भारत में वित्तीय बाजार को कौन नियंत्रित करता है?

वित्तीय बाजार की क्या भूमिका है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंवित्तीय बाजार वित्तीय सम्पत्तियों जैसे अंश, बांड के सृजन एवं विनिमय करने वाला बाजार होता है। यह बचतों को गतिशील बनाता है तथा उन्हें सर्वाधिक उत्पादक उपयोगों की ओर ले जाता है। वित्तीय बाजार दो ऐसे समूहों के बीच एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं जो निवेश तथा बचत का कार्य करते वित्तीय बाजारों में क्या कमी है हैं।

इसे सुनेंरोकेंअर्थ के संबंध में वित्त बाजार (अंग्रेज़ी: Financial market) वह व्यवस्था है जो लोगों को वित्तीय प्रतिभूतियों (जैसे शेयर, बांड आदि), वस्तुओं (जैसे मूल्यवान धातुएँ, कृषि उत्पाद आदि) एवं अन्य सामानों के क्रय-विक्रय (व्यापार) की सुविधा देता है ताकि वे कम खर्चे पर दक्षतापूर्वक क्रय-विक्रय कर सकें।

विदेशी विनिमय बाजार से आप क्या समझते हैं इसके महत्व और भागीदारों के कार्यों का वर्णन कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंविदेशी मुद्राओं का व्यापार विशेष बाजार में किया जाता हैं। विदेशी विनिमय (या फोरेक्स या एफएक्स) बाजार सबसे बड़ा बाजार है, जिसमें विदेशी व्यापारियों के बीच ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य का आदान–प्रदान होता है। सरल शब्दों में, एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में परिवर्तित करना विदेशी विनिमय कहलाता है।

वित्तीय बाजार को कितने भागों में बांटा गया है?

इसे सुनेंरोकेंवित्तीय बाजार को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है। प्रश्न 5, मुद्रा बाजार किसे कहते हैं? वह बाजार जहां अल्पकालीन प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय किया जाता है ,उसे मुद्रा बाजार कहते हैं। इसके अंतर्गत उन सभी संगठनों एवं संस्थाओं को शामिल किया जाता है जो अल्पकालीन कोषों का प्रबंध एवं उपयोग करते हैं।

इसे सुनेंरोकेंउत्तर-राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ वे हैं वित्तीय बाजारों में क्या कमी है जो राष्ट्रीय स्तर पर वित्त प्रबंधन तथा साख अथवा ऋण के लेन-देन का कार्य करती हैं। इन वित्तीय संस्थाओं को प्रायः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है- मुद्रा बाजार की वित्तीय संस्थाएँ तथा पूँजी बाजार की वित्तीय संस्थाएँ।

देश के समस्त वित्तीय प्रणाली का नियंत्रण कौन करता है?

इसे सुनेंरोकेंभारतीय रिजर्व बैंक ने देश में सर्वोच्च मौद्रिक और बैंकिंग अधिकार है और बैंकिंग प्रणाली को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी है। यह सभी वाणिज्यिक बैंकों की आरक्षित रहता है और इसलिए रिजर्व बैंक के रूप में जाना जाता है।

भारत में वित्तीय बाजार ( Financial Market in India ) का अर्थ क्या है ?

अर्थ ( Meaning ) :- वित्तीय बाजार एक ऐसी संस्था है जिसमें वित्तीय सम्पत्तियों का क्रय-विक्रय सुविधाजनक रूप से किया जाता है । वित्तीय सम्पत्तियों में जमा ( Deposit ), ऋण ( Debt ), स्टॉक ( Stock ), बॉण्ड ( Bond ), सरकारी प्रतिभूतियाँ ( Govt. Securities ), चैक, बिल्स आदि शामिल हैं । वित्तीय बाजार में कार्य करने वालों में दलाल, व्यापारिक, बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाएँ, बैंक, म्युचुअल फण्ड, कटौती या बट्टा ग्रह ( Discount House ), स्वीकृति ग्रह ( Acceptance House ), केन्द्रीय बैंक आदि होते हैं ।

एक अन्य अर्थ में वित्तीय बाजारों के विषय में बताया गया है कि वित्तीय बाजार ऐसे केन्द्र या व्यवस्था हैं जो वित्तीय दावे ( Financial Claims ) और सेवाओं के क्रय-विक्रय के लिए सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं । इस बाजार में निगम, वित्तीय संस्थाएँ, व्यक्ति, सरकारें वित्तीय उत्पाद ( Financial Product ) का व्यापार या तो प्रत्यक्ष या दलाल, व्यापारी, संगठित विनिमय केन्द्र, बन्द विनिमय केन्द्र आदि के द्वारा करते हैं । इस बाजार में माँग-पूर्ति पक्ष के भाग लेने वालों में कमीशन एजेन्ट, दलाल, वित्तीय संस्थाएँ, व्यापारी, ऋण देने वाले, ऋण लेने वाले, बचतकर्ता एवं अन्य ऐसे जो कानून, प्रसंविदा, सम्प्रेषण आदि से जुड़े हुए होते हैं ।

वित्तीय बाजार एवं इसके प्रकार (Financial Market and its type in Hindi)

Financial Market and its type in Hindi

नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे अनेक क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। इस लेख के माध्यम से हम समझेंगे वित्तीय बाज़ार (Financial Market and its type in Hindi) के बारे में और जानेंगे बाजार के प्रकारों को।

क्या है वित्तीय बाज़ार?

वित्तीय बाजार से पूर्व समझते हैं बाज़ार को, बाज़ार से आशय ऐसे स्थान से है, जहाँ वस्तुओं या सेवाओं का लेन-देन किया जाता हो। इसी प्रकार वित्तीय बाज़ार एक ऐसा बाजार है, जहाँ अनेक वित्तीय उत्पादों जैसे शेयर, बांड्स, डिबेंचर, मुद्राओं आदि की खरीद बिक्री की जाती है। सामान्यतः यहाँ धन या वित्त का प्रवाह आधिक्य वाले क्षेत्रों से कमी वाले क्षेत्रों की ओर होता है। बाज़ार का मुख्य आधार ब्याज अथवा लाभांश अर्जित करना होता है।

वित्तीय बाज़ार (Financial Market) के मुख्यतः दो अंग हैं।

  • मुद्रा बाज़ार
  • पूँजी बाज़ार

मुद्रा बाज़ार (Money Market)

ऐसा बाजार जहाँ विभिन्न वित्तीय संपत्तियों तथा परिसंपत्तियों की खरीद तथा बिक्री अल्प काल, सामान्यतः एक वर्ष से कम की अवधि के लिए की जाती है मुद्रा बाजार कहलाता है। इस बाजार के माध्यम से रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा की तरलता (Liquidity) को नियंत्रित किया जाता है। तरलता से आशय किसी भी वित्तीय संपत्ति को न्यूनतम समय तथा न्यूनतम हानि में नगदी या कैश में परिवर्तन करने से है। उदाहरण के तौर पर सोने को किसी मकान की तुलना में बेहद कम समय में कैश में बदला जा सकता है अतः सोने की तरलता मकान से अधिक होगी।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ वित्तीय बाजारों में क्या कमी है से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों वित्तीय बाजारों में क्या कमी है में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

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