आपातकालीन फंड रखना है जरुरी
आप चाहे कितनी भी कमाई करते हों आपको एक छोटा सा फंड ऐसा रखना चाहिए जो इमरजेंसी के समय काम आये. यानी ऐसे खर्चें जिनके बारे में आपने सोचा ही नहीं और जो एकदम से आपके सामने आ गए. जैसे कोरोनाकाल के दौरान कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. वेतन में कटौती का सामना करना पड़ा. बिजनेस ठप पड़ गए. व्यापार में भारी नुकसान हुआ. तो ऐसी स्थिति से बचने के लिए आपातकालिक फंड आपकी सहायता कर सकता है.
LIC Aadhaar Shila Plan : महिलाओं के लिए बेस्ट है LIC की ये पॉलिसी, कम निवेश में मिलेगा लाखों का फायदा
Aadhaar Shila Plan : देश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम ( Life Insurance Corporation of India ) पर आज भी देश के लाखों लोग भरोसा करते हैं ! कंपनी समय-समय पर कई ऐसे प्लान लाती है जो लोगों को भविष्य की बेहतर प्लानिंग करने में मदद करते हैं ! आज हम आपको एलआईसी आधार शिला पॉलिसी ( LIC Aadhaar Shila Policy ) के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको बेहद कम पैसे में अच्छी बचत दे सकती है !
Aadhaar Shila Plan
Aadhaar Shila Plan
अगर आप भी छोटे निवेश ( Investment ) से शुरुआत करना चाहते हैं ! तो एलआईसी की आधार शिला प्लान ( LIC Aadhaar Shila Plan ) आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है ! भारतीय जीवन बीमा निगम ( Life Insurance Corporation of India ) की इस योजना में निवेश करने वाली महिलाओं को बचत और सुरक्षा दोनों का लाभ मिलता है ! इस पॉलिसी को खरीदने से आपको कई फायदे मिलेंगे ! बता दें कि यह नीति उन महिलाओं के लिए तैयार की गई है जिनके पास यूआईडीएआई द्वारा जारी आधार कार्ड है ! आइए एलआईसी के इस खास प्लान के बारे में विस्तार से जानते हैं !
कौन ले सकता है यह पॉलिसी
- इस योजना में निवेश ( Investment ) करने के लिए न्यूनतम आयु सीमा आठ वर्ष है !
- यह पॉलिसी अधिकतम 55 वर्ष की महिला ले सकती है !
- वहीं, मैच्योरिटी के समय पॉलिसीधारक की उम्र 70 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए !
- यह आधार शिला पॉलिसी ( Aadhaar Shila Policy ) बचत के साथ-साथ जीवन बीमा भी प्रदान करती है !
- इस पॉलिसी की मैच्योरिटी पर पॉलिसीधारक को एकमुश्त राशि मिलती है !
- हालांकि, पॉलिसीधारक की मृत्यु की स्थिति में परिवार को सहायता राशि मिलती है !
महिलाओ के लिए है यह पॉलिसी
एलआईसी की आधारशिला पॉलिसी ( LIC Aadhaar Shila Policy ) सिर्फ महिलाओं के लिए है ! जिसमें 8 साल की उम्र से लेकर 55 साल की उम्र तक निवेश किया जा सकता है ! इस नीति में महिलाओं को कई तरह से लाभ मिलता है ! उदाहरण के लिए, इस पॉलिसी में कोई भी महिला न्यूनतम 75 हजार रुपये और अधिकतम 3 लाख रुपये का बीमा किसी विशेष मुद्रा में निवेश करने लायक कैसे निर्धारित करें खरीद सकती है !
भारतीय जीवन बीमा निगम ( Life Insurance Corporation of India ) की इस योजना के तहत आप तिमाही, छमाही और सालाना आधार पर निवेश कर सकते हैं ! इस प्लान के तहत आप कम से कम 10 साल और अधिकतम 20 साल के लिए निवेश ( Investment ) कर सकते हैं ! अगर आप 20 साल तक हर महीने 899 रुपये जमा करते हैं ! तो पहले साल में सिर्फ 10,959 रुपये ही जमा करेंगे ! इस पर आपको 4.5 फीसदी टैक्स भी देना होगा !
एलआईसी आधार शिला योजना-944 किसी विशेष मुद्रा में निवेश करने लायक कैसे निर्धारित करें के लिए पात्रता
केवल महिलाओं के लिए – यह नीति विशेष रूप से महिलाओं के लिए बनाई गई है, इसलिए केवल महिलाएं ही योजना ले सकती हैं !
- न्यूनतम आयु – यह पॉलिसी कम से कम 8 वर्ष पुरानी होनी चाहिए ! इसका मतलब है कि यह पॉलिसी उस पॉलिसीधारक को दी जा सकती है जिसने 8 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है !
- पॉलिसी अवधि – इस योजना में न्यूनतम पॉलिसी अवधि 10 वर्ष और अधिकतम 20 वर्ष है ! मतलब यह आधार शिला प्लान ( Aadhaar Shila Plan ) 10 साल से कम और 20 साल से ज्यादा का कोई भी व्यक्ति नहीं ले सकता !
- मैच्योरिटी की अधिकतम उम्र – इस पॉलिसी में मैच्योरिटी की अधिकतम उम्र 70 होनी चाहिए ! मतलब 50 साल का व्यक्ति इस प्लान को 20 साल के लिए दे सकता है ! और अगर व्यक्ति की उम्र 55 साल है तो 15 साल से ज्यादा के लिए पॉलिसी नहीं दी जा सकती है !
- सम एश्योर्ड – इस पॉलिसी ( LIC Aadhaar Shila Policy ) में न्यूनतम सम एश्योर्ड 75,000 रुपये है और अधिकतम 3,00,000 रुपये तक लिया जा सकता है !
मैच्योरिटी पर भारी रिटर्न (Aadhaar Shila Plan)
यदि आधार शिला प्लान ( Aadhaar Shila Plan ) खरीदने वाली महिला की दुर्भाग्य से मृत्यु हो जाती है ! तो ऐसी स्थिति में उसके घर के सदस्यों को निर्धारित राशि का भुगतान किया जाएगा ! वहीं, इस पॉलिसी में कोई आयकर छूट नहीं मिलती है !
अगर आप 20 साल तक हर महीने 899 रुपये जमा करते हैं ! तो 20 साल में आप कुल 2 लाख 14 हजार रुपये का निवेश करेंगे ! जिसमें आपको पॉलिसी की मैच्योरिटी पर 3 लाख 97 हजार रुपये मिलेंगे ! इस एलआईसी आधार शिला प्लान ( LIC Aadhaar Shila Plan ) में निवेश करके महिलाएं अपना भविष्य सुरक्षित कर सकती हैं ! और 20 साल बाद मोटी रकम जमा कर सकती हैं !
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Investment Key points & Tips : कुछ लोग बिना किसी प्लानिंग के निवेश शुरू कर देते हैं, जिसके कारण उनका बजट हिल जाता है.
पहले कर्ज से पाएं मुक्ति
आप कहीं निवेश करने जा रहे हैं तो उसके पहले अपने सारे कर्ज चुका दें. बहुत अधिक कर्ज होने पर निवेश से मिलने वाला रिटर्न कर्ज के ब्याज को चुकाने में ही निकल जाएगा.
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पहले बनाएं बजट
निवेश से पहले आपको आय और व्यय की पूरी जानकारी होनी चाहिए. यानी आपकी आय कितनी है और घर का खर्चा कितना है. इस आधार पर बजट तैयार करें. पति-पत्नी साथ में बजट बनाकर साथ में निवेश कर सकते हैं, जिससे मुनाफ़ा ज्यादा होने की सम्भावना होती है. बजट बनाते समय यह भी याद रखें कि समय के साथ आपके खर्चे बढ़ सकते हैं. आपको शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग टर्म खर्चों का भी चुनाव करना होगा. जिनके लिए एक सेविंग अलग से करनी होगी. आय को अलग-अलग टुकड़ों में बांट दें. जिसमें से एक टुकड़ा सेविंग के लिए रखें और बाकी अन्य खर्चों के लिए.
लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस
परिवार के हर सदस्य का हेल्थ इंश्योरेंस जरुरी है. बीमारियां दस्तक देकर नहीं आती हैं. यदि हेल्थ इंश्योरेंस नहीं होगा किसी विशेष मुद्रा में निवेश करने लायक कैसे निर्धारित करें तो आपात की स्थिति में आपको अपने निवेश का ही इस्तेमाल करना पड़ेगा. ऐसे में आपका आर्थिक लक्ष्य हासिल नहीं हो पाएगा.
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आपातकालीन फंड रखना है जरुरी
आप चाहे कितनी भी कमाई करते हों आपको एक छोटा सा फंड ऐसा रखना चाहिए जो इमरजेंसी के समय काम आये. यानी ऐसे खर्चें जिनके बारे में आपने सोचा ही नहीं और जो एकदम से आपके सामने आ गए. जैसे कोरोनाकाल के दौरान कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा. वेतन में कटौती का सामना करना पड़ा. बिजनेस ठप पड़ गए. व्यापार में भारी नुकसान हुआ. तो ऐसी स्थिति से बचने के लिए आपातकालिक फंड आपकी सहायता कर सकता है.
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आर्थिक लक्ष्य करें निर्धारित
निवेश से पहले आपको आपका आर्थिक लक्ष्य पता होना चाहिए. किसी से देखादेखी या फिर बाद निवेश करने के उद्देश्य से ही निवेश न करें. निवेश करने से पहले एक लक्ष्य निर्धारित करें और फिर उसे हासिल करने के लिए प्रयास करें. इसके लिए आपको कुछ सालों का इन्तजार कारन होगा, लेकिन सही प्लानिंग से सभी कुछ आसानी से हासिल किया जा सकता है.
Srilanka के साथ व्यापार के लिए Indian Rupee का इस्तेमाल अगला कदम: अधिकारी
Srilanka के साथ व्यापार के लिए Indian Rupee का इस्तेमाल अगला कदम: किसी विशेष मुद्रा में निवेश करने लायक कैसे निर्धारित करें अधिकारी
Srilanka के बीच विस्तारित आर्थिक संबंध व्यापार के लिए Indian Rupee का उपयोग करने के अवसर पेश करेंगे, परमेश्वरन अय्यर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, NITI Aayog , इंडियाज नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया ने कोलंबो में एक नीति मंच को बताया।
Srilanka के साथ व्यापार के लिए Indian Rupee का इस्तेमाल अगला कदम: अधिकारी
Srilanka के लिए भारत की विकास सहायता लगभग 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और द्विपक्षीय व्यापार 2021 में 5.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसे श्रीलंका के सीलोन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक नीति मंच ने बताया।
अय्यर ने कहा, “व्यापार के लिए Indian Rupee का उपयोग करना” श्रीलंका के साथ आर्थिक संबंधों के विस्तार के अगले कदमों में से एक होगा।
उन्होंने कहा कि Srilanka के नवीनतम मुद्रा संकट के दौरान भारत ने आयात क्रेडिट, स्वैप और एशियन क्लियरिंग यूनियन डिफरल्स में 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक दिए थे।
एक अरब अमेरिकी डॉलर में मूल्यवर्गित एक आयात ऋण रुपये में तय किया जा रहा है।
इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने श्रीलंका सहित अन्य देशों में भी बैंकों को लेन-देन के निपटारे के लिए VOSTRO खाते खोलने के लिए प्रोत्साहित किया है।
जब तक भारतीय रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण नहीं किया गया और राज्य के अर्थशास्त्रियों ने पैसे छापना शुरू नहीं किया, तब तक भारतीय रुपया ‘दक्षिण एशिया का डॉलर’ था, इसके मूल्य को नष्ट कर दिया और विनिमय और व्यापार नियंत्रण शुरू कर दिया।
श्रीलंकाई रुपया और दक्षिण एशिया में अधिकांश मुद्राएँ Indian Rupee से उत्पन्न होती हैं, जब इसे चांदी की खूंटी से नियंत्रित किया गया था, बाद में इसे सोने में स्थानांतरित कर दिया गया था, इससे पहले मैक्रो-अर्थशास्त्रियों को चेहरे पर शास्त्रीय अर्थशास्त्र की वापसी के साथ पैसे प्रिंट करने की शक्ति मिल गई थी। केनेसियनवाद का।
1950 तक श्रीलंका में भारतीय रुपये के साथ एक-से-एक मुद्रा बोर्ड था।
भारत के न्यू इंडिया एक्सप्रेस अखबार ने बताया कि देश भारतीय रुपये का उपयोग करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी के साथ बातचीत कर रहा था।
विडंबना यह है कि स्थूल-अर्थशास्त्रियों के रुपये पर कब्जा करने से पहले, भारतीय मुद्रा वर्तमान संयुक्त अरब अमीरात में उपयोग की जाने वाली आधिकारिक मुद्रा थी, जो कि ट्रुशियल स्टेट्स कहलाती थी, जो ब्रिटिश संरक्षण के साथ-साथ बहरीन, ओमान और कतर के अधीन थी।
आजादी के बाद जैसे ही भारतीय रुपया संकट में आया, देश ने गल्फ रुपी नामक एक नई मुद्रा शुरू की।
भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रा संग्रहालय ने कूटनीतिक रूप से कहा , “स्वतंत्रता प्राप्त करने पर, भारत ने एक आरामदायक विदेशी मुद्रा स्थिति के साथ शुरुआत की ।” “विकास की खोज और ‘पकड़ने’ की मांगों ने विदेशी मुद्रा की स्थिति पर काफी जोर दिया।”
“जैसा कि खाड़ी देशों ने अपनी मुद्रा जारी की, इन नोटों को 1960 के दशक की शुरुआत से वापस ले लिया गया और 1970 के आसपास इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया।”
गल्फ रुपी के बारे में यहाँ और पढ़ें
मध्य पूर्वी क्षेत्रों ने ब्रिटिश समर्थन के साथ मुद्रा-बोर्ड जैसे मौद्रिक प्राधिकरणों की स्थापना की, जिसने विकास अर्थशास्त्रियों और केनेसियन मैक्रो-अर्थशास्त्रियों को दरों को दबाने और अस्थिरता पैदा करने और भारतीय मुद्रा को डंप करने के लिए बहुत कम या कोई जगह नहीं दी।
बड़ी संख्या में भारतीय अब पूर्व ब्रिटिश संरक्षकों में काम करते हैं, जिनकी ज्यादातर अमेरिकी डॉलर के साथ विनिमय दर तय होती है और मौद्रिक स्थिरता होती है, दक्षिण एशिया के देशों के विपरीत, जहां आक्रामक खुले बाजार संचालन वाले केंद्रीय बैंक होते हैं।
कई श्रीलंकाई भी अब मुद्रा-बोर्ड जैसे मौद्रिक प्राधिकरणों के साथ खाड़ी देशों में काम करते हैं।
जब श्रीलंका में एक मुद्रा बोर्ड था, तब द्वीप में लगभग 11 महीने के आयात की ‘आरामदायक विदेशी मुद्रा की स्थिति’ भी थी और देश ने श्रम का भी आयात किया था।
जैसा कि देश के वृहत/विकास अर्थशास्त्रियों ने विदेशी मुद्रा की कमी पैदा करने वाले धन को छापा, बाहरी प्रेषण के लिए कोटा निर्धारित किया गया। मालदीव को छोड़कर दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों के साथ श्रीलंका अब प्रेषण का शुद्ध प्राप्तकर्ता है, जिसके पास कम आक्रामक खुले बाजार संचालन के साथ बेहतर पेग है।
अधिकांश तीसरी दुनिया के केंद्रीय बैंक जो पैसे छापते हैं सक्रिय रूप से हतोत्साहित करते हैं और विदेशों में अपनी मुद्राओं के उपयोग का अपराधीकरण करते हैं, ‘मौद्रिक नीति’ चिंताओं का हवाला देते हुए देश के बाहर नोट ले जाने पर प्रतिबंध लगाते हैं।
हालाँकि, भारतीय रुपये का उपयोग अनौपचारिक रूप से लेन-देन किसी विशेष मुद्रा में निवेश करने लायक कैसे निर्धारित करें को व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है, भारत आने वाले श्रीलंकाई भी रुपये के नोट लेते हैं, जो अंकुश बाजार में उपलब्ध हैं।
केंद्र सरकार का पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का कोई प्रस्ताव नहीं: वित्त राज्यमंत्री
नई दिल्ली: वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने सोमवार को कहा कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.
उन्होंने लोकसभा को एक लिखित प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी.
ज्ञात हो कि पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन मिलती है. इसके तहत कर्मचारी को अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में मिलने का प्रावधान है. हालांकि पेंशन की राशि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत अंशदायिता वाली होती है जो 2004 से प्रभाव में है.
कराड ने कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरकारों ने अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को फिर से शुरू करने के अपने फैसले से केंद्र सरकार को और पेंशन निधि नियामक तथा विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को अवगत कराया है.
उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने 18 नवंबर, 2022 को सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस के कार्यान्वयन के संबंध में अधिसूचना जारी की है, जो वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत हैं. उन्होंने जोड़ा, ‘पंजाब सरकार से अब तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं मिला है.’
इन राज्य सरकारों के प्रस्तावों के जवाब में पीएफआरडीए ने संबंधित राज्यों को सूचित किया है कि सरकार के और कर्मचारी के अंशदान के रूप में जमा राशि को राज्य सरकार को लौटाने का कोई प्रावधान नहीं है.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उन्होंने आगे जोड़ा, ‘पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए भारत सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.’
ज्ञात हो कि साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने ओपीएस को बंद करने का फैसला किया था और एनपीएस की शुरुआत की थी. एक अप्रैल, 2004 से केंद्र सरकार की सेवा (सशस्त्र बलों को छोड़कर) में शामिल होने वाले सभी नए कर्मचारियों पर लागू होने वाली यह योजना एक भागीदारी योजना है, जहां कर्मचारी सरकार के साथ मिल-जुलकर अपने वेतन से पेंशन कोष में योगदान करते हैं.
पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने एनपीएस लागू किया था. इस साल विपक्ष शासित छत्तीसगढ़, राजस्थान, झारखंड और पंजाब ने घोषणा की है कि वे ओपीएस को बहाल करेंगे. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में ओपीएस एक प्रमुख चुनावी मुद्दे के रूप में उभरा था.
समय-समय पर कई कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए प्रदर्शन करते रहे हैं. बीते महीने ही केंद्र सरकार के कर्मचारी यूनियन के एक महासंघ ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करते हुए कैबिनेट सचिव को लिखे पत्र में कहा था कि नई पेंशन योजना सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए बुढ़ापे में आपदा के समान है.
उधर, एक अलग प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि भारतीय नोटों पर स्वतंत्रता सेनानियों, प्रतिष्ठित हस्तियों, देवी-देवताओं, जानवरों आदि की फोटो शामिल करने के लिए कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं.
कांग्रेस सांसद ए. एंटनी ने पूछा था कि क्या सरकार को भारतीय करेंसी नोटों पर अधिक फोटो (लक्ष्मी और गणेश की छवियों सहित) को शामिल करने के लिए कोई अनुरोध/अभ्यावेदन प्राप्त हुआ है. इस पर चौधरी ने हामी भरी.
उन्होंने आगे जोड़ा, ‘…करेंसी नोटों पर तस्वीर के संबंध में कई अनुरोध/सुझाव प्राप्त हुए हैं. आरबीआई ने इस संबंध में 6 जून, 2022 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया कि मौजूदा मुद्रा और बैंक नोटों में बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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Border पर तनाव के बीच सरकार ने किया बड़ा खुलासा, देसी कंपनियों में ‘चीनी’ सेंधमारी
भारत की 3,560 कंपनियों में चीनी डायरेक्टर हैं. कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि देश में 174 चीनी कंपनियां विदेशी कंपनियों के रूप में रजिस्टर्ड हैं, जिनका मंत्रालय के साथ भारत में कारोबार है.
India China Border : जहां एक ओर अरुणाचल प्रदेश में चीन और भारत की सेना आमने-सामने (India China Border Clash) हैं और वहीं दूसरी ओर भारत सरकार ने संसद में चीनी कंपनियों पर बड़ा खुलासा कर दिया है. संसद में बताया गया कि देश में पौने 200 चीनी कंपनियां (Chinese Companies) विदेशी कंपनियों के रूप में रजिस्टर्ड हैं और साथ ही देश की 3,500 से ज्यादा कंपनियों में चीनी डायरेक्टर्स (Chinese Directors in Indian Companies) का होल्ड है. अब आप समझ सकते हैं कि देश की कंपनियों में चीनी की दखलअंदाजी की कितनी बढ़ चुकी है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार ने चीन से जुड़े किस तरह के आंकड़ें संसद में पेश किए हैं.
3560 कंपनियों में चीनी डायरेक्टर्स
सरकार ने संसद में चौकाने वाला आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि भारत की 3,560 कंपनियों में चीनी डायरेक्टर हैं. कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि देश में 174 चीनी कंपनियां विदेशी कंपनियों के रूप में रजिस्टर्ड हैं, जिनका मंत्रालय के साथ भारत में कारोबार है.
अलग से नहीं रखा जाता डाटा
उन्होंने कहा कि सीडीएम डाटाबेस के अनुसार, भारत में 3,560 कंपनियां हैं जिनमें चीनी निदेशक हैं. चीनी निवेशकों/शेयरधारकों वाली कंपनियों की संख्या देना संभव नहीं है क्योंकि डाटा एमसीए (कॉर्पोरेट मंत्रालय) में अलग से नहीं रखा जाता है. कॉरपोरेट डाटा मैनेजमेंट (सीडीएम) पोर्टल को मंत्रालय द्वारा इन-हाउस डाटा एनालिटिक्स और बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट के रूप में विकसित किया गया है.
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