Technical View : निफ्टी एक महीने के निचले स्तर पर फिसला, अब 18,150 के लेवल पर रहेगी ट्रेडर्स की नजरें
निफ्टी की कल की चाल पर राय देते हुए Kotak Securities के श्रीकांत चौहान ने कहा कि इसमें 18,130 के साथ-साथ 18,144 के स्तर सपोर्ट के रूप में कार्य कर सकते हैं। इसके बाद सपोर्ट स्तर 18,000 के लेवल पर है। श्रीकांत ने कहा कि इस लेवल को ब्रेक करने इंडेक्स तेज गिरावट आ सकती है। जबकि ऊपर की तरफ ये 18,350-18,450 के जोन में अटकता दिखाई दे सकता है
Hem Securities के मोहित निगम ने कहा कि बैंक निफ्टी में मुख्य रेजिस्टेंस 43,000 के स्तर पर नजर आ रहा है। जबकि सपोर्ट 42,000 के स्तर पर दिखाई दे रहा है
आज बुधवार 21 दिसंबर क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं को निफ्टी एक महीने के निचले स्तर पर लुढ़क गया। चीन में कोविड मामलों में तेजी आई। इसके साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बढ़ते डर का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा। आज निफ्टी 18,435 पर ऊपर खुलने के बाद इंडेक्स दिन के उच्च स्तर 18,473 पर चढ़ गया था। लेकिन सुबह के कारोबार के दौरान ही इंडेक्स ने अपनी सारी बढ़त गंवा दी। दोपहर के सत्र में यह 18,163 के दिन के निचले स्तर तक गिर गया। निफ्टी 186 अंक या एक प्रतिशत की गिरावट के साथ 18,199 पर बंद हुआ। आईटी और फार्मा को छोड़कर सभी सेक्टोरल इंडेक्स नीचे गिरकर बंद हुए।
कल कैसी रहेगी निफ्टी की चाल
निफ्टी ने पिछले दिन के निचले स्तर और इसके क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं 9 डेली मूविंग एवरेज (18,440) के स्तर को तोड़ दिया। लेकिन फिर भी 21-22 नवंबर के निचले स्तर 18,130 के साथ-साथ 50- डीएमए (18,144) के निचले स्तर को होल्ड करने में कामयाब रहा।
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स्पेंड मैनेजमेंट एक ऐसा मैकेनिज्म है जिसमें खर्च को पूरी तरह रिव्यू और निरीक्षण किया जाता है. स्पेंड मैनेजमेंट दो बातों पर निर्भर करता है. पहला, डिजिटल पेमेंट का नेटवर्क कितनी दूर तक फैला है और दूसरा, ऑपरेशन कितना प्रभावी है.
डिजिटल के इस दौर में भारत लगातार आगे बढ़ रहा है. आंकड़ो की बात करें तो भारत में कारोबार पर खर्च करने की गति भी लगातार बढ़ रही है. Kearney कंसल्टिंग और बिजनेस स्पेंड मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म EnKash की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों की ओर से किए जाने वाले खर्च का आंकड़ा साल 2030 तक 15 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच सकता है. मौजूदा समय में यह आंकड़ा 6 से 7 ट्रिलियन डॉलर पर मौजूद है. इनमें बड़े कॉरपोरेट, मिड मार्केट एंटरप्राइजेज और स्टार्टअप्स शामिल हैं.
देश में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल ट्रांजैक्शन
पिछले छह सालों में, मासिक आधार पर रजिस्टर की गई कंपनियों की संख्या से संकेत मिलता है कि भारत ग्रोथ के रास्ते पर है. यही वजह है कि देश में बड़े पैमाने पर बिजनेस ट्रांजैक्शन हो रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, क्योंकि भारत का बिजनेस इकोसिस्टम बढ़ रहा है, तो बी टू बी ट्रांजैक्शन की संख्या में भी इजाफा देखा जा रहा है. महामारी के आने के बाद डिजिटल पेमेंट्स का चलन बढ़ा है. इसलिए, कारोबार के स्तर पर भी डिजिटल ट्रांजैक्शन की वैल्यू में बढ़ोतरी देखी गई है.
कैसे होता है स्पेंड मैनेजमेंट
स्पेंड मैनेजमेंट एक ऐसा मैकेनिज्म है जिसमें खर्च को पूरी तरह रिव्यू और निरीक्षण किया जाता है. स्पेंड मैनेजमेंट दो बातों पर निर्भर करता है. पहला, डिजिटल पेमेंट का नेटवर्क कितनी दूर तक फैला है और दूसरा, ऑपरेशन कितना प्रभावी है. जब छोटे उद्योग और स्टार्टअप्स खर्चों को मैनुअली मैनेज करते हैं, तो यह पेपरवर्क से भरी प्रक्रिया होती है. यह प्रोसेस धीमी होती है और इसमें देरी होने की संभावना रहती है. इसमें रूकावटें आने के पीछे वजहों में खराब वेंडर मैनेजमेंट, देरी की वजह से लेट पेमेंट फीस का भुगतान और ऑडिट की लंबी प्रोसेस शामिल है.
ऐसे मिलती है सुविधाएं
किसी भी कारोबार को बेहतर बनाने और इस्तेमाल करने में आसान बी-टू-बी स्पेंड्स मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म की जरूरत होती है. रिपोर्ट के मुताबिक, कॉरपोरेट स्पेंड्स मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म की मदद से छोटे और मध्यम उद्योग अपने फाइनेंस को देख सकते हैं और उन्हें बेहतर बनाने की ओर काम कर सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेंड मैनेजमेंट सोल्यूशन्स का एक बड़ा उदाहरण तेजी से बढ़ती कंपनी EnKash है. कंपनी फाइनेंस सोल्यूशन्स में अलग-अलग प्रोडक्ट ऑफर करती है, जिनमें एक्सपेंस मैनेजमेंट, बड़े बैंकों के साथ पार्टनरशिप के जरिए कॉरपोरेट कार्ड और पल्ग एंड प्ले कार्ड्स वाला कार्ड एक्स शामिल हैं.
क्रेडिट कार्ड्स का मिलेगा फायदा
कॉरपोरेट कार्ड सोल्यूशन में क्रेडिट कार्ड मिलेगा, जो कोलेटरल फ्री होगा. इसके अलावा कई क्रेडिट कार्ड्स का फायदा मिलेगा, जिसमें रेंटल पेमेंट्स, बिल पेमेंट आदि किए जा सकेंगे. इसके साथ गिफ्ट कार्ड का भी बेनेफिट मिलेगा. इस सुविधा के जरिए कारोबारी GST या दूसरे बिल भुगतान के लिए ऑटो-फ़ेच और रिमाइंडर सिस्टम डाल सकते हैं जिसे उन्हें तय समय पर बिल भुगतान करने में आसानी हो सके. इस सिस्टम के जरिए छोटे से लेकर बड़े कॉर्पोरेट 50 फीसदी तक अपना समय बचा सकते हैं. दरअसल EnKash जैसे स्पेंड मैनेजमैंट प्लेटफॉर्म कारोबार के दक्षता को 40 फीसदी तक बढा सकता है. वहीं इस सिस्टम के जरिए मैनुअल काम को करने में जो समय लगता है उसे भी 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है जिसके चलते किसी भी ऑर्गेनाइजेशन की सेविंग 30 फीसदी तक बढ़ सकती है.
मैनुअल प्रोसेस में लगता है ज्यादा समय
इसे और अच्छी तरह समझने के लिए इसकी तुलना मैनुअल सिस्टम से कर सकते हैं. दरअसल मैनुअल सिस्टम में कारोबारी को फाइनेंस टीम और कागजों पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है. मैनुअल प्रोसेस में ज्यादा समय लगता है फिर चाहे वो कैश प्लो मैंटेन करना हो या फिर कैश और बैंक बैलेंस का मिलान करना हो. वहीं दूसरी ओर अगर हम डिजिटाइज्ट सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं तो इसके जरिए हम ग्राहकों को समय पर बिना ज्यादा मेहनत के चलान भेज सकते हैं. वही इसके जरिए पेमेंट प्रक्रिया भी तेज होती है क्योंकि यहां हम रिमाइंडर सेट कर सकते हैं.
Bear Trap क्या है?
बियर ट्रैप एक तकनीकी पैटर्न है जो तब होता है जब किसी स्टॉक, इंडेक्स या किसी अन्य वित्तीय साधन की कीमत कार्रवाई गलत तरीके से एक अपट्रेंड से डाउनट्रेंड में रिवर्सल का संकेत देती है। दूसरे शब्दों में, कीमतें एक व्यापक-आधारित झुकाव में अधिक बढ़ सकती हैं, केवल महत्वपूर्ण मौलिक प्रतिरोध या परिवर्तन का सामना करने के लिए। यह कीमतों में गिरावट के संकेत से लाभ की उम्मीद में, शॉर्ट पोजीशन खोलने के लिए बियर को प्रेरित करता है।
एक बियर वित्तीय बाजारों में एक निवेशक या व्यापारी है जो मानता है कि सुरक्षा की कीमत में गिरावट आने वाली है। बियर यह भी मान सकते हैं कि वित्तीय बाजार की समग्र दिशा में गिरावट आ सकती है। एक मंदी की निवेश रणनीति एक परिसंपत्ति की कीमत में गिरावट से लाभ का प्रयास करती है, और इस रणनीति को लागू करने के लिए अक्सर एक छोटी स्थिति को क्रियान्वित किया जाता है।
एक छोटी स्थिति एक व्यापारिक तकनीक है जो एक दलाल से एक मार्जिन खाते के माध्यम से किसी संपत्ति के शेयरों या अनुबंधों को उधार लेती है। निवेशक उन उधार उपकरणों को बेचता है, जब कीमत गिरती है, गिरावट से लाभ की उम्मीद करते हुए उन्हें पुनर्खरीद करता है। जब एक बियरिश निवेशक मूल्य में कमी के समय की गलत पहचान करता है, तो एक बियर ट्रैप में फंसने का जोखिम बढ़ जाता है।
बियर के जाल में गिरने से कैसे बचें ? [How to avoid falling into the bear trap?]
क्या आप कभी अप्रत्याशित ट्रेंड रिवर्सल से प्रभावित हुए क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं हैं - बाजार शुरू में केवल स्विच करने और फिर से उठने के लिए डाउनट्रेंड का संकेत देता है? इस प्रकार की स्थिति को बियर ट्रैप कहा जाता है।
बेयर ट्रैप एक बोलचाल का शब्द है जिसका उपयोग बाजार में मंदी की संभावित शुरुआत को इंगित करने के लिए किया जाता है। लेकिन जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक जाल है। इसके बजाय बाजार थोड़े ठहराव के बाद स्थिर विकास में टूट जाता है। बेयरट्रैप किसी भी बाजार, स्टॉक, इंडेक्स या अन्य वित्तीय साधनों में हो सकता है।
बियर जाल कैसे काम करता है? [How does beer trap work?]
एक बियर जाल व्यापारियों को यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि वित्तीय साधन की कीमत में गिरावट के साथ गिरावट का रुझान है। लेकिन संपत्ति का मूल्य स्थिर रहता है, या सबसे खराब, रैलियों, जिस स्थिति में आपको नुकसान उठाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। एक बुलिश ट्रेडर एसेट की घटती कीमत में शॉर्ट पोजीशन ले सकता है, जबकि एक बेयरिश ट्रेडर कीमत के एक निश्चित स्तर तक गिरने पर बायबैक के लिए शार्ट पोजीशन ले सकता है। लेकिन बियर ट्रैप में ट्रेंड रिवर्सल विपरीत दिशा में होता है।
बियर जाल औसत निवेशकों को कैसे प्रभावित करते हैं? [How do beer traps affect average investors?]
बियर के ट्रैप का विशिष्ट दीर्घकालिक, बाय-एंड-होल्ड निवेशक पर कोई वास्तविक प्रभाव नहीं होता है। शुरुआत करने वालों के लिए, औसत निवेशक के पास तेजी से पूर्वाग्रह है, उम्मीद है और यहां तक कि उम्मीद है कि शेयर बाजार समय के साथ बढ़ेगा। शॉर्ट पोजीशन लेकर बाजार के खिलाफ दांव लगाना आम तौर पर औसत निवेशक के शस्त्रागार में नहीं होता है। वास्तव में, तेजी से निवेशकों के लिए, भालू जाल वास्तव में एक अवसर का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब कीमतें गिरती हैं, तो लंबी अवधि के निवेशक आमतौर पर कम कीमतों पर अतिरिक्त शेयर खरीदकर लाभ उठा सकते हैं। यदि बाजार बिकवाली के बाद नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर लौटता है - कुछ ऐसा जो ऐतिहासिक रूप से हमेशा से होता आया है - इन तेजी से निवेशकों को अंततः कीमतों में वृद्धि से लाभ होता है। Bear Put Spread क्या है?
बेशक, जिस तरह बाजार में बियर के ट्रैप हैं, वैसे ही Bull के ट्रैप भी हैं, और ये आम निवेशक की यात्रा करने की अधिक संभावना हो सकती है। एक बियर ट्रैप के विपरीत तरीके से काम करते हुए, एक बुल ट्रैप ट्रेडिंग पैटर्न कीमतों में तेज वृद्धि द्वारा दर्शाया जाता है जो तेजी से निवेशकों को आकर्षित करता है, केवल उन कीमतों को तेजी से बदलने और गिरने के लिए। उच्च कीमतों की प्रवृत्ति की सवारी करने की उम्मीद में बाजार में ढेर लगाने वाले निवेशकों को तुरंत अपने पदों पर पैसा खोने की संभावना का सामना करना पड़ता है।
100 Days of Bharat Jodo Yatra : सौ दिन क्या तकनीकी संकेतक बेकार हैं में कहां पहुंचा राहुल गांधी का सियासी सफर? कांग्रेस को क्या हुआ फायदा?
Bharat Jodo Yatra 100 Days: 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो पदयात्रा करीब 150 दिनों में 3500 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करके श्रीनगर में खत्म होगी. फिलहाल यह यात्रा राजस्थान से होकर गुजर रही है.
Bharat Jodo Yatra : राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में अब तक 2800 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चल चुके हैं. (Photo: Twitted [email protected])
100 days of Bharat Jodo Yatra : कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन शुक्रवार को होने वाले हैं. इस दौरान राहुल गांधी और उनके साथ लगातार चलने वाले भारत यात्री 2800 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय कर चुके हैं. इस दरम्यान यह यात्रा देश के 7 राज्यों – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश का सफर पार कर चुकी है और फिलहाल 8वें राज्य राजस्थान से होकर गुजर रही है. लेकिन सवाल ये है कि राहुल गांधी, कांग्रेस और उनकी सियासत पर इस पदयात्रा का क्या असर पड़ रहा है या आगे चलकर पड़ेगा?
कांग्रेस को इस यात्रा से क्या मिला?
भारत जोड़ो यात्रा के बारे में यह सवाल अक्सर पूछा जाता है. कांग्रेस के विरोधी ही नहीं, समर्थक भी जानना चाहते हैं कि राहुल गांधी के कन्याकुमारी से कश्मीर तक हजारों किलोमीटर पैदल चलने से क्या कांग्रेस का चुनावी प्रदर्शन बेहतर हो जाएगा? हाल ही में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव इस सवाल का जवाब देने में कोई खास मददगार साबित नहीं होते, क्योंकि न सिर्फ दोनों राज्यों के नतीजे अलग-अलग आए हैं, बल्कि भारत जोड़ो यात्रा इन दोनों ही राज्यों से होकर नहीं गुजरी है. ऐसे में ये कहना मुश्किल है कि राहुल गांधी की पदयात्रा अगर इन राज्यों से होकर गुजरती तो उसका क्या असर पड़ता.
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चुनावी राज्यों में पदयात्रा न करने पर उठे सवाल
कई लोग यह सवाल भी उठाते हैं कि दोनों चुनावी राज्यों को पदयात्रा के रूट से बाहर क्यों रखा गया? यह सवाल पूछने वालों में मुख्य तौर पर दो तरह के लोग हैं. कुछ विश्लेषकों, कांग्रेस सदस्यों या समर्थकों को लगता है कि राहुल गांधी की पदयात्रा को अब तक लोगों का शानदार रिस्पॉन्स मिला है. जिसे देखते हुए उनके गुजरात और हिमाचल प्रदेश में जाने से कांग्रेस को फायदा होता. दूसरी तरफ ऐसे लोग भी हैं, जो कहते हैं कि राहुल गांधी जानबूझकर चुनावी राज्यों में अपनी यात्रा लेकर नहीं गए, क्योंकि उन्हें पता था इससे कोई चुनावी फायदा नहीं होगा और ऐसा होने पर पदयात्रा को लेकर बनी सारी हवा बिगड़ जाती.
यात्रा के रूट में कई चुनावी राज्य भी शामिल हैं
भारत जोड़ो यात्रा के चुनावी राज्यों में जानबूझकर न जाने के आरोपों के बावजूद इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि राहुल गांधी की पदयात्रा के रूट में कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इन चुनावों के नतीजों से शायद इस सवाल का बेहतर जवाब मिल पाएगा कि राहुल गांधी का हज़ारों किलोमीटर पैदल चलना और इस दौरान आम लोगों से लगातार मिलना-जुलना चुनावी नजरिए से कितना असरदार या बेअसर साबित हुआ.
(Photo: Twitted [email protected])
कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने की कोशिश
बहरहाल, पदयात्रा पर नजर रखने वाले बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि राहुल गांधी की यह मेहनत बेकार नहीं जा रही है. वे अपने समर्थकों के साथ-साथ विरोधियों का भी ध्यान खींचने में सफल रहे हैं. साथ ही वे जिन राज्यों से होकर गुज़रे हैं, वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों में नया जोश देख को मिला है और संगठन में पहले से ज्यादा एकजुटता भी आई है. राजस्थान एक ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस में दो विरोधी गुट सबसे ज्यादा खुलकर आमने-सामने नजर आते हैं. फिर भी भारत जोड़ो यात्रा के लिए दोनों ने मेहनत की. उनमें आपसी रस्साकशी के साथ ही साथ यात्रा के लिए ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने की होड़ भी साफ नजर आई. यही वजह है कि अब तक राजस्थान में पदयात्रा को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है और कांग्रेस की आपसी फूट के कारण उसके फ्लॉप होने जैसे अनुमान धरे के धरे रह गए.
(Photo: Twitted [email protected])
कितनी चमकी राहुल गांधी की इमेज?
कन्याकुमारी से कश्मीर तक 3500 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पैदल तय करने के बाद राहुल गांधी ऐसा करने वाले देश के इकलौते मौजूदा राजनेता बन जाएंगे. क्या इसके बाद उनके आलोचक भी बिना हिचके राहुल को अनिच्छुक राजनेता (Reluctant Politician) या कह पाएंगे? लगता यही है कि ऐसा करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा.
इस यात्रा से नेहरू-गांधी परिवार पर लगने वाले इस आरोप की धार भी कमजोर हो रही है कि वे जनता से दूरी बनाकर रखते हैं. राहुल गांधी पर ऐसे आरोप विरोधियों के अलावा कांग्रेस छोड़कर जाने वाले नेता भी लगाते रहे हैं. लेकिन भारत जोड़ो यात्रा की सबसे ज्यादा चर्चित और लोकप्रिय चीज है आम लोगों के बीच घुले-मिले, उनके साथ बेतकल्लुफी के पल शेयर करते राहुल गांधी की वायरल होती तस्वीरें! जिन्हें कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों के अलावा उन लोगों ने भी देखा और पसंद किया है, जो कांग्रेस के समर्थक नहीं रहे हैं. इन तस्वीरों ने नेहरू-गांधी परिवार पर जनता से कटे होने के आरोपों की जड़ में मट्ठा डालने का काम किया है.
सामाजिक प्रगति सूचकांक में ओडिशा नीचे से पांचवें स्थान पर
सामाजिक प्रगति सूचकांक (एसपीआई) में ओडिशा को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नीचे से पांचवां स्थान मिला है। इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस एंड सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव द्वारा तैयार किए गए और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य को टीयर वी में तीन निम्न सामाजिक प्रगति वाले राज्यों में रखा गया है।
48.19 के समग्र स्कोर के साथ, ओडिशा 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 32वें स्थान पर है। जबकि पुडुचेरी 65.99 के स्कोर के साथ शीर्ष पर है, लक्षद्वीप, गोवा और सिक्किम 65 से ऊपर के स्कोर के साथ क्रमशः दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं।
एसपीआई एक व्यापक उपकरण है जो राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर राज्य की सामाजिक प्रगति के समग्र माप के रूप में कार्य करता है। इसने राज्यों और जिलों का मूल्यांकन सामाजिक प्रगति के तीन महत्वपूर्ण आयामों - बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं, कल्याण की नींव और अवसर के 12 घटकों के आधार पर किया है।
जबकि बुनियादी मानवीय जरूरतों के घटक ने पोषण और बुनियादी चिकित्सा देखभाल, पानी और स्वच्छता, व्यक्तिगत सुरक्षा और आश्रय के मामले में राज्य और जिलों के प्रदर्शन का आकलन किया है, कल्याण घटक की नींव ने बुनियादी ज्ञान तक पहुंच के संबंध में की गई प्रगति का मूल्यांकन किया है। , सूचना और संचार, स्वास्थ्य और कल्याण और पर्यावरण की गुणवत्ता।
इसी तरह, अवसर घटक ने व्यक्तिगत अधिकारों, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, समावेशिता और उन्नत शिक्षा तक पहुंच पर ध्यान केंद्रित किया है। राज्य के कम से कम 19 जिलों में सामाजिक प्रगति कम थी और छह में सामाजिक प्रगति बहुत कम थी। 38.5 पर, ओडिशा पानी और स्वच्छता संकेतक के तहत सबसे कम स्कोर वाले राज्यों में से एक था। मलकानगिरी में सबसे कम 26.26 प्रतिशत (पीसी) घरों में नल के पानी की आपूर्ति है और नुआपाड़ा 92.23 पीसी घरों में नल के पानी की आपूर्ति के साथ राज्य में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला जिला है।
व्यक्तिगत सुरक्षा में ओडिशा ने 33.04 अंक हासिल कर खराब प्रदर्शन करने वाले राज्यों में जगह बनाई। महिलाओं के खिलाफ अपराध में ओडिशा को असम, दिल्ली, तेलंगाना, हरियाणा और राजस्थान के साथ जोड़ा गया है, जहां अपराध दर 90 से ऊपर है। सूचना और संचार तक पहुंच में, राज्य ने बिहार और झारखंड से नीचे रहने के लिए सबसे कम 23.71 स्कोर किया। 18.66 पर, नबरंगपुर कम प्रदर्शन करने वालों में से था।
224 जिलों में से 16 ओडिशा से थे जहां एनीमिया का प्रसार खतरनाक स्तर पर बढ़ गया है। राज्य ने बुनियादी मानवीय जरूरतों में 39.42, भलाई के आधार पर 47.96 और अवसरों में 57.18 अंक हासिल किए हैं। हालांकि, ओडिशा में सबसे ज्यादा 90.5 फीसदी बच्चों का पूर्ण टीकाकरण हुआ है।
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