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RBI आज लॉन्च करेगा डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोग्राम, इन 9 बैंकों में होगा लेनदेन

पायलट प्रोजेक्ट के लिए अभी देश के 9 बैंक-स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक को शामिल किया गया है.

RBI आज लॉन्च करेगा डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोग्राम, इन 9 बैंकों में होगा लेनदेन

देश में डिजिटल रुपी यानी कि डिजिटल करेंसी लॉन्च करने का रास्ता साफ हो गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा है कि डिजिटल रुपी का पहला पायलट प्रोजेक्ट 31 अक्टूबर (मंगलवार) को शुरू होने जा रहा है. इस डिजिटल रुपये को सीबीडीसी यानी कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के रूप में जाना जाएगा. रिजर्व बैंक इस डिजिटल करेंसी का पायलट लॉन्च करने जा रहा है. शुरू में यह बात सामने आ गई थी कि रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल रुपी लेकर आएगा.

रिजर्व बैंक ने यह बात पहले ही बता दी थी. अब वह दिन आ गया है जब देश की पहली डिजिटल करेंसी 31 अक्टूबर को लॉन्च होने जा रही है. अभी यह डिजिटल रुपी होलसेल सेगमेंट के लिए शुरू की जाएगी.

पायलट प्रोजेक्ट में ये बैंक शामिल

रिजर्व बैंक के हवाले से समाचार एजेंसी ‘PTI’ ने लिखा है कि पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंडरी मार्केट आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? ट्रांजैक्शन का सेटलमेंट होगा जिसमें सरकारी सिक्योरिटी को शामिल किया जाएगा. पायलट प्रोजेक्ट के लिए अभी देश के 9 बैंक-स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक को शामिल किया गया है.

इस साल के बजट में हुई घोषणा

इस साल के बजट में डिजिटल करेंसी यानी कि सीबीडीसी को लॉन्च करने की घोषणा की गई थी. इसका ऐलान खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था. इसके बाद रिजर्व बैंक ने कहा था कि सीबीडीसी को लॉन्च करने का काम चरणबद्ध तरीके से होगा और उसकी घोषणा जल्दी की जाएगी. इस तरह अब इसे लाने का रास्ता साफ हो गया है. फिलहाल यह करंसी पायलट प्रोजेक्ट में सामने आएगी जिसे बाद में आम लोगों के लिए भी पेश किया जा सकेगा.

सभी अफवाहों पर विराम

सीबीडीसी का कॉन्सेप्ट आने के साथ ही इस बात की अटकलें तेज हो गई थीं कि सरकार बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाएगी और उसके बदले अपनी डिजिटल करेंसी लेकर आएगी. अभी क्रिप्टोकरेंसी पर किसी तरह का आधिकारिक प्रतिबंध नहीं लगा है, लेकिन रिजर्व बैंक ने अपनी सीबीडीसी का ऐलान कर दिया. रिजर्व बैंक पूर्व में स्पष्ट कर चुका है कि भारत की डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी का क्रिप्टोकरेंसी से कोई तुलना नहीं की जा सकती.

सीबीडीसी की जरूरत क्यों

अगला जमाना डिजिटल करेंसी का है जिस पर पूरी दुनिया में तेजी से काम चल रहा है. भारत इस दिशा में बहुत तेजी से कदम बढ़ा रहा है जिसकी तारीफ विश्व बैंक जैसे संगठन भी खुलकर कर चुके हैं. डिजिटल रुपी या डिजिटल करेंसी भी उसी डिजिटल इकोनॉमी का अगला कदम होगा. जिस तरह मोबाइल वॉलेट से सेकंडों में ट्रांजैक्शन होता है, ठीक उसी तरह डिजिटल रुपी से भी काम होगा. इससे कैश का झंझट कम होगा जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखी जाएगी.

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यह जान लेना जरूरी है कि डिजिटल रुपी एक डिजिटल करेंसी जरूर है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी कतई नहीं है क्योंकि डिजिटल रुपी का संचालन पूरी तरह से आरबीआई की निगरानी में होगा. क्रिप्टोकरेंसी में किसी केंद्रीय बैंक की निगरानी नहीं होती.

Explained: Pilot Project क्या है, RBI ने क्यों लॉन्च किया E-Rupee, Digital करेंसी से फायदा क्या?

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अब लोगों के शॉपिंग का तरीका, यात्रा का तरीका, काम करने का तरीका आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? सब डिजिटल होता जा रहा है. वस्तुओं के लेनदेन के तरीके में भी लगातार बदलाव हो रहा है. इसी क्रम में एक नवंबर को RBI ने अपनी डिजिटल करेंसी 'डिजिटल रुपया' को लॉन्च कर दिया है. जानकारी के मुताबिक ये डिजिटल रुपया (E-Rupee) होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए जारी किया है. फिलहाल इसे 'पायलट प्रोजेक्ट' का नाम दिया गया है.

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पहले समझिए क्या है Digital Rupee?

Digital Rupee, CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा जारी की गई एक नई वैध मुद्रा है. आसान भाषा में कहें तो, डिजिटल करेंसी आरबीआई द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? करेंसी नोट्स हैं. भारत में डिजिटल करेंसी दो तरह की होगी. शुरुआत में इसका इस्तेमाल सरकारी काम में secondary market के लेन-देन निपटाने के लिए होगा. दरअसल, अधिकांश व्यापार इसी मार्केट में किया जाता है. बता दें, Secondary Market में Equity Market और Loan Market शामिल हैं. केंद्र सरकार ने बीते एक फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की थी.

अब जानते हैं Pilot Project क्या है?

'पायलट प्रोजेक्ट' के जरिए विशिष्ट उपयोग के लिए 'डिजिटल रुपया' लांच किया गया है. इसके जरिए सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन को निपटाया जाएगा. RBI ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना के तहत डिजिटल रुपये का 'पायलट टेस्टिंग' शुरू करने का फैसला किया है. RBI एक रिपोर्ट में पहले भी कह चुकी है कि 'डिजिटल मुद्रा' लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का सरल बनाना है. इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान व्यवस्था के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे और वो अपनी सुविधा के अनुसार विकल्प चुन पाएगा और उसका लाभ ले सकेगा.

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Central Bank Digital Currency से फायदा क्या?

1. डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी.

2. अब सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी.

3. CBDC यानी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन हो सकता है.

4. अब चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन की समस्या न के बराबर हो सकती है.

5. नकली करेंसी की समस्या भी खत्म हो सकती है.

6. नोट की प्रिंटिंग का खर्च भी बचेगा

7. एक डिजिटल मुद्रा की आयु physics नोटों की तुलना में ज्यादा होगी.

8. इसे जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है.

9. एक सबसे बड़ी बात बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिम को कम किया जा सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी और 'डिजिटल रुपी' में अंतर क्या?

क्रिप्टोकरेंसी को कोई मॉनिटर नहीं करता. यह पूरी तरह से प्राइवेट है. इस पर किसी सरकार आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता है. लेकिन, RBI की डिजिटल पर सरकार की सहमती होगी. 'डिजिटल रुपी' को फिजिकल में बदला जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होता.

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सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) क्या है?

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी सरल शब्दो में कहें तो CBDC किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है. इसमें नोट छापने की जगह इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी किए जाते हैं. सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है, देखना होगा इसका भविष्य क्या होगा. फिलहाल भारत में यह दो तरह की होगी.

1. Retail (CBDC-R): बताया जा रहा है कि यह सभी के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी.

2. Wholesale (CBDC-W): इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए बनाया गया है.

Pilot Project में कौन-कौन से बैंक शामिल है?

डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक का नाम हैं. ये बैंक सरकारी सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे, जिसे CBDC आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? का नाम दिया गया है. यह भारत की पहली डिजिटल करेंसी बताई जा रही है.

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डिजिटलीकरण से अर्थव्यवस्था को क्या फायदा?

जानकारों की मानें तो डिजिटलीकरण एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन साबित हो सकता है. ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होगा जिससे मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड पर कंट्रोल किया जा सकता है. डिजिटल करेंसी से आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? सरकार की अपने नेटवर्क के अंदर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो पाएगी. सरकार को भविष्य के लिए बजट और आर्थिक योजना बनाने में सहायता मिलेगी. साथ ही पैसे पर सरकार का नियंत्रण होगा. उम्मीद है भारत में लांच किए गए डिजिटल रुपया का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा और भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे.

डिजिटल रुपया क्या है?

जबकि अधिकांश लोग यह देखने के लिए इंतजार कर रहे थे कि क्या क्रिप्टोक्यूरैंक्स बंद हो जाएंगे, ऐसा लगता है कि सरकार ने अपना डिजिटल रुपया स्थापित करके एक अलग दृष्टिकोण अपनाया है, जो बाद आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? में 2022 और 2023 की शुरुआत में उपलब्ध होगा।

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घोषणा, केंद्रीय करार दियाबैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), का दावा है कि डिजिटल रुपया मुद्रा "डिजिटल को बढ़ावा देगी"अर्थव्यवस्थातो, डिजिटल करेंसी क्या है, यह कैसे काम करती है, और यह बिटकॉइन जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी से कैसे भिन्न है? आपके लिए चीजों को समझना आसान बनाने के लिए, इस लेख में सब कुछ संक्षेप में कवर किया गया है।

डिजिटल रुपया क्या है?

डिजिटल रुपया अनिवार्य रूप से पारंपरिक मुद्रा का एक डिजिटल संस्करण है जिसका लोग दैनिक उपयोग करते हैं। आप पैसे को सुरक्षित डिजिटल फॉर्मेट में रख सकते हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है (रुपये में एक क्रिप्टोकरेंसी की तरह), जो मुद्रा रखरखाव की लागत को कम करता है और सरकार को भविष्य में कम नोट बनाने की अनुमति देता है।

चूंकि मुद्रा डिजिटल है, इसलिए इसका जीवनकाल बढ़ाया जाता है क्योंकि डिजिटल संस्करण नष्ट या खो नहीं सकते हैं।

सीबीडीसी क्या है?

भारतीय रिजर्व बैंक ने कानूनी धन के रूप में CBDC, या सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा जारी की है। CBDC किसी देश की आधिकारिक मुद्रा का एक डिजिटल टोकन या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड है जो एक विनिमय माध्यम, खाता इकाई, मूल्य स्टोर और आस्थगित भुगतान मानक के रूप में कार्य करता है। सीबीडीसी एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक मुद्रा प्रकार है जो आरबीआई की वेबसाइट के अनुसार कागजी नकदी से अलग है। यह इलेक्ट्रॉनिक मोड में संप्रभु मुद्रा है, और यह केंद्रीय बैंक के पर दिखाई देगाबैलेंस शीट एक दायित्व के रूप में। CBDC को तब नकद में बदला जा सकता है।

डिजिटल रुपये का कार्य

भले ही डिजिटल रुपया ब्लॉकचेन तकनीक से संचालित होगा, लेकिन इसे एक केंद्रीय निकाय द्वारा प्रबंधित और देखरेख किया जाएगा, जो विभिन्न कारकों के कारण मुद्रा अस्थिरता से बच जाएगा।

जैसा कि डिजिटल रुपया एक अन्य प्रकार का फिएट मुद्रा है, यह डिजिटल भुगतान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की संभावना है। भारतीय रुपये में 1 क्रिप्टोकरेंसी एक आरबीआई डिजिटल रुपया होगा।

CBDC वर्तमान में एक प्रचार क्यों है?

निम्नलिखित कारणों से CBDC को अपनाना आवश्यक है:

  • कागजी मुद्रा के घटते उपयोग का सामना करते हुए, केंद्रीय बैंक मुद्रा के अधिक उपयुक्त इलेक्ट्रॉनिक रूप को लोकप्रिय बनाने का प्रयास करते हैं
  • केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं के लिए जनता की आवश्यकता को समायोजित करने का प्रयास कर रहे हैं, जैसा कि निजी आभासी मुद्राओं के बढ़ते उपयोग से पता चलता है
  • ये बैंक ऐसी निजी मुद्राओं के अधिक हानिकारक प्रभावों से भी बच रहे हैं

डिजिटल रुपया सिक्का और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर

डिजिटल रुपया कई मायनों में क्रिप्टोकरेंसी से अलग है, जो इस प्रकार है:

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विकास और संचालन क्रिप्टोक्यूरेंसी एक ब्लॉकचेन-आधारित, पूरी तरह से विकेन्द्रीकृत संपत्ति और एक व्यापार माध्यम है। हालांकि, इसकी विकेन्द्रीकृत प्रकृति के कारण विवाद छिड़ गया है, जिसका अर्थ है कि यह बैंकों, वित्तीय संगठनों या केंद्र सरकारों जैसे किसी भी बिचौलियों का उपयोग किए बिना संचालित होता है। इसके विपरीत, डिजिटल रुपया आरबीआई में क्रिप्टोकुरेंसी की सभी विशेषताएं हैं। यह ब्लॉकचेन तकनीक पर बनाया गया है और इसका उद्देश्य भौतिक मुद्रा की भविष्य की जरूरतों को खत्म करना है। एक डिजिटल रुपया एक केंद्रीकृत वातावरण में काम करता है
सरकार और सरकारी संगठनों का प्रभाव यह सरकारी प्रभाव या हेरफेर से अप्रभावित है। इसका मूल्य भी नि:शुल्क स्थापित किया जाता है-मंडी बलों और किसी भी वस्तु से संबंधित नहीं है जब डिजिटल रुपये की बात आती है, तो आरबीआई प्रभारी होगा, क्योंकि यह कुछ अन्य बैंकिंग संस्थानों के साथ अपना नेटवर्क स्थापित करेगा। नतीजतन, डिजिटल रुपये की नेटवर्क पहुंच स्थानीय निकायों और संस्थानों तक सीमित है
मूल्य निर्धारण क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित नहीं हैं डिजिटल रुपये की कीमत आरबीआई की भौतिक नकदी के डिजिटल समकक्ष होगी और इस प्रकार सरकार द्वारा समर्थित होगी। यह एक भौतिक रुपया समकक्ष रखने के बराबर होगा। यह फिएट मुद्रा (सरकार द्वारा जारी धन) की तरह ही काम करता है और मौजूदा नकदी के लिए एक-एक के लिए कारोबार किया जा सकता है
कानून बनाना क्रिप्टोकरेंसी को नहीं माना जाएगाकानूनी निविदा भारत में कभी भी जल्द ही RBI की डिजिटल मुद्रा कानूनी नकदी बन सकती है

एक डिजिटल रुपये की आवश्यकता

डिजिटल रुपया पेश करने के आरबीआई के फैसले का एक प्रमुख कारण यह है कि भारत आभासी मुद्रा की दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता। सरकार के अनुसार, आभासी मुद्रा यहां रहने के लिए होगी।

आप इसे पसंद करें या न करें, इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। इस बात से इनकार करने के बजाय कि आभासी मुद्रा मौजूद है, सरकार ने अपना खुद का निर्माण करना चुना है। सामान्य रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को स्थानांतरित करने के लिए आपको बैंक खाते की आवश्यकता नहीं होगी।

आप इसे तुरंत दूसरे व्यक्ति के डिजिटल रुपया वॉलेट में भेज पाएंगे क्योंकि यह ब्लॉकचेन पर आधारित होगा।

डिजिटल रुपया बनाम नियमित रुपया

डिजिटल रुपये को मुद्रा के रूप में गिना जाएगा। यह कम भौतिक नकद नोटों को छापने और जालसाजी को कम करने में सरकार की सहायता करेगा। यह एक अधिक कुशल और लागत प्रभावी मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के विकास में सहायता करेगा।

इंटरनेट लेनदेन के लिए, मानक रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को बैंक बिचौलिए के उपयोग की आवश्यकता नहीं होगी। लेनदेन को प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों द्वारा ब्लॉकचेन के माध्यम से पूरा किया जा सकता है, जिसमें आरबीआई गारंटी के रूप में कार्य करता है।

डिजिटल रुपये की कमियां

यदि आप डिजिटल रुपये का उपयोग करते हैं तो हमेशा पैसे की कमी रहेगी। सरकार को पता चल जाएगा कि आपने इसके कारण पैसा कहां और कैसे खर्च किया। गोपनीयता की चिंता भी होगी क्योंकि इसमें शामिल लोगों के वित्तीय लेनदेन का खुलासा और शोषण किया जा सकता है। इसके अलावा, बैंकों के पास उधार देने के लिए कम पैसा हो सकता है क्योंकि डिजिटल मुद्रा सीधे आरबीआई द्वारा अंतिम उपयोगकर्ता को जारी की जाएगी।

निष्कर्ष

डिजिटल रुपये का उपयोग वास्तविक दुनिया में विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें सब्सिडी के लिए प्रोग्राम योग्य भुगतान और वित्तीय संस्थानों द्वारा तेजी से उधार और भुगतान शामिल हैं। जल्द ही, कैशलेस अर्थव्यवस्था में एक व्यावहारिक बदलाव हो सकता है जो कैशलेस भुगतान के लिए सरकार के जोर को बढ़ावा देगा और बैंकिंग क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा।

जैसे-जैसे डिजिटल रुपये का उपयोग बढ़ता है, यह सीमा पार प्रेषण जैसी चीजों में सुधार कर सकता है। इंटरऑपरेबिलिटी के लिए एक वातावरण बनाया जा सकता है, जिससे तेजी से रीयल-टाइम ट्रांसमिशन की अनुमति मिलती है।

भारतीय डिजिटल करेंसी के बारे में सब कुछ जो आप जानना चाहते है !

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रिजर्व बैंक ने देश मे डिजिटल करेंसी लॉन्च कर दी है जिसका देश की अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रभाव होगा डिजिटल रुपया मौजूदा करेंसी का डिजिटल रूप है जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इसकी वैल्यू मौजूदा करेंसी नोट या सिक्कों के बराबर ही है. इससे नोट कटने-फटने या फिर नकली होने जैसे झंझटों से झुटकारा मिलेगा और आरबीआई का इन्हें छापने पर होने वाला खर्च भी घटेगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपया रिटेल यूज (Digital Rupee For Retail) के लिए गुरुवार से शुरू हो गया. यानी आम लोग अब इसके जरिए रोजमर्रा की खरीदारी भी कर सकते हैं. हालांकि, अभी पायलट आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? प्रोजेक्ट के रूप में देश के चार चुनिंदा लोकेशंस पर ही शुरू किया गया है. इसके डिस्ट्रीब्यूशन और इस्तेमाल की पूरी प्रक्रिया की टेस्टिंग की जाएगी. जिसके बाद इसे अन्य शहरों के लिए जारी किया जाएगा.

दिल्ली-मुंबई समेत यहां पहला ट्रायल

नवंबर में होलसेल ट्रांजैक्शंस में Digital Rupee का पायलट लॉन्च करने के बाद, बीते 29 नवंबर मंगलवार को ही रिजर्व बैंक ने साल के आखिरी महीने की पहली तारीख यानी 1 दिसंबर 2022 से रिटेल इस्तेमाल के लिए शुरू करने का ऐलान किया था. e₹-R के पायलट लॉन्च फिलहाल दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में शुरू किया गया है. इसके साथ ही अभी इस ट्रॉयल में महज चार बैंकों को ही शामिल किया गया है. अब आगे किन शहरों में इसे शुरू करने की तैयारी है और कौन-कौन से बैंकों को RBI ने इस प्रोसेस में शामिल किया है?

1.71 करोड़ के E-Rupee जारी

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रिपोर्ट के मुताबिक, रिटेल के लिए पायलट लॉन्च के पहले दिन चारों शहरों में बैंकों की ओर से करीब 1.71 करोड़ रुपये के Digital Rupee की मांग की गई थी. इस मांग के मुताबिक, रिजर्व बैंक की ओर से इसे जारी किया गया था. होलसेल पायलट लॉन्च के दौरान भी इसे अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी. लेकिन लोगों के जेहन में इस ई-रुपया को लेकर कई तरह के सवाल अभी भी हैं, जिनका उत्तर हम आसान शब्दों में दे रहे हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही सभी सवालों के जबाव.

सवाल- पहला ट्रायल कहां-कहां हो रहा है?

उत्तर- मुंबई (Mumbai), नई दिल्ली (New Delhi), बेंगलुरु (Bengaluru) और भुवनेश्वर (Bhubaneswar)

सवाल- पहले चरण में कितने बैंक शामिल?

उत्तर- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिटेल यूज के लिए पहले ट्रायल में चार बैंकों को शामिल किया है.

सवाल- ये चार बैंक कौन-कौन से हैं?

उत्तर- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), यस बैंक (YES Bank) और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank).

सवाल- आगे और किन शहरों शुरू होगा?

उत्तर- अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला समेत अन्य बड़े शहरों को कवर करेगा.

सवाल- इन चार बैंकों के अलावा और कौन बैंक शामिल होंगे?

उत्तर- बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक बाद में पायलट में शामिल होंगे.

सवाल- क्या e₹-R करेंसी नोट की तरह है?

उत्तर- आरबीआई का Digital Rupee मौजूदा करेंसी नोट का डिजिटल स्वरूप है और इसे करेंसी में कन्वर्ट करा सकते हैं.

सवाल- क्या इसके जरिए दुकान से राशन खरीद सकते हैं?

उत्तर- हां, वॉलेट का इस्तेमाल कर QR कोड के जरिए दाल, चावल, आटा समेत सभी तरह के राशन के लिए दुकानदार को पेमेंट किया जा सकता है.

सवाल- क्या Digital Rupee लीगल टेंडर है?

उत्तर- हां, ई-रुपया लीगल टेंडर है और ये पूरी तरह से भारतीय रिजर्व बैंक के नियंत्रण में है. ये एक डिजिटल टोकन होगा.

सवाल- क्या Digital Rupee मौजूदा करेंसी को रिप्लेस करेगा?

उत्तर- नहीं, मौजूदा करेंसी नोट ऐसे ही इस्तेमाल होंगे. आरबीआई ने ये अतिरिक्त विकल्प लोगों को दिया है.

सवाल- Digital Rupee का डिस्ट्रीब्यूशन कैसे होगा?

उत्तर- आरबीआई के मुताबिक, ई-रुपया का डिस्ट्रीब्यूशन बैंकों के जरिए होगा. डिजिटिल वॉलेट के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यक्ति या व्यक्ति-से-मर्चेंट के बीच लेनदेन किया जा सकता है.

सवाल- E-Rupee से सरकार को क्या फायदा?

उत्तर- सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सरकार की करेंसी नोट छापने की लागत में कमी आएगी. इसमें छपाई का झंझट नहीं है यानी सरकार का खर्च कम होगा. इसके चोरी होने का खतरा भी नहीं है

सवाल- नोट छापने में आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? कितनी लागत आती है?

उत्तर- अभी भारत में 100 रुपये का एक नोट प्रिंट करने में अनुमानिक 10-18 रुपये खर्च आता है. वित्त वर्ष 2021-22 में RBI ने 4.19 लाख अतिरिक्त नोट छापे थे, जिनकी कीमत हजारों करोड़ थी, जबकि डिजिटल करेंसी की लागत बेहद कम है.

सवाल- सरकार को और क्या फायदा होगा?

उत्तर- खर्च घटने का साथ ही हर छोटा-बड़ा ट्रांजैक्शन सरकार की निगरानी में रहेगा. इसके जरिए नकली नोटों की समस्या खत्म करने में मदद मिलेगा और टेरर फंडिग या ब्लैक मनी रोकने में ये मददगार हो सकता है.

E-Rupee के ये भी बड़े फायदे

डिजिटल अर्थव्यवस्था आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? को मजबूत करने में मददगार. लोगों को जेब में कैश लेकर की जरूरत नहीं रहेगी. मोबाइल वॉलेट की तरह ही इससे पेमेंट करने की सुविधा होगी. डिजिटल रुपया को बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट कर सकेंगे. विदेशों में पैसे भेजने की लागत में कमी आएगी. ई- रुपया बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी काम करेगा. ई-रूपी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी.

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