम मुनाफा कमाते हैं। पर ऐसा होता क्यों है? दरअसल, हम निवेशक अपने ही सबसे बड़े दुश्मन हैं। एक तरफ, हम निवेश के लिए बेस्ट म्यूचुअल फंड चुनने पर अमादा रहते हैं। दूसरी तरफ हम फंड्स को गलत समय पर खरीदते और बेचते हैं। और ये काम कुछ इस तरह करते हैं कि मुनाफे के कम होने की गारंटी हो जाए। नतीजा ये होता है कि हम फंड तो अच्छे चुनते हैं, पर बैंक के फिक्स्ड डिपाडिट से बेहतर रिटर्न नहीं कमा पाते। बुनियादी तौर पर, इसे 'उत्साह में खरीदो, घबराहट में बेचो' कहा जा सकता है।
इस जुमले का निवेश की रणनीति मतलब साफ है। लोग तभी निवेश करते हैं, जब इक्विटी मार्केट में उत्साह छाया हो। यानी जब दाम पहले ही आसमान छू रहे होते हैं। फिर बेचते तब हैं जब इक्विटी के दाम क्रैश कर रहे होते हैं। कुल मिला कर इसका मतलब हुआ, 'महंगा खरीदो, सस्ता बेचो'। ये उसके ठीक उलट है जो किया जाना चाहिए। बजाए निवेश की 'श्रेष्ठ' रणनीति पता करने के, ऐसा व्यवहार निवेश की 'निकृष्ट' रणनीति की तरफ ले जाता है।
न करें ये गलतियां
नोट करें कि यहां म्यूचुअल फंड्स की बात सिर्फ इसलिए हो रही है, क्योंकि बात शुरू ही हुई थी एक म्यूचुअल फंड कंपनी की स्टडी से। यही बात इक्विटी निवेशकों पर भी लागू होती ही। हालांकि इक्विटी में इस तरह की साफ सुथरी तुलना मुश्किल है। असल में, स्टाक में दो तरह की गलतियां होती हैं, पहली है जल्दी बेच देना और दूसरी है बेचने में बहुत देर कर देना। और हां, स्टाक निवेश एक अलग तरह का निवेश भी है।
लोग स्टाक खरीदते हैं, और निवेश की रणनीति जब उन्हें लगता है कि ये उतना बढ़ गया है जितना बढ़ सकता था, तब वो उसे बेच देते हैं और इस तरह से अपना मुनाफा भुना लेते हैं। असल में, उन्हें लगता है कि ऐसा न करने से उनका मुनाफा हाथ से निकल जाएगा, या कम हो जाएगा। और बाद में पछताना पड़ सकता है या नुकसान की शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है जो बुरी बात होगी।
निवेशकों का मनोविज्ञान
मुनाफे को कुछ जल्दी भुना लेने में, निवेशक जीत पक्की करने के लिए निवेश की रणनीति प्रेरित होते हैं। और किसी खराब निवेश को बनाए रखने में उनकी प्रेरणा हार से बचने की होती है। काश, कह पाता कि एक बार निवेशक इस मुश्किल को समझ लेते, तो वो इन गलतियों से बचने के लिए कदम उठा सकते हैं। मगर जिन गलतियों की जड़ें निवेशकों के मनोविज्ञान से जुड़ी हों, उसे समझ जाने के बावजूद ठीक कर पाना आसान नहीं होता।
(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)
Investment Tips: इस साल निवेश के लिए अपनाएं ये खास रणनीति, एक्सपर्ट्स ने इन सेक्टर्स के शेयरों को दी खरीदने की सलाह
इस साल रणनीति बनाते समय लांग टर्म निवेशकों को एक्टिव मैनेजमेंट और मल्टी एसेट/एसेट एलोकेशन की रणनीति अपनानी चाहिए. (Image- Reuters)
Investment Tips: पिछले दशक में नकदी की आसान उपलब्धता और दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में कटौती के चलते इक्विटी मार्केट का प्रदर्शन शानदार रहा. पिछले एक साल की बात करें तो कोरोना महामारी के झटकों से उबरने के लिए इकोनॉमी में पर्याप्त नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई. हालांकि अब पर्याप्त मात्रा में नकदी के कारण बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों ने निवेश की रणनीति धीरे धीरे बाजार से अतिरिक्त नकदी वापस लेने के संकेत दिए हैं. इसका असर भारत समेत दुनिया भर के बाजारों पर पड़ सकता है. ऐसे में इस साल रणनीति बनाते समय लांग टर्म निवेशकों को एक्टिव मैनेजमेंट और मल्टी एसेट/एसेट एलोकेशन की रणनीति अपनानी चाहिए.
रणनीति बनाते समय इन बातों का रखें ख्याल
मौजूदा परिस्थितियों वैल्यूएशन, साइकिल, ट्रिगर्स और सेंटीमेंट के आधार पर भारतीय बाजार मजबूत दिख रहा है.
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मीडियम टर्म में निवेशकों को सावधान रहने की जरूरत
- लांग टर्म में इक्विटी मार्केट बेहतर परफॉर्म कर सकता है लेकिन मीडियम टर्म में निवेशकों को सावधान रहने की जरूरत है.
- वैश्विक व घरेलू बाजारों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए निवेश की रणनीति सक्रिय रूप से इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट और मल्टी एसेट स्ट्रेटजी अपनाकर शॉर्ट टर्म में बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
- अगर आपके पोर्टफोलियो में अधिक रिस्क वाले एसेट्स हैं तो इनका वेटेज कम करने का यह बेहतर समय है.
- सिर्फ एक एसेट क्लास पर फोकस करने की बजाय कई एसेट क्लास में निवेश की रणनीति अपनानी चाहिए. अगर आप सिर्फ इक्विटी में निवेश की सोच रहे हैं तो जिसमें कई कंपनियों व सेक्टर्स में निवेश की फ्लेक्सिबिलिटी हो.
- सेक्टरवाइज बात करें निवेश की रणनीति तो ऑटो, बैंक, टेलीकॉम और डिफेंस स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं. वहीं कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स में निवेश को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि महामारी के बाद भी यह सेक्टर खपत को लेकर जूझ रहा है.
फुटबौल विश्वकप से सीखें निवेश की रणनीति
फीफा वर्ल्ड कप 15 जून से शुरू हो चुका है. यह खेल निवेश के लिहाज से भी कई रणनीतियों के बारे में बताता है. फुटबौल आपको निवेश करने के कई अहम गुण सिखा सकता है.
फीफा वर्ल्ड कप 15 जून से शुरू हो चुका है. यह खेल निवेश के लिहाज से भी कई रणनीतियों के बारे में बताता है. फुटबौल आपको निवेश करने के कई अहम गुण सिखा सकता है. यह बताने की जरूरत नहीं कि यहां टीम हर मैच के लिए अलग रणनीति बनाती है और टूर्नामेंट में खिताबी कब्जा करने के लिए अपनी विशेष रणनीति पर काम करती है.
फीफा वर्ल्ड कप 2018 हमें खेल के साथ ही कई निवेश मंत्र सिखाता है. यह खबर आपको इन्हीं विशेष रणनीति के बारे में बताएगी.
खुद को रखें अपडेट
फुटबौल टीम प्रतिस्पर्धी टीम के बारे में स्टडी कर रणनीति निवेश की रणनीति तैयार करने पर जोर देता है. निवेश के दौरान भी आपको निवेश पर असर डालने वाली क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों की जानकारी होनी चाहिए. इसी तरह आपको भी नियमित रूप से निवेश से पहले पूरी तरह से रिसर्च करनी चाहिए. बाजार की अस्थिरता में कभी भी हड़बड़ाना नहीं चाहिए.
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