म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले ये ‘सुपर-7’ बातें जाननी जरूरी
यहां हम बता रहे हैं आपको म्युचुअल फंड से जुड़ी सात बड़ी बातें जिन्हें जानकर अच्छा पैसा कमा सकेंगे
म्यूचुअल फंड में निवेश करने का चलन बढ़ता जा रहा है. ये नए मिडिल क्लास के लिए निवेश का सबसे पसंदीदा विकल्प बनकर उभरा है. लेकिन बिना जाने निवेश करना खतरे से खाली नहीं है. यहां हम बता रहे हैं आपको म्युचुअल फंड से जुड़ी सात बड़ी बातें जिन्हें जानकर अच्छा पैसा कमा सकेंगे.
आइए जानते हैं इन Mutual Fund Terminology के बारे में
क्या है अल्फा?
अल्फा फंड मैनेजर की ओर से आपके फंड के लिए जोड़े जाने वाले वैल्यू को कहते हैं. उदाहरण के लिए अगर निफ्टी 10 फीसदी का रिटर्न देता है और फंड मैनेजर आपको म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं? इससे ज्यादा रिटर्न दिला रहा है तो यह बढ़ा हुआ रिटर्न ही अल्फा है. कहने का मतलब है कि बेंचमार्क रिटर्न से ज्यादा मिलने वाला फायदा ही अल्फा है.
क्या है बीटा?
अगर आपका बीटा 1 फीसदी से ज्यादा है तो यह ज्यादा माना जाएगा. अगर एक फीसदी से कम है तो यह कम माना जाएगा. मार्केट के पास एक फीसदी बीटा है. अगर किसी फंड या स्ट्रेटजी का बीटा 1.2 है तो इसका मतलब है जब मार्केट एक फीसदी ज्यादा चढ़ेगा तो आपका फंड 1.2 फीसदी चढ़ेगा. अगर मार्केट एक फीसदी नीचे जाता है तो आपका फंड 1.2 फीसदी नीचे जाएगा.
इसका मतलब यह है कि आपका फंड शेयर मार्केट से 20 फीसदी जोखिम वाला या आक्रामक हो सकता है. अगर शेयर बाजार गिरता है तो हाई बीटा वाला फंड और ज्यादा गिरेगा और चढ़ेगा तो यह और ज्यादा चढ़ेगा.
क्या है एंट्री लोड और कैसे काम करता है?
अगर आपके फंड की एंट्री दो फीसदी है तो इसका मतलब यह है कि किसी फंड में एक लाख के आपके निवेश पर 2000 रुपये कट जाएंगे. आपका निवेश सिर्फ 98 हजार का ही माना जाएगा. दरअसल Portfolio Management Services को 25 लाख या Alternative investment funds Scheme के लिए न्यूनतम निवेश बेंचमार्क एक करोड़ रुपये है. इसलिए जब आप 25 लाख वाले Portfolio Management Services में निवेश करते हैं और यह बताता है कि आपके फंड पर 2 फीसदी का एंट्री लोड है तो इसका मतलब है 50 हजार कट जाएगा और आपका साढ़े चौबीस लाख रुपये ही इसमें इनवेस्ट होगा.
क्या है एग्जिट लोड?
लिक्विड फंड स्कीमों के लिए कोई एग्जिट लोड . लेकिन अल्ट्रा शॉर्ट, कम या मध्यावधि के फंड में निवेश करते हैं तो एग्जिट लोड बढ़ता जाता है. तीन महीने का एग्जिट लोड है तो इसका मतलब है निवेश के बाद तीन महीने से पहले पैसा निकालने पर आपको रिडम्पशन मनी का एक फीसदी पैसा काट कर मिलेगा.
रिस्क ग्रेड क्या है?
फंड प्रोडक्ट्स से जुड़े ग्राफ होते हैं जिनमें एक ओर कम जोखिम वाले प्रोडक्ट होते हैं तो दूसरी ओर ज्यादा जोखिम वाले. कम जोखिम वाले फंड. कम जोखिम वाले फंड में लिक्विड फंड शामिल हैं जिनकी औसतन मेच्योरिटी 60 दिनों की होती है. जैसे बेहद छोटी अवधि के फंड यानी एक दिन के निवेश में कोई निगेटिव रिटर्न नहीं होता.
क्रेडिट फंड में क्रेडिट रिस्क होता है. कहने का मतलब यह है कि अवधि बढ़ने के साथ ही जोखिम भी बढ़ता है. अगर आपके पास बैलेंस्ड फंड यानी डेट और इक्विटी का मिक्स है तो म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं? जोखिम कम होता है.
जैसे-जैसे आप लार्ज कैप की ओर बढ़ते हैं तो जोखिम बढ़ता चला जाता है. मिड और स्मॉल कैप के शेयर वाले फंड में जोखिम ज्यादा होता है क्योंकि इन शेयरों में काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है. फंड का जोखिम इसके प्रोफाइल पर पड़ता है. इसलिए फंड की अवधि पर गौर करना चाहिए. अगर आप दस साल तक फंड में म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं? इनवेस्ट करते हैं तो लिक्विड फंड में आपका निवेश सेफ नहीं हो सकता है.
म्यूचुअल फंड टर्नओवर रेश्यो?
टर्नओवर रेश्यो का मतलब म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में होल्डिंग्स का वह हिस्सा है जिसमें एक निश्चित अवधि के दौरान बदलाव दिखता है. कुल परिसंपत्तियों के औसत से कुल खरीद या कुल बिक्री मूल्य, जो भी कम हो, में भाग दिया जाता है. इसे अमूमन 12 महीने की अवधि के लिए बताया जाता है. अगर पोर्टफोलियो का टर्नओवर रेश्यो कम है फंड बाय एंड होल्ड की स्ट्रेटजी अपना रहा है. फंड मैनेजर को कंपनियों को चुनने में अपनी पसंद पर काफी ज्यादा भरोसा है.
क्या है Rupee Cost Averaging?
म्यूचुअल फंड में निवेश करने का बढ़िया तरीका है यह है कि जब मार्केट डाउन हो तो ज्यादा इनवेस्ट करें. इस समय आपको कम कीमतें में फंड की ज्यादा यूनिटें मिलेंगी. चढ़ते हुए मार्केट में आपको उसी निवेश पर कम यूनिट मिलती है. चूंकि आको मार्केट के हाई और लो के बारे में अंदाजा नहीं होता तो इसलिए आप एक निश्चित रकम इनवेस्ट करते जाते हैं लेकिन चढ़ते मार्केट में आपको फंड की यूनिटें कम मिलती है. लेकिन एक निश्चित अवधि के बाद यूनिट खरीदने की लागत कम हो जाती है. यानी आपको एक निश्चित अवधि में यूनिटें सस्ती पड़ती हैं. इसी को rupee cost averaging कहते हैं.
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Mutual Funds Investment: म्यूचुअल फंड में करना चाहते हैं निवेश, तो यहां जानिए कौन से फंड्स हैं निवेश के लिए बेहतर?
Mutual Funds Investment: म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो यहां पर दस शीर्ष योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई है, आप इससे मदद ले सकते हैं.
Published: August 20, 2021 12:56 PM IST
Mutual Funds Investment: म्यूचुअल फंड एक प्रकार का वित्तीय साधन है जो कई निवेशकों से स्टॉक या बॉन्ड या किसी अन्य संपत्ति जैसी प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए एकत्र किए गए धन के एक पूल से बना होता है. म्युचुअल फंड्स प्रोफेशनल वेल्थ मैनेजर्स द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो आपको फंड की संपत्ति आवंटित करने में मदद करते हैं और निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं.
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अगर आप भी म्यूचुअल फंड्स में नया निवेश शुरू करना चाहते हैं, तो यहां पर ‘शीर्ष 10 म्यूचुअल फंड’ के बारे में जानकारी दी जा रही है, जिससे आप मदद ले सकते हैं. अगर आप एक नए म्यूचुअल फंड निवेशक हैं, तो आपके दिमाग में यह सवाल हमेशा आता होगा कि ‘कहां पर निवेश करें और ‘हमें कितना निवेश करना चाहिए?’
म्युचुअल फंड इक्विटी और बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों के प्रोफेशनल तरीके से प्रबंधित पोर्टफोलियो के लिए छोटी पहुंच प्रदान करते हैं. उन्हें कई प्रकार की श्रेणियों में विभाजित भी किया जाता है, जिसमें निवेश का उद्देश्य, रिटर्न के प्रकार और जोखिम और आपके द्वारा निवेश की जाने वाली प्रतिभूतियों के प्रकार शामिल होते हैं.
यहां पर 10 ऐसी म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं? योजनाओं की सूची दी गई है जहां पर आप निवेश करके अच्छा रिटर्न पा सकते हैं-
- एसबीआई स्मॉल कैप फंड
- एसबीआई इक्विटी हाइब्रिड फंड
- एक्सिस स्मॉल कैप फंड
- मिराए एसेट हाइब्रिड इक्विटी फंड
- डीएसपी मिडकैप फंड
- एक्सिस मिडकैप फंड
- मिराए एसेट लार्ज कैप फंड
- एक्सिस ब्लूचिप फंड
- पराग पारिख लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड
- कोटक स्टैंडर्ड मल्टीकैप फंड
म्यूचुअल फंड के प्रकार
- इक्विटी फंड
- मनी मार्केट या लिक्विड फंड
- निश्चित आय या डेट म्यूचुअल फंड
- मासिक आय योजना
(डिस्क्लेमर: यहां पर निवेश को लेकर जो जानकारियां दी गई है, वे सभी निवेश के उपाय बाहरी स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित हैं. निवेशकों को निवेश करने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से जांच कर लेनी चाहिए.)
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Mutual Fund Investment: एक साल में मिला 96 फीसदी मुनाफा, निवेशक हुए मालामाल, जानिए- कहां पर करें निवेश?
Mutual Funds To Invest: मिड कैप म्युचुअल फंड्स में एक साल में 96 फीसदी मुनाफा मिला, निवेशक मालामाल हो गए. यहां पर जानिए- कहां पर करें निवेश जिससे ज्यादा रिटर्न मिले.
Updated: May 6, 2021 11:10 AM IST
Mutual Funds To Invest: म्युचुअल फंड्स की तीन श्रेणी हैं, जिसमें लार्ज कैप, मिड कैप और स्माल कैप के म्युचुअल फंड्स हैं. इसमें खुद का जोखिम शामिल होता है. इन म्युचुअल फंड्स पर आधारित कंपनियों में निवेश करके आप बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं. जैसे- अगर इसमें मिड-कैप फंड है तो इस म्युचुअल फंड्स का पैसा मिड-कैप वाली कंपनियों में लगाया जाएगा. मिड-कैप वाली कंपनियों का मार्केट कैप 5,000-20,000 करोड़ रुपये का है. इन कंपनियों में काफी अधिक बढ़त की संभावनाएं होती हैं. इसलिए ये कंपनियां निवेश के लिहाज से काफी बेहतर मानी जाती हैं. आपको सीधे इक्विटी में निवेश करने से बेहतर होगा कि आप म्युचुअल फंड्स के जरिए इन कंपनियों में निवेश करें. यहां पर हम आपको 5 सबसे अच्छी कंपनियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन कंपनियों ने एक साल में 96 फीसदी तक का रिटर्न दिया है.
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पीजीआईएम इंडिया मिड कैप अपॉर्च्युनिटीज पंड
पीजीआईएम इंडिया मिड कैप अपॉर्च्युनिटीज फंड ने पिछले एक साल में 95.86 फीसदी का बड़ा रिटर्न दिया है. इसका मतलब है कि एक साल में निवेशकों का पैसा दो गुना हो गया. इसके पहले भी यह फंड काफी बेहतर रिटर्न दिया है. जैसे- मिडकैप इंडिया अपॉर्च्युनिटीज फंड ने 44.88 फीसदी का रिटर्न दिया है और तीन माह के अंदर उसने 18.म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं? 16 फीसदी का रिटर्न दिया है.
एक्सिस मिडकैप फंड
एक्सिस मिडकैप फंड ने एक साल के भीतर बहुत अच्छा रिटर्न दिया है. इस फंड ने 52.66 फीसदी का रिटर्न दिया है. इस फंड में निवेशकों को एक साल के भीतर 52.66 फीसदी रिटर्न मिला है. उसी समय मिडकैप में 6 माह में 28.89 फीसदी रिटर्न मिला है. वहीं, तीन माह में 12.59 फीसदी रिटर्न मिला है. आपको इतना अधिक मुनाफा किसी और स्कीम जैसे-एफडी आदि में नहीं मिलेगा.
इन्वेस्को इंडिया मिडकैप फंड
इनवेस्को इंडिया मिडकैप फंड ने भी एक साल में बहुत अच्छा रिटर्न दिया है. इनवेस्को इंडिया म्युचुअल फंड ने भी तीन माह में 9.43 फीसदी का बेहतर रिटर्न दिया है. 6 माह में इसने 29.74 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं एक साल में 56.25 फीसदी का रिटर्न दिया है. निवेशक म्युचुअल फंड्स में काफी रिसर्च करने के बाद निवेश करते हैं.
कोटक एमर्जिंग इक्विटी फंड
6 माह का कोटक एमर्जिंग इक्विटी फंड का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है. पहले 6 माह में फंड ने निवेशकों को 39.39 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं, तीन माह में फंड का रिटर्न 15.77 फीसदी रहा है. एक साल में कोटक एमर्जिंग इक्विटी फंड ने 73.64 फीसदी की रिटर्न दिया है.
टाटा मिडकैप ग्रोथ फंड
टाटा मिडकैप ग्रोथ फंड ने पहले 6 माह में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. पहले 6 माह में फंड ने 33.30 फीसदी का रिटर्न दिया है. टाटा मिडकैप ग्रोथ फंड ने 14.38 फीसदी की रिटर्न दिया है. एक साल में टाटा मिडकैप ग्रोथ फंड ने 61.74 फीसदी का रिटर्न दिया है. कहने का तात्पर्य यह है कि एक लाख के निवेश पर इस फंड ने 61.74 फीसदी का रिटर्न दिया है.
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Share Market: NIFTY 50, म्यूचुअल फंड, इक्विटी में करना है निवेश? जानें तरीके
Share Market: म्यूचुअल फंड में निवेश करने के फायदे क्या हैं ?
शेयर मार्केट (Share Market) का नाम लेते ही सबके मन में एक ही सवाल म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं? आता है क्या पैसे डूब तो नहीं जाएंगे ? मार्केट में निफ्टी (Nifty) की बात करें तो 52 हफ्तो में ये उच्चतम 18887.60 तक गया वहीं 52 हफ्तो में निफ्टी का सबसे म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं? कम स्तर 15183.40 का था. वहीं 52 हफ्तों में सेंसेक्स (Sensex) 63583.07 के स्तर पर उच्चतम था और सबसे निचला स्तर 50921.22 पर रहा.
शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए होड़ लगी है. लेकिन मार्केट की जानकारी लिए बिना काफी लोग अपना नुकसान भी करा लेते हैं. तो चलिए समझते है कि क्या है शेयर मार्केट और इसमें कैसे इंवेस्ट करते हैं.
घबराइए मत हम आपको आसान भाषा में समझाएंगे कि आखिर ये निफ्टी 50, म्यूचुअल फंड, इक्विटी और लिक्विड फंड क्या है और इनके फायदे-नुकसान क्या हैं?
निफ्टी 50
निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) पर लिस्टेड 50 प्रमुख कंपनी के शेयरों का सूचकांक (Index) है. NIFTY दो शब्द से बना है पहला नेशनल और दूसरा फिफ्टी. निफ्टी का मतलब नेशनल स्टॉक एक्सचेंज है और Fifty उन कंपनियों के समूह के बारे में बताता है जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड टॉप पचास शेयर हैं. यहां आप अपनी मन पसंदीदा कंपनी जैसे अडानी पोर्ट्स, बजाज ऑटो, एयरटेल, एचडीएफसी, एसबीआई, टाटा मोर्टस और विप्रो के शेयर खरीद सकते हैं. जितना बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा उसका पोर्टफोलियो उतना ही हरा नजर आएगा.
लिक्विड फंड (Liquid Fund)
लिक्विड फंड एक प्रकार का डेट फंड (Debt Fund) होता है. ये आपके पैसों को डेट और मनी मार्केट में जैसे कमर्शियल पेपर, कॉल मनी, सरकारी सिक्यॉरिटी, ट्रेजरी बिल में निवेश करता है. इस फंड में 91 दिनों की मैच्योरिटी पीरियड होती है. अब ये सवाल आता है कि लिक्विड फंड में निवेश करने से क्या फायदा होगा? तो लिक्विड फंड में इंवेस्ट करने से आपको अधिक लिक्विडिटी मिलती है, एग्जिट करने पर कोई फीस नहीं लगती, कम जोखिम और अधिक रिटर्न मिलता है.
लिक्विड फंड के फायदे (Benefit of Liquid Fund)
कम व्यय अनुपात (Low Expense Ratio)
नो लॉक-इन पीरियड (No Nock-in Period)
बेहतर रिटर्न (Good Return)
अत्यधिक तरल (इससे निवेशक के द्वारा लगाए गए पैसो में तेजी से बदलाव होता है. ये कम या ज्यादा हो सकता है.
कम जोखिम (Low Risk)
लिक्विड फंड के नुकसान (Disadvantages of Liquid Funds)
लिक्विडिटी रिस्क (इस निवेश में ये देखा जाता है कि निवेशक का निवेश बाजर के जोखिम के निर्भर होता है.)
2022 में गोल्ड की चमक पड़ी फीकी, जानिए क्या है वजह?
लंबी अवधि में गोल्ड (सोना) पोर्टफोलियो में विविधता लाने वाला रहा है क्योंकि गोल्ड में रिटर्न किसी भी निवेशक के लिए संपूर्ण जोखिम को संतुलित करता है.
हालांकि, वैश्विक अनिश्चितता और कई अन्य घटकों के बावजूद 2022 में मिलने वाला रिटर्न निवेशकों के पक्ष में नहीं रहा है. इन घटकों में रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दर में तेज वृद्धि, मजबूत डॉलर और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स से पूंजी की निकासी आदि शामिल हैं.
व्यापक रूप से बढ़ती मंहगाई के खिलाफ बचाव माना जाने वाले गोल्ड में लगातार सातवें महीने अक्टूबर में भी गिरावट आई. 10 अक्टूबर 2022 तक अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की हाजिर कीमतों में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट आई. एमसीएक्स पर डॉलर रुपया समीकरण (रुपये में लगभग 10% की गिरावट) ने निवेशकों को बचाया, क्योंकि उसी समयावधि में गोल्ड वायदा में लगभग 6 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला.
ईटीएफ ने गोल्ड निवेशकों के रिटर्न को बिगाड़ा
वर्ष 2022 के पहले चार महीनों में, गोल्ड ईटीएफ में 300टन (19 बिलियन डॉलर) से अधिक की आवक देखी गई. वहीं वैश्विक गोल्ड ईटीएफ ने मूल्य प्रदर्शन के अनुरूप अगस्त में 51 टन (2.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर, 1.4%) की निकासी दर्ज की गई, जो निकासी का लगातार चौथा महीना था. फंड्स ने अब अप्रैल के दौरान म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं? जमा हुए पूंजी आवक का दो-तिहाई हिस्सा वापस कर दिया है और वैश्विक गोल्ड ईटीएफ ने सितंबर में अपने शुद्ध निकासी का लगातार पांचवां महीना दर्ज किया, क्योंकि होल्डिंग्स में 95 टन (5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की गिरावट आई है. यह मार्च 2021 (107टन) के बाद सबसे बड़ी मासिक निकासी भी है. सितंबर के अंत तक, वैश्विक गोल्ड ईटीएफ होल्डिंग्स 3,548टन (191 अमेरिकी बिलियन डॉलर) थी, जो टन भार के संदर्भ में साल में अब तक 1% की कमी है. उच्च दरों के साथ अमेरिकी डॉलर में ताजा दो दशक का उच्च स्तर एक बार फिर से गोल्ड की कीमत के लिए चुनौती बनी हुई है. (स्रोत- वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल).
गोल्ड की कीमत को बढ़ाने वाला मैक्रो कारक
अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि की गति इतनी तेज कभी नहीं रही है और यह चार्ट में दिखाई दे रहा है जिसमें केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में बढ़ोतरी तेज और तेज रही है. इसने सभी निवेशकों को सुरक्षित माने जाने वाली मुद्रा डॉलर की तलाश में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है जिससे डॉलर में मजबूती आई है.
10 अक्टूबर तक 2022 में अब तक की तारीख में डॉलर इंडेक्स लगभग 19 प्रतिशत मजबूत हुआ है. रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न अनिश्चितता के बावजूद डॉलर को मजबूत करना और कमोडिटी या जिंसों की कीमतों में सह-संबंध ने 2022 में सोने की कीमतों को कमजोर किया है.
भारतीय नजरिये से गोल्ड
अच्छी बारिश सोने की मांग के लिए शुभ संकेत है और 2022 के मानसून सीजन में वर्षा से ग्रामीण क्षेत्रों में सोने की उच्च मांग में वृद्धि हुई है.
सितंबर के अंत तक (भारतीय मौसम विज्ञान विभाग) मॉनसून सामान्य सीमा से ऊपर समाप्त हो गया, जिसमें कुल बारिश लंबी अवधि के औसत (एलपीए) से 6% अधिक थी.
वर्ष 2022 में भारत में गोल्ड ईटीएफ में पूंजी आवक में भी वृद्धि हुई है और केंद्रीय बैंक द्वारा खरीदे जाने के साथ संयुक्त रूप से 2022 में अब तक में सोने की मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है.
सितंबर के दौरान घरेलू सोने की कीमत में 1.8% की गिरावट के साथ, निवेशकों ने महीने के दौरान 0.4टन की शुद्ध आमद के साथ गोल्ड ईटीएफ में वापसी की. इसने सितंबर के अंत तक कुल सोने की होल्डिंग को बढ़ाकर 38.5 टन कर दिया. कुल मिलाकर, भारतीय गोल्ड ईटीएफ ने सितंबर 2022 तक 0.9टन की छोटी लेकिन सार्थक शुद्ध आवक दर्ज की है.
रुपये को बचाने की खातिर विदेशी करेंसी बाजार में रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप के कारण कुल भंडार के प्रतिशत के रूप में सोने का भंडार (782.7 टन) रहा, जिससे विदेश मुद्रा भंडार 60 अरब डॉलर कम होकर मौजूदा 553 अरब डॉलर के स्तर पर आ चुका है.
वैश्विक परिदृश्य और रिपोर्ट में चर्चा किए गए कारकों की मेजबानी को देखते हुए, सवाल यह है कि क्या आप इस दिवाली सोना खरीदना चाहते हैं? यदि हां, तो निवेशकों के लिए कितने विकल्प उपलब्ध हैं और अगली दिवाली तक मूल्य को लेकर परिदृश्य क्या है.
निवेशकों को हमारी सलाह है कि इस दिवाली पर सोना खरीदें, क्योंकि यह सलाह दी जाती है कि अपने पोर्टफोलियो का कम से कम 10 प्रतिशत सोने में निवेशित होना चाहिए और दिवाली इस धातु खरीदने का एक शुभ अवसर है.
हम उम्मीद करते हैं कि सोने की कीमतें (सीएमपी: 51000/10 ग्राम) अगली दिवाली तक 56000/10 ग्राम की ओर बढ़ेंगी और निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे गिरावट के अवसर को इसे और खरीदने के रूप में लें.
परिदृश्य जो भी हो, अनिश्चितता के समय में सोना निवेशकों के लिए परिसंपत्ति वर्ग बन जाता है और अगर कोई सोने में विविधता लाने से लाभ उठाना चाहता है, तो भारत में सोना जमा करने के कई तरीके हैं.म्यूच्यूअल फंड्स निवेश में क्या जोखिम शामिल हैं?
- भौतिक सोना खरीदना- आभूषण, गहने, सिक्के, बार्स
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड - लंबी अवधि के लिए सोने में निवेश करने का सुरक्षित विकल्प. 2.5% प्रतिवर्ष की ब्याज दर देता है.
- ईटीएफ- एक्सचेंज ट्रेडेड फंड उन निवेशकों के लिए हैं जो सोने में निवेश करने के साथ-साथ सोने में निवेश के तरल तरीकों को भी देख रहे हैं.
- गोल्ड म्युचुअल फंड- ये विकल्प उन निवेशकों के लिए हैं जो एसआईपी के जरिए सोने में निवेश का सुविधाजनक तरीका चाहते हैं.
(लेखक एंजेल वन लिमिटेड में अनुसंधान, गैर-कृषि कमोडिटीज, और मुद्राएं विभाग के एवीपी हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. योरस्टोरी का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
घर में पड़े सोने को लीज पर देकर करें कमाई, दुनिया का पहला गोल्ड लीजिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च
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