8 घंटे तक पानी में भिगोने के बाद अनाज का सेवन पौष्टिक भोजन के रूप में किया जाता है। स्वर्ण वसुंधरा के अनाज से सोया दही, छेना, गुलाब जामुन की मिठाई, आइसक्रीम आदि कई अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं। इसके मूल्य वर्धित उत्पाद उद्यमों की स्थापना के लिए सुनहरा अवसर प्रदान करने के साथ-साथ अत्यधिक लाभकारी भी हैं।

Vegetable Soybean Variety - Swarna Vasundhara: An opportunity for Agri-business

सर्फस्टेनेबल कम्युनिटी - एक्शन में विज्ञान के लिए स्लाइड वॉटर स्पोर्ट्स (सर्फस्टेनेबल)

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व्यापार प्रणालियों की विविधता

किन कार्यों से जैव विविधता को कितना हो सकता है खतरा, वैज्ञानिकों ने किया आकलन

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 'शेयर बाजार' के माध्यम से सभी प्रजातियों के मूल्य को औपचारिक रूप देने का प्रस्ताव पेश किया है, जिसे व्यापार प्रणालियों की विविधता जैव विविधता की वृद्धि की दिशा में एक निवेश के रूप में देखा जाएगा

By Dayanidhi

On: Tuesday 21 June 2022

किन कार्यों से जैव विविधता को कितना खतरा हो सकता है, वैज्ञानिकों ने किया आकलन

जैव विविधता के तीन प्रमुख हिस्सों में से एक प्रजातियां हैं, अन्य दो जीन और पारिस्थितिक तंत्र हैं। दुनिया भर में अब तक 20 लाख से अधिक प्रजातियों का वर्णन किया गया है और लाखों अन्य खोज की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जबकि हर प्रजाति अपने आप में अहम है, कई प्रजातियां लोगों के लिए महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं भी प्रदान करते हैं, जैसे कि कीड़े जो हमारी फसलों को परागित करते हैं।

चूंकि हमारे पास विभिन्न व्यापार प्रणालियों की विविधता प्रजातियों के महत्व को मापने के लिए एक मानकीकृत प्रणाली नहीं है, इसलिए यह कह देना बहुत आसान है कि वे व्यावहारिक रूप से बेकार हैं। नतीजतन हम लोगों द्वारा उन कार्यों को सही ठहराने में जल्दबाजी की व्यापार प्रणालियों की विविधता जाती है जो इनकी आबादी को कम करते हैं। यहां तक ​​कि इस तरह के काम बड़े पैमाने पर जैव विविधता को भी खतरे में डालते हैं।

वेजीटेबल सोयाबीन की विविधता - स्वर्ण वसुंधरा: कृषि-व्यवसाय के लिए एक अवसर

वेजीटेबल सोयाबीन एक महत्त्वपूर्ण फलीदार सब्जी है जिसकी हरी फली की कटाई तब की जाती है जब बीज 80% से 90% फली की चौड़ाई को भर देते हैं। यह उनके बड़े आकार के बीज, शर्करा के उच्च स्तर, 75% से अधिक 2 और 3 - बीज वाली फली, ग्रे प्यूबेंस, चमकीले हरे फली और बीज कोट रंग के संबंध में अनाज सोयाबीन व्यापार प्रणालियों की विविधता से भिन्न होता है।

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अंतर्राष्ट्रीय संस्थान/संगठन

  • 07 Jan 2021
  • 15 min read
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Last Updated: July 2022

वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora-CITES) एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका पालन राष्ट्र तथा क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण संगठन स्वैच्छिक रूप से करते हैं।

  • वर्ष 1963 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) के सदस्यों देशों की बैठक में अपनाए गए एक प्रस्ताव के परिणामस्वरूप CITES का मसौदा तैयार किया गया था।
    • आई.यू.सी.एन. एक सदस्यीय संघ है जो विशिष्ट रूप से सरकार एवं नागरिक समाज संगठनों दोनों से मिलकर बना है।
    • यह सार्वजनिक, निजी एवं गैर-सरकारी संगठनों को ज्ञान तथा युक्तियाँ प्रदान करता है ताकि मानव प्रगति, आर्थिक विकास और प्रकृति संरक्षण को सुनिश्चित किया जा सके।

    कार्य

    • CITES चयनित प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित कर अपने कार्यों का निष्पादन करता है।
    • कन्वेंशन में शामिल विभिन्न प्रजातियों के आयात, निर्यात, पुनः निर्यात एवं प्रवेश संबंधी प्रक्रियाओं को लाइसेंसिंग प्रणाली के माध्यम से अधिकृत किया जाना आवश्यक है।
    • कन्वेंशन के लिये प्रत्येक पक्षकार देश को एक या एक से अधिक प्रबंधन संबंधी प्राधिकरणों को नामित करना चाहिये जो कि लाइसेंसिंग प्रणाली और वैज्ञानिक प्राधिकरणों को प्रजातियों की व्यापार संबंधी स्थिति के प्रभावों पर सलाह देने के लिये प्रशासनिक प्रभारी को नामित करें।
    • कन्वेंशन के परिशिष्ट I, II एवं III में विभिन्न प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है जो प्रजातियों को अत्यधिक दोहन से बचाने हेतु विभिन्न स्तर एवं विभिन्न प्रकार के संरक्षण का प्रावधान करता है।
    • इसमें वे प्रजातियाँ सूचीबद्ध हैं जो CITES द्वारा सूचीबद्ध वन्य जीवों एवं पौधों में सबसे अधिक संकटापन्न स्थिति में हैं।
    • उदाहरणतः इसमें गोरिल्ला, समुद्री कछुए, अधिकांश ऑर्किड प्रजातियाँ एवं विशाल पांडा शामिल हैं। वर्तमान में इसमें 931 प्रजातियाँ सूचीबद्ध हैं।
    • इन प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा बना हुआ है एवं CITES इन प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित करता है, सिवाय जब इसके आयात का उद्देश्य व्यावसायिक न होकर वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये किया जाता हो।
    • कुछ विशिष्ट मामलों में इनका व्यापार तभी हो सकता है जब यह आयात परमिट एवं निर्यात परमिट (या पुनः व्यापार प्रणालियों की विविधता निर्यात प्रमाण पत्र) दोनों की स्वीकृति द्वारा अधिकृत हो।
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