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Shutter Down: हड़ताल के कारण टाटा मोटर्स ने बंद किया मार्कोपोलो बस कारखाना

टाटा मोटर्स ने मार्कोपोलो बस के निर्माण से जुड़ी कर्नाटक के धारवाड़ स्थित यूनिट को बंद करने का फैसला लिया है। यह यूनिट लोफ्लोर और सिटी बसें बनाती है।

Abhishek Shrivastava
Updated on: February 09, 2016 15:29 IST

Shutter Down: हड़ताल के कारण टाटा मोटर्स ने बंद किया मार्कोपोलो बस कारखाना- India TV Hindi

Shutter Down: हड़ताल के कारण टाटा मोटर्स ने बंद किया मार्कोपोलो बस कारखाना

नई दिल्‍ली। टाटा मोटर्स ने मार्कोपोलो बस के निर्माण से जुड़ी कर्नाटक के धारवाड़ स्थित यूनिट को बंद करने का फैसला लिया है। टाटा मार्कोपोलो मोटर्स की यह यूनिट डीटीसी और दूसरे परिवहन निगमों के लिए लोफ्लोर और अन्‍य सिटी बसें बनाती है। इस प्‍लांट में वेतन वद्धि की मांग को लेकर कर्मचारियों हड़ताल पर हैं। जिसके बाद कंपनी ने अब संयंत्र में तालाबंदी की घोषणा की गई। यह कंपनी का सबसे नया मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्‍लांट है।

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तस्वीरों में देखिए ऑटो एक्‍सपो में टाटा मोटर्स की कारों की झलक

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31 जनवरी से काम पर नहीं आ रहे कर्मचारी

कंपनी ने कहा कि कर्मचारी 31 जनवरी, 2016 को अवैध हड़ताल पर उतारू हो गए और बड़ी संख्या में कर्मचारी काम पर नहीं आए जिससे संयंत्र के प्रबंधन को कारखाना विदेशी मुद्रा कर्नाटक एक फरवरी को परिचालन अस्थायी रूप से बंद करने को बाध्य होना पड़ा। टाटा मोटर्स के एक प्रवक्ता ने कहा, लगातार बिगड़ती स्थिति एवं लोगों और उपकरणों की सुरक्षा को खतरा पैदा होने के मददेनजर कंपनी ने तालाबंदी की घोषणा की है।

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15000 बसों का होता है निर्माण

धारवाड़ संयंत्र की क्षमता सालाना 15,000 से अधिक बसों का विनिर्माण करने की है। उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र में स्थित इस संयंत्र में रोजाना 60 बसों का निर्माण होता है, जो देसी बाजार के साथ-साथ श्रीलंका व बांग्लादेश जैसे बाजारों के लिए भी बसें तैयार करता है। कारखाना विदेशी मुद्रा कर्नाटक यहां 2500 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं। करीब 5000 लोग एंसिलरी उद्योग में काम करते हैं, जो इस फैक्टरी को मोटर पार्ट मुहैया कराते हैं।

भाजपा को भी सुलझाना है कर्नाटक विवाद

Karnataka dispute BJP

कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक का अपना विवाद काफी हद तक सुलझा लिया है। चुनाव की मजबूरी दिखा कर राहुल गांधी ने सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार को मिला दिया है। अब इसी तरह से भाजपा को भी एकजुटता बनानी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कर्नाटक दौरे से उम्मीद की जा रही है कि वह एकता बनेगी। लेकिन पार्टी को दिखावे की एकता नहीं बनानी है क्योंकि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को पता है कि बीएस येदियुरप्पा का दिल सा समर्थन करना जरूरी है अन्यथा भाजपा को नुकसान हो जाएगा। यह तभी होगा, जब पार्टी उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को विधानसभा की टिकट देने और चुनाव बाद मंत्री बनाने का वादा करे। Karnataka dispute BJP

हालांकि येदियुरप्पा की आकांक्षा अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की है। इसलिए वे लिंगायत मुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन पार्टी आलाकमान ने दबाव डाला तो लिंगायत मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने बासवराज बोम्मई का नाम प्रस्तावित कर दिया। अब वे खुद बोम्मई का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन वे इस तरह का दांव चल सकते हैं, जिससे बोम्मई अगली बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाएं। पार्टी के शीर्ष नेताओं को इसका अंदाजा है। तभी पार्टी का सबसे बड़ा सिरदर्द येदियुरप्पा समर्थक व विरोधियों के बीच एकजुटता बनाने से ज्यादा येदियुरप्पा को चुनाव तक खुश रखने का है।

उम्मीद की नई खबर: कर्नाटका एंटी बायोटिक्स को विक्रम उद्योगपुरी में जमीन देने की तैयारी, रॉ मटेरियल बनाने वाली 15 फैक्टरियां भी आएंगी

केंद्र सरकार का कारखाना होने से केंद्रीय वेतनमान के साथ 500 लोगों को सीधे रोजगार - Dainik Bhaskar

उज्जैन में औद्योगिक विकास की नई शुरुआत 2021 में शुरू हुई जो नए साल 2022 में और आगे बढ़ेगी। देवासरोड स्थित विक्रम उद्योगपुरी में मेडिकल डिवाइस पार्क के साथ मेडिकल से जुड़े अन्य उद्योग भी आएंगे। इस कड़ी में सबसे पहले केंद्र सरकार के उपक्रम कर्नाटका एंटी बायोटिक्स एंड फार्मा स्यूटीकल्स लिमिटेड को जमीन देने की तैयारी है। राज्य शासन के स्तर पर सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। इस कारखाने में पांच सौ लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा। इस कारखाने के लिए रॉ-मटेरियल बनाने वाले 15 अन्य कारखाने भी आएंगे।

कर्नाटका एंटी बायोटिक्स सहित अनेक नए उद्योग आने की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा बेस्ट लाइफ स्टाइल के कारखाने के भूमिपूजन के दौरान हुई थी। इसके बाद प्रतिभा सिंथेटिक्स उद्योग के आने को मंजूरी मिली। इसका भूमिपूजन सीएम से कराने के लिए तैयारी की जा रही है। इस बीच मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए विक्रम उद्योगपुरी को चुना गया। इस कड़ी में कर्नाटका एंटी बायोटिक्स की मंजूरी का फैसला भी हो गया। राज्य शासन स्तर पर सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। सांसद अनिल फिरोजिया के अनुसार कारखाने की मंजूरी हो चुकी है। अब जमीन का आवंटन होते ही इसका भूमिपूजन होकर कारखाने का निर्माण शुरू हो जाएगा।

स्किल डेवलपमेंट के साथ सीएसआर का फायदा
राज्य शासन ने इस कारखाने को कई विशेषताओं के कारण मंजूरी दी है। इसमें बड़ा पूंजी निवेश और रोजगार अवसर हैं। कारखाना विदेशी मुद्रा कर्नाटक विशेष तरह का उत्पादन होने से यहां स्किल डेवलपमेंट होगा। क्षेत्र में कारखाने से जुड़े अन्य रोजगार अवसर आने से आर्थिक विकास होगा। निर्यात के कारण विदेशी मुद्रा आएगी। सरकारी कंपनी होने से सीएसआर के माध्यम से सामाजिक विकास में मदद मिलेगी।

दवाइयों के लिए 7 तरह के तत्व तैयार होंगे
कर्नाटका एंटी बायोटिक्स 7 एसीए कारखाना होगा। प्रोजेक्ट हेड विशाल लेले के अनुसार यहां दवाइयों के 7 तरह के तत्व बनेंगे। यह मटेरियल अभी चीन से आता है। इनका निर्माण उज्जैन में होने से पूरे देश में सप्लाई होगी। पहले चरण में 300 करोड़ रुपए और दूसरे चरण में 300 करोड़ रुपए का निवेश होगा। पहले चरण में करीब 500 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा। इन्हें केंद्रीय वेतनमान मिलेगा। यानी करीब 8 करोड़ रुपए हर महीने वेतन बंटेगा। इसके साथ कारखाना विदेशी मुद्रा कर्नाटक ही कारखाने के लिए रॉ-मेटेरियल बनाने वाले 15 और कारखाने भी आएंगे। जमीन का चुनाव हो चुका है।

नफरत का कारखाना

तवलीन सिंह: भारत जितना बदनाम हुआ है पिछले सप्ताह, शायद ही पहले कभी हुआ होगा। दुनिया के तकरीबन हर इस्लामी देश ने स्पष्ट किया कि किसी हाल में वे इस्लाम के रसूल का अपमान सहने को तैयार नहीं हैं। जिस समय भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ताओं के बयान को लेकर हंगामा हुआ, देश कारखाना विदेशी मुद्रा कर्नाटक के उप-राष्ट्रपति कतर में थे और तय था पहले से कि कतर के अमीर उनके लिए खास दावत रखेंगे। जब उस दावत को अचानक रद्द कर दिया गया, तब जाकर अपने विदेश मंत्रालय में खतरे की घंटियां जोर से बजने लगीं और भारतीय जनता पार्टी को आदेश आया कि उन दोनों प्रवक्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी पड़ेगी, जिन्होंने पैगंबर का अपमान किया था। तब तक इस्लामी मुल्कों में इतना गुस्सा फैल गया था कारखाना विदेशी मुद्रा कर्नाटक कि दुकानों से भारतीय सामान का बहिष्कार शुरू हो गया था।

क्या यह सब न होता तो भारत सरकार माफी मांगती उन देशों से, जहां हमारे राजनयिकों को बुला कर फटकार लगाई गई थी? नहीं। बिलकुल नहीं। सबूत इसका नूपुर शर्मा ने खुद दिया, जब उन्होंने भाजपा समर्थक ओपइंडिया के संपादक और अपनी हमनाम, से कहा कि उनको आश्वासन मिला था पार्टी के आला नेताओं से कि उनको अपने बयान को लेकर कोई चिंता नहीं होनी चाहिए। सच बोल रही थीं भाजपा की ये प्रवक्ता, वरना इस्लाम के रसूल को अपमानित करने के फौरन बाद उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी।

दस दिन तक नहीं हुई, तो इसलिए कि भारत सरकार ने शायद सोचा होगा कि जिस तरह मुसलमानों के खिलाफ अन्य कई साधुओं और साध्वियों के बयानों को इस्लामी देशों ने अनसुना किया है, वैसे इस बार भी होगा। विदेश मंत्रालय के आला अधिकारी शायद भूल गए होंगे कि जिसको हम बेअदबी कहते हैं, वह मुसलमानों के लिए शब्द है गुस्ताख-ए-रसूल, यानी रसूल को निजी तौर पर अपमानित करना।

भारत सरकार ने कहा है कि नूपुर शर्मा का बयान केवल 'फ्रिंज' किस्म के हिंदुओं की सोच को दर्शाता है, भारत की सोच को नहीं। नूपुर शर्मा निलंबित कर दी गई हैं फिलहाल, पार्टी से उनको निकाला नहीं गया है। शायद इस उम्मीद से कि हंगामा ठंडा होने के बाद उनको चुपके से वापस लिया जाएगा। ऐसा क्यों न हो

भारतीय जनता पार्टी के सारे प्रवक्ता टीवी पर मुसलमानों और इस्लाम के खिलाफ रोज बोलते हैं और उनके खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। नूपुर ने चूंकि अपने साथियों से थोड़ा आगे बढ़ कर सीधा इस्लाम के रसूल की बेअदबी की थी, उनसे माफी मंगवाई गई है अपनी गलती पर, लेकिन इस माफीनामे में भी उन्होंने अपनी सफाई दी है कि उनसे महादेव का अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ। कारखाना विदेशी मुद्रा कर्नाटक बात कर रही थीं वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की। यानी हाल में मिले उसकी, जिसको हिंदू पक्ष शिवलिंग कह रहा है और मुसलिम पक्ष फव्वारा।

न उनकी माफी पर विश्वास किया जा सकता है और न कारखाना विदेशी मुद्रा कर्नाटक भारत सरकार की माफियों पर। इसलिए कि दुनिया जानती है कि जबसे नरेंद्र मोदी का 'न्यू इंडिया' बना है, तबसे खुली छूट है मोदी भक्तों को मुसलमानों और इस्लाम का हर दूसरे दिन अपमान करने की।

इस मुहिम में केंद्रीय मंत्री शामिल हैं और कई टीवी पत्रकार भी। कोविड जब आया देश में तो इसका दोष पहले उन मौलवियों पर डाल दिया गया था, जो दिल्ली में एक वार्षिक इस्लामी सम्मेलन के लिए आए थे। कई जेलों में बंद कर दिए गए महीनों तक और अफवाहें फैलाई गईं कि मुसलिम मरीज अस्पतालों में जान-बूझ कर थूक रहे हैं बीमारी फैलाने के लिए।

नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ जब मुसलमान सड़कों पर विरोध जताने निकले थे, तो उन पर गद्दारी का इल्जाम खुल कर लगाया था मोदी के मंत्रियों ने और देश के गृहमंत्री ने खुद।

इसके अलावा गरीब मुसलिम ठेलेवालों पर हमले हुए हैं कई शहरों में और गोश्त बेचने वालों पर पाबंदियां लगाई गई हैं। नफरत का माहौल ऐसा बना है कि शाहरुख खान भी बच न सके हैं। जब लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार पर गए आखिरी विदाई देने, तो दुआ पढ़ कर उन्होंने अपना मास्क उतारा, ताकि हवा उनकी दुआ ऊपर ले जाए। इसके फौरन बाद हिंदुत्ववादियों ने अफवाहें फैलार्इं कि देश के इस अति-लोकप्रिय अभिनेता ने लताजी के शव पर थूका था।

मुसलमानों के खिलाफ हर तरह से नफरत की मुहिम चलाई गई है। इसमें अहम भूमिका रही है भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की, और कुछ टीवी चैनलों की, जो हैं तो प्राइवेट, लेकिन असल में दिन-रात मोदी की प्रशंसा में लगे रहते हैं। नाम उनके आप सब जानते हैं, सो इतना कहना काफी है कि इनकी सूची लंबी है।

ऐसा न होता तो जब नूपुर शर्मा ने पैगंबर के निजी जीवन पर टिप्पणी की थी अभद्र तरीके से, तो जिस कार्यक्रम में उन्होंने अपनी बात कही, उसकी ऐंकर का क्या फर्ज नहीं था, कम से कम इतना तो कहना कि नूपुर की बात से वे सहमत नहीं हैं। टोकना ही काफी होता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आप इन समाचार चैनलों को हर शाम देखते हैं, तो आपने भी कई बार देखा होगा कि वे किस तरह नफरत फैलाने का काम करते हैं।

अभी तक मुसलमानों के खिलाफ भारत में इस मुहिम पर टिप्पणी आई है पश्चिमी देशों से। मगर अब हर इस्लामी मुल्क में भारत बदनाम हुआ है, जहां लाखों भारतीय काम करते हैं और जहां से आती है हमारी आधे से ज्यादा विदेशी मुद्रा। उम्मीद है कि अब नफरत का यह कारखाना बंद होगा।

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