इस सूची का संबंध मुद्रा नीति (Currency Policy) में अनुचित हेरफेर करने वाले देशों की पहचान करना है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

भारत में डिजिटल मुद्रा की शुरुआत

केंद्रीय बजटए 2022-23 की घोषणा के अनुरूप भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर, 2022 से भारत का प्रथम डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक एवं एचएसबीसी द्वारा जारी की जाएगी। लेकिन प्रथम चरण में इसका उपयोग द्वितीय बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों के थोक व्यापार में ही किया जा सकेगा। इस संबंध में आरबीआई का मानना है कि प्रथम पायलट प्रोजेक्ट के अनुभवों से सीखते हुए अन्य पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे। आगामी एक माह बाद खुदरा व्यापार में भी सीमित अनुमति के साथ केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा का उपयोग व्यवहार के निपटान एवं लेन-देन में किया जा सकेगा। भविष्य में घोषित होने वाले पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत अंतरराष्ट्रिय भुगतान एवं थोक व्यापार में भी खुले रुप में डिजिटल मुद्रा का उपयोग किया जा सकेगा।

भारत में डिजिटल मुद्रा की शुरुआत तो भारतीय रिजर्व बैंक ने कर दी है, लेकिन कदम फूंक-फूंक कर ही उठा रहा है ताकि किसी भी प्रकार की कठिनाई एवं विवाद न हो तथा डिजिटल मुद्रा की विश्वसनीयता बनी रहे। भारत में डिजिटल मुद्रा का चलन खुले रूप में नहीं है, नहीं इसके अंतर्गत किए गए लेन-देन वैध है, नहीं अवैध। दुनिया में डिजिटल करेंसी का उपयोग वर्ष 2009 से किया जा रहा है, जो कि खुले रुप मे उद्योग, व्यापार, सेवा क्षेत्र आदि में भुगतान के लिए काम में ली जाती है तथा इसमें निवेश भी किया जाता है। जिसका अपना ही मूल्य है, जो कि न तो केंद्रीय बैंक निर्धारित करता है, न ही सरकार।

यह एक विकृत रूप में स्वतंत्र व्यवस्था है जिसका संचालन निजी स्तर पर ब्लॉक चैन तकनीक के आधार पर क्रिप्टोकरंसी के रूप में किया जाता है। भारत में क्रिप्टो करेंसी को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक एवं केंद्रीय सरकार के स्तर पर स्थिति साफ नहीं है तथा विवादित विषय है लेकिन डिजिटल मुद्रा का कोई न कोई रूप के लाना आवश्यक है ताकि भुगतान एवं लेन-देन व्यवस्था को उच्च तकनीक से जोड़ा जा सकें तथा तुलनात्मक रूप से अधिक सुरक्षित, पारदर्शी तथा जहां गोपनीयता की आवश्यकता है, गोपनीय बनाया जा सके। लेकिन कठिनाई यह है कि क्रिप्टो करेंसी का दुरुपयोग अवैध तस्करी,आतंकवादी फंडिंग तथा सट्टा प्रवृत्ति में किया जा रहा है। मुनाफे की कोई सीमा नहीं है, लेकिन अत्यधिक जोखिम का सामना करना पड़ रहा है। इसी समय एक बिटकॉइन की कीमत 69000 यूएस डॉलर हो गई थी, जो कि आज लगभग 20000 प्रति बिटकॉइन रह गई है जो कि निवेश को अति जोखिम पूर्ण बनाती है।
केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा अभी जारी कागजी मुद्रा के समकक्ष ही मानी जाएगी। यह भी विधिवत एवं अधिकृत व्यवस्था है जिस पर केंद्रीय बैंक का नियमन एवं नियंत्रण होगा जिस प्रकार की कागजी मुद्रा में होता है लेकिन लाभ यह होगा कि कागजी मुद्रा में महंगे आयातित कागज एवं प्रकाशन तथा वितरण की जो लागत आती है, जो कि चलन मुद्रा की मात्रा में वृद्धि के साथ-साथ बढ़ती जाती है वह समाप्त हो जाएगी। व्यवहार लागत एवं भुगतान निपटान सरल एवं जल्दी हो जाएगा। बैंकों के मध्य आपसी भुगतान सरल एवं जल्दी हो जाएगा। इस व्यवस्था को अभी सरकारी प्रतिभूतियों के क्षेत्र में लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत जोखिम की दृष्टि से कॉलटरेल एवं गारंटी की आवश्यकता नहीं होगी।

देश में लगभग 6 वर्ष पूर्व करेंसी के विमुद्रीकरण का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था, जिसने नगदी के स्थान पर डिजिटल भुगतान व्यवस्था के चलन को तेजी से बढ़ाया है जो कि आमजन का छोटे से लेकर बड़े भुगतान में भुगतान का आधार बन गया है। डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग, एटीएम भुगतान एवं जमा की मशीनों की व्यवस्था का उपयोग सरकारी एवं गैर सरकारी स्तर पर खुदरा एवं थोक व्यापार के क्षेत्र में किया जाता है। लेकिन नकली नोटों का चलन, आतंकवादी फंडिंग, काली मुद्रा के चलन पर व्यापक प्रभाव नहीं पड़ा, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। नगद मुद्रा के चलन में लगभग 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो गई है। यदि परिणाम क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? की क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? बात की जाए तो आज भी नगद लेन-देन को ही कर बचाने की दृष्टि से अधिक प्राथमिकता प्रदान की जाती है।अत: नगद मुद्रा का स्थान डिजिटल मुद्रा नहीं ले क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? सकती है, यह एक सहकारी भूमिका ही अदा कर पाएगी। डिजिटल मुद्रा के उपयोग के कदम इस बात पर निर्भर करते हैं कि पायलट प्रोजेक्ट के क्या अनुभव वह नतीजे सामने आते हैं, लेकिन हम अंतरराष्टÑीय एवं राष्टÑीय भुगतान एवं सम्पत्तियों के निवेश में डिजिटल मुद्रा के चलन को अधिक समय तक नहीं रोक सकते हैं। हमें विकसित मौद्रिक एवं बैंकिंग व्यवस्था जो कि अंतरराष्टÑीय मापदंडों एवं चलन को प्रोत्साहित करती है, को अपनाना ही होगा।

-डॉ. सुभाष गंगवाल
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण

हमारे बैंक ने बैंक द्वारा कारोबार करने के तरीके को डिजिटाइज़ करने के उद्देश्य से “प्रोजेक्ट वेव” शुरू किया है। डिजिटल पहल के एक हिस्से के रूप में हमारे क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? बैंक ने “ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण” लॉन्च किया है जो मौजूदा पूर्व-चयनित ग्राहकों को डिजिटल प्रोसेसिंग के माध्यम से तत्काल एमएसएमई ऋण प्रदान करता है। विभिन्न मानदंडों जैसे आयु, क्रेडिट स्कोर और खाते में लेनदेन के विवरण आदि के आधार पर ग्राहक का पूर्व-चयन किया जाता है।

ग्राहक ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं और संपूर्ण प्रसंस्करण, मूल्यांकन, दस्तावेजीकरण, मंजूरी और संवितरण डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। ग्राहक निम्नलिखित में से किसी भी चैनल के माध्यम से इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं:

  • अप्लाई लोन टैब के तहत इंटरनेट बैंकिंग
  • अप्लाई लोन टैब के तहत मोबाइल बैंकिंग
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ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण के विशेष लाभ:

  • ग्राहक को शाखा में जाने की कोई आवश्यकता नहीं
  • भौतिक आवेदन की आवश्यकता नहीं
  • केवाईसी सत्यापन की आवश्यकता नहीं क्योंकि केवल केवाईसी अनुपालन करने वाले ग्राहकों का ही चयन किया जाता है
  • शाखा द्वारा कोई मैनुअल मूल्यांकन और मंजूरी की आवश्यकता नहीं
  • किसी मैनुअल दस्तावेजीकरण की आवश्यकता नहीं – ई-स्टैम्पिंग और ई-हस्ताक्षर के माध्यम से डिजिटल दस्तावेज़ निष्पादन
  • मैन्युअल खाता खोलने और संवितरण की आवश्यकता नहीं
  • शाखा के हस्तक्षेप के बिना तत्काल स्वीकृति और संवितरण

पूर्व-आवश्यक / दस्तावेज़ :
ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण के लिए आवेदन करने से पहले आवेदक के पास निम्नलिखित विवरण होना चाहिए:

  • पैन कार्ड
  • आधार कार्ड
  • उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्र (लिंक किया गया मोबाइल नंबर सीबीएस और प्रमाणपत्र में एक समान होना चाहिए)
  • वैध ई-मेल आईडी
  • सक्रिय मोबाइल नंबर जो बचत खाते / चालू खाते, आधार कार्ड और उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्र (यूआरसी) से जुड़ा हुआ हो। ओटीपी संबंधित साइट के साथ पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा

योजना के दिशानिर्देश – ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण

  • 18 वर्ष से अधिक एवं 60 वर्ष तक की आयु के भारत में निवास करने वाले व्यक्ति / प्रोप्राइटर।
  • स्टाफ सदस्य एवं सरकारी वेतनभोगी से इतर व्यक्ति
  • प्रोप्राइटरशिप फर्म।
  • बैंक का मौजूदा ग्राहक जिसका खाता कम से कम 12 महीने से हमारे बैंक में है।
  • बचत खाते या चालू खाते के रूप में व्यावसायिक खाता परिचालन अवस्था में हो एवं एकल आवेदक द्वारा परिचालित होन चाहिए।
  • ग्राहक का खाता पहले से सी-केवाईसी / ई-केवाईसी अनुपालित होना चाहिए।
  • खाता वर्तमान में और विगत 2 वर्षों के दौरान कभी एनपीए नहीं हुआ हो।
  • आवेदन की तिथि को आवेदक के सीआईएफ़ पर हमारे बैंक में अन्य कोई व्यावसायिक ऋण नहीं लिया गया हो।

उधारकर्ता को बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार सिबिल प्रभार का भुगतान करना होगा।

क्या है अमेरिका की करेंसी मॉनीटरिंग लिस्ट जिसमें से हटाया गया है भारत को?

अमेरिका का टेजरी विभाग मुद्रा निगरानी सूची (Currency Monitoring List) देशों की मुद्रा नीतियों के आधार पर जारी करता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

अमेरिका (US) के राजकोष विभाग की रिपोर्ट में जारी मुद्रा निगरानी सूची (Currency Monitoring List) में इस बार भारत (India) . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 15, 2022, 11:10 IST

हाइलाइट्स

मुद्रा निगरानी सूची हर छह महीने में जारी होती है.
भारत का इस सूची से हटना एक अच्छी खबर है.
इससे रुपये कीमत काबू करने में आसानी होगी.

इस समय दुनिया के सभी देश आर्थिक चुनौतियों से निपटने में क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? उलझे हुए हैं. कोविड-19 महामारी के कमजोर पड़ने और रूस यूक्रेन संघर्ष के चलते दुनिया की अर्थव्यवस्था में अमेरिका (USA) और ब्रिटेन जैसे बड़े बड़े देश तक डगमगाते दिख रहे हैं. ऐसे में अमेरिका के आर्थिक नीतिगत फैसलों पर दुनिया की निगाहें होना स्वाभाविक है. हाल ही में अमेरिका ने टेजरी विभाग ने मुद्रा निगरानी सूची (Currency Monitoring List) जारी की है जिसमें इस बार भारत का नाम नहीं (India) हैं. साल में दो बार अमेरिकी रोजकोष विभाग द्वारा वहां की संसद में पेश की जाने वाली रिपोर्ट में यह सूची जारी की जाती है. आखिर इस सूची में नाम होने का क्या मतलब है, उससे हटने के क्या फायदे-नुकसान है और क्या उसका कोई बहुत बड़ा प्रभाव भी पड़ेगा या नहीं.

क्या है इस सूची का मतलब

किसी देश के करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट में शामिल होने का मतलब यह है कि वह देश कृत्रिम तरीके से अपने देश की मुद्रा की कीमत कम कर रहा है जिससे वह दूसरें की से गलत फायदा उठा सके. ऐसा इसलिए है क्योंकि मुद्रा का मूल्य कम होने से उस देश के लिए निर्यात की लागत कम हो जाएगी और उससे होने वाला मुनाफा बढ़ जाएगा. जबकि सामान खरीदने वाले दश को उतनी ही कीमत देनी पड़ेगी.

क्या यह इस रिपोर्ट का मकसद

अमेरिका का राजकोष विभाग हर छह महीने में वैश्विक आर्थिक विकास और विदेशी विनियम दरों की समीक्षा पर निगरानी के आधार पर अपनी रिपोर्ट में इसकी चर्चा करता है. इसके साथ क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? ही वह अमेरिकी के 20 सबसे बड़े व्यापारिक व्यवसायी साझेदारों की मुद्रा संबंधी गतिविधियों की समीक्षा भी करता है. इस बार इस सूची में से भारत के अलावा इटली, मैक्सिको, वियतनाम और थाईलैंड को भी हटाया गया है.

इस सूची के जारी होने का समय

रोचक बात यह है कि इस रिपोर्ट को उसी दिन जारी किया गया है कि जब अमेरिका की राजकोष सचिव जेनट येलन भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बीच दिल्ली में मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करने पर जोर दिया था. यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब भारत जी20 देशों की अध्यक्षता संभालने जा रहा है.

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इस सूची का संबंध मुद्रा नीति (Currency Policy) में अनुचित हेरफेर करने वाले देशों की पहचान करना है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

भारतीय रिजर्व बैंक को फायदा

इस सूची में नाम आने पर देश को मुद्रा में हेरफेर करने वाला देश माना जाता है जो अपने देश को अवैध तरीका से व्यापारिक फायदा पहुंचाने के लिए गलत मुद्रा तरीके अपनाते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अब भारतीय रिजर्व बैंक को विनिमय दरों को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने की सहूलियत मिल सकेगी और भारत पर हेरफेर करने वाले देश का तमगा भी नहीं लगेगा.

बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था की साख

माना जा रहा है कि इससे रुपये को मजबूती हासिल करने में मदद मिल सकती है. बाजारों में इसका फायदा देखने को मिले विदेशी निवेशकों में भारत में निवेश करने के लिए विश्वास बढ़ेगा. और विश्व स्तर पर भारत की आर्थिक साख मजबूत होगी.इसके साथी जी 20 देशों की अध्यक्षता मिलने और सूची से नाम हटने दोनों से देश की अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा.

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इस सूची का संबंध मुद्रा नीति (Currency Policy) में अनुचित हेरफेर करने वाले देशों की पहचान करना है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

तीन मानदडों का आधार

इस रिपोर्ट में बताया गया है मुद्रा निगरानी सूची में अभी चीन, जापान, कोरिया, जर्मनी, मलेशिया, सिंगापुर और ताइवान शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यदि कोई देश इस सूची की तीन मानदंडों में से दो भी पूरा करता है तो उस देश को इस सूची में शामिल कर लिया जाता है. एक बार सूची में नाम आ जाने पर वह इसमें कम से कम लगातार दो रिपोर्ट तक शामिल रहता है.

अमेरिका के ट्रेड फैलिटेशन एंड क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? ट्रेड एनफोर्समेंट एक्ट 2015 के अनुसार अगर कोई देश तीन मानदडों में से दो को भी पूरा करता है तो वह इस सूची में शामिल करने के योग्य हो जाता है. पहला, उस देश का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष कम से कम 15 अरब डॉलर का होना चाहिए. दूसरा, सामग्री चालू खाता अधिशेष जीडीपी का कम से कम 3 प्रतिशत हो, जिसका आंकलन राजकोष विभाग अपने वैश्विक विनिनय दर आंकलन ढांचे के तहत करे. तीसरा, एक साल में कम से कम 8 बार विदेशी मुद्रा की खरीदी में एक तरफा दखल हो और यह खरीद जीडीपी की कम से कम दो प्रतिशत हो. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इन तीन में से केवल की मानदंड पूरा करता है.

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ग्राहक ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं और संपूर्ण प्रसंस्करण, मूल्यांकन, दस्तावेजीकरण, मंजूरी और संवितरण डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। ग्राहक निम्नलिखित में से किसी भी चैनल के माध्यम से इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं:

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पूर्व-आवश्यक / दस्तावेज़ :
ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण के लिए आवेदन करने से पहले आवेदक के पास निम्नलिखित विवरण होना चाहिए:

  • पैन कार्ड
  • आधार कार्ड
  • उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्र (लिंक किया गया मोबाइल नंबर सीबीएस और प्रमाणपत्र में एक समान होना चाहिए)
  • वैध ई-मेल आईडी
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योजना के दिशानिर्देश – ऑनलाइन शिशु मुद्रा ऋण

    क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है?
  • 18 वर्ष से अधिक एवं 60 वर्ष तक की आयु के भारत में निवास करने वाले व्यक्ति / प्रोप्राइटर।
  • स्टाफ सदस्य एवं सरकारी वेतनभोगी से इतर व्यक्ति
  • प्रोप्राइटरशिप फर्म।
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उधारकर्ता को बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार सिबिल प्रभार का भुगतान करना होगा।

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 14 October, 2022 UPSC CNA in Hindi

निम्नलिखित में से किस राष्ट्रीय उद्यान का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है?

(a) बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान

(b) देहिंग पटकाई राष्ट्रीय उद्यान

(c) मौलिंग राष्ट्रीय उद्यान

(d) नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान

उत्तर: d

व्याख्या:

  • नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान वर्ष 1983 में अरुणाचल प्रदेश में स्थापित एक विशाल संरक्षित क्षेत्र है।
  • 1,000 से अधिक फूलों और लगभग 1,400 जीव प्रजातियों के साथ, यह पूर्वी हिमालय में एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है।
  • यह पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल क्या भारत में मुद्राओं का व्यापार अवैध है? प्रदेश राज्य में चांगलांग जिले के भीतर भारत और म्यांमार के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है।
  • यह दुनिया का एकमात्र उद्यान है जहां बड़ी बिल्ली की चार प्रजातियां हैं बाघ (पैंथेरा टाइग्रिस), तेंदुआ (पैंथेरा पार्डस), हिम तेंदुआ (पैंथेरा उनसिया) और धूमिल तेंदुआ (नियोफेलिस नेबुलोसा) पाई जाती हैं।
  • हालाँकि, राष्ट्रीय उद्यान में हिम तेंदुओं को अभी तक न तो देखा गया है और न ही दर्ज किया गया है और हाल के सर्वेक्षण के आधार पर वन्यजीव अधिकारियों को हिम तेंदुए की मौजूदगी की पुष्टि का इंतजार है।
  • भारत में पाई जाने वाली एकमात्र ‘वानर’ प्रजाति, हूलॉक गिबन्स, इस राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है।

प्रश्न 5. भारत के संदर्भ में, ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA)’ के ‘अतिरिक्त नयाचार (एडिशनल प्रोटोकॉल)’ का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है? (CSE-PYQ-2018)(स्तर – कठिन)

(a) असैनिक परमाणु रिएक्टर IAEA के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं।

(b) सैनिक परमाणु अधिष्ठान IAEA के निरीक्षण के अधीन आ जाते हैं।

(c) देश के पास नाभिकीय पूर्तिकर्ता समूह (NSG) से यूरेनियम के क्रय का विशेषाधिकार हो जाएगा।

(d) देश स्वतः NSG का सदस्य बन जाता है।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • पुराने आईएईए (International Atomic Energy Agency (IAEA)) सुरक्षा उपायों के तहत सभी एनपीटी हस्ताक्षरकर्ता अपने परमाणु स्थलों को निर्दिष्ट करेंगे और आईएईए निर्दिष्ट स्थलों का निरीक्षण करेगा।
  • इस प्रकार, आईएईए, पुराने सुरक्षा उपायों के तहत, केवल किसी देश द्वारा घोषित या निर्दिष्ट स्थलों पर ही अनधिकृत गतिविधियों के लिए निरीक्षण कर सकता था।
  • इस प्रकार इसने मूल रूप से राष्ट्रों के लिए गुप्त परमाणु कार्यक्रम चलाने का एक विकल्प खुला छोड़ दिया – जैसा कि इराक के मामले में हुआ था।
  • इस प्रकार, वर्ष 1993 में, IAEA ने मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा करने के लिए अतिरिक्त प्रोटोकॉल (AP) तैयार किए।
  • हालांकि, भारत विशिष्ट अतिरिक्त प्रोटोकॉल आईएईए को उन गतिविधियों में बाधा डालने या हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देते हैं जो भारत के सुरक्षा समझौतों के दायरे से बाहर हैं, इस प्रकार भारत IAEA समझौते के बाहर एक सैन्य परमाणु कार्यक्रम के संचालन का अधिकार सुरक्षित रखता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. “पेलेट संयंत्र और टॉरफेक्शन दिल्ली के प्रदूषण का जवाब हो सकता है”। व्याख्या कीजिए। (150 शब्द, 10 अंक) (जीएस-3; पर्यावरण)

प्रश्न 2.”मनरेगा योजना महामारी के दौरान और बाद विफलता और एक सफलता दोनों थी”। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस-2; शासन)

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