इटली में वर्ष 1920 के दशक में राष्ट्रवाद, सैन्यवाद और अधिनायकवाद की स्थिति को फासीवाद के नाम से जाना जाता है। प्रथम विश्व युद्ध में विजयी राष्ट्रों का यह उद्देश्य ‘दुनिया को लोकतंत्र के लिए सुरक्षित करना’ था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी ने अन्य देशों की तरह लोकतांत्रिक संविधान को अपनाया। वर्ष 1922 में इटली में इंटरवार अवधि के समय बेनिटो मुसोलिनी द्वारा पहली फासीवाद तानाशाही सरकार की स्थापना की गई।

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द्वितीय विश्व युद्ध के कारण एवं परिणाम – Second World War

द्वितीय विश्व युद्ध के कारण एवं परिणाम : द्वितीय विश्व युद्ध एक विश्व-स्तरीय युद्ध था जो 1 सितंबर, 1939 से 2 सितंबर, 1945 तक चलने वाला इतिहास का सबसे घातक युद्ध था। द्वितीय विश्व युद्ध 6 वर्षों तक लड़ा गया जिसमें लगभग 70 देशों धुरी बिंदु की थल, जल और वायु सेनाओं के लगभग 10 करोड़ सैनिकों ने भाग लिया था। द्वितीय विश्व युद्ध में दो विरोधी गुट धुरी शक्तियां और मित्र राष्ट्र विभाजित हो गए थे जिसमें धुरी शक्तियों में जर्मनी, इटली व जापान और मित्र राष्ट्र में फ़्रांस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और कुछ हद तक चीन भी शामिल था।

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द्वितीय विश्व युद्ध के कारण (Causes of Second World War in hindi) –

द्वितीय विश्व युद्ध होने के बहुत से प्रमुख कारण थे जिसमें प्रथम विश्व युद्ध के बाद होने वाली वर्साय संधि की कठोर शर्तें, आर्थिक मंदी, तुष्टिकरण की नीति, जर्मनी और जापान में सैन्यवाद का उदय, राष्ट्र संघ की विफलता आदि प्रमुख कारण सम्मिलित थे। द्वितीय विश्व युद्ध होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित है –

वर्साय की संधि

प्रथम विश्व युद्ध के बाद विजयी मित्र राष्ट्र ने जर्मनी के भविष्य का फैसला करते हुए उसे वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया। वर्साय की संधि के तहत जर्मनी को युद्ध का दोषी मानकर उस पर आर्थिक दंड लगाया गया। विजयी राष्ट्र द्वारा जर्मनी के प्रमुख खनिज और औपनिवेशिक क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया गया था। इसके अलावा उनके द्वारा जर्मनी को सीमित सेना रखने के लिए प्रतिबद्ध किया गया इसका परिणाम यह हुआ की जर्मनी पर इस अपमानजनक संधि के कारण यहाँ राष्ट्रवाद की भावना का उदय हुआ जो द्वितीय विश्व युद्ध होने का एक प्रमुख कारण था।

द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम (Results of World War II in hindi) –

नई महाशक्तियों का उद्भव

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात देशों और महाद्वीपों की स्थिति में बदलाव आए। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूएसएसआर महाशक्तियों के रूप में उभर कर आए। इस दौरान ब्रिटेन व फ्रांस ने महाशक्तियों के रूप में अपनी स्थिति को खो दिया था।

वि-उपनिवेशीकरण की शुरुआत

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात ब्रिटेन और फ्रांस दोनों देशों का अपने उपनिवेशों पर से नियंत्रण हटने लगा और वे दोनों विभिन्न समस्याओं से धीरे -धीरे अपना अस्तित्व खोने लगे।

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना

द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख परिणामों में से एक संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना थी। संयुक्त राष्ट्र संघ का उद्देश्य विश्व में विभिन्न देशों के मध्य शांति स्थापित करना था जिसकी स्थापना वीआरएसएच 1919 में की गई थी।

भाजपा राज में पहली बार खैर बना सत्ता का दूसरा केंद्र बिंदु

भाजपा राज में पहली बार खैर बना सत्ता का दूसरा केंद्र बिंदु

राजपैलेस के बाद इस बार खैर सत्ता का दूसरा केंद्र बिंदु बनकर उभरेगा। भाजपा राज में पहली बार ऐसा होगा कि सत्ता की धुरी दो स्थानों से जुड़ेगी।
अलीगढ़ से जीतने वाले विधायकों के मंत्री बनने की बात करें तो कांग्रेस, बसपा, सपा शासन में मंत्री बनते रहे हैं। भाजपा शासनकाल की बात करें 1991 व 1997 में कल्याण सिंह दो बार मुख्यमंत्री बने थे। उस समय 97 की पारी अलीगढ़ से लोकतांत्रिक कांग्रेस से बरौली सीट से जीते दलवीर सिंह मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद 2004 में सपा शासनकाल में राजवीर सिंह धुरी बिंदु राजू स्वास्थ्य राज्यमंत्री बनाए गए थे। तब वह राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से जीते थे। इसके बाद 2017 और अब 2022 में अतरौली सीट से जीते संदीप सिंह मंत्री बने। पहली बार भाजपा शासनकाल में राजपैलेस के अलावा लालबत्ती अन्य विधानसभा सीट के हिस्से आई है। जिले में सत्ता का दूसरा केंद्र बिंदु बनने से क्षेत्रीय के अलावा आसपास के जनपदवासियों को लाभ मिलेगा। वह अपनी समस्याओं के संबंध में सीधे मंत्री स्तर पर संपर्क साध सकेंगे।
अनूप के मंत्री बनने के कई अहम हैं मायने
खैर विधायक अनूप वाल्मीकि के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के कई अहम मायने हैं। दरअसल वह पूरे यूपी में अकेले वाल्मीकि विधायक जीते हैं। इसके अलावा जाट बेल्ट कही जाने वाली खैर सीट से लगातार दूसरी बार बड़े अंतर से जीत दर्ज कराने वाले विधायक बने। ऐसे में मंत्रिमंडल में अनूप को शामिल किए जाने के पीछे जातिगत समीकरणों को भी बेहतर तरीके से साधने का प्रयास किया गया है।
अब मंत्रालय पर लगी है नजर
योगी मंत्रिमंडल में शामिल चेहरों को विभाग का वितरण रविवार को किया जा सकता है। ऐसे में सभी की निगाहें मंत्रियों को दिए जाने वाले विभागों पर लगी हुई हैं।
0-कौन, कब यूपी मंत्रिमंडल में हुआ शामिल
1967-मोहनलाल गौतम, कृषि सहकारिता मंत्री
1969-प्रेमचंद्र शर्मा, स्वास्थ्य राज्यमंत्री (हाथरस), अहमद लूथ खां, पशुपालन व जेल राज्यमंत्री, कुं. अशरफ अली, राज्यमंत्री (हाथरस)
1977-शिवराज सिंह, राजेन्द्र सिंह, कृषि मंत्री, कल्याण सिंह, स्वास्थ्य मंत्री
1980-अनवार खां, टेक्सटाइल मंत्री, जावेद अली (हाथरस)
1985-राजेन्द्र सिंह, सिंचाई मंत्री, सुरेन्द्र सिंह चौहान, गृहराज्य मंत्री
1996-दलवीर सिंह, खेलकूद, पर्यटन, गन्ना मंत्री
2002-जयवीर सिंह, वनमंत्री
2004-राजवीर सिंह राजू, स्वास्थ्य मंत्री
2005-ख्वाजा हलीम (एमएलसी), औद्योगिक राज्यमंत्री
2007-जयवीर सिंह, आरईएस मंत्री, महेन्द्र सिंह, मंत्री
2017-संदीप सिंह, शिक्षा राज्यमंत्री

वृत्ताकार धारावाही कुण्डली की अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र Magnetic Field on the axis of current carrying circular coil

प्रस्तावना : हम पिछले टॉपिक में वृत्ताकार कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का अध्ययन कर चुके है और इसके सूत्र की स्थापना कर चुके है अब बात करते कुंडली के अक्ष पर चुंबकीय क्षेत्र कितना होगा और इसका सूत्र क्या होगा।

माना किसी a त्रिज्या वाली वृताकार कुंडली में I विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है , इस कुण्डली के कारण x दूरी पर स्थित किसी बिन्दु P पर हमें चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करना है।

सम्पूर्ण वृत्ताकार कुंडली के कारण P पर चुंबकीय क्षेत्र का मान ज्ञात करने के लिए कुण्डली को अल्पांश में विभाजित कर सभी अल्पांश के कारण P पर चुंबकीय क्षेत्र की गणना कर सबको आपस धुरी बिंदु में जोड़ने से हमें P पर सम्पूर्ण कुंडली के कारण कुल चुंबकीय क्षेत्र का मान प्राप्त हो जायेगा।

कांग्रेस की राष्ट्रीय सियासत की प्रासंगिकता को हिमाचल के चुनाव नतीजों ने दी संजीवनी

बीते चार साल के दौरान कई राज्यों में हुए चुनावों में जहां भाजपा से उसका सीधे मुकाबला रहा वहां कांग्रेस को लगातार हार का सामना ही करना पड़ा था। हिमाचल के चुनाव नतीजों ने इस चुनावी करवट को 2018 के बाद पहली बार पलटा है।

नई दिल्ली, संजय मिश्र। गुजरात चुनाव के एकतरफा नतीजों से लगे सदमे के बीच हिमाचल प्रदेश की सत्ता में शानदार तरीके से वापसी ने कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में विपक्षी धुरी बने रहने की प्रासंगिकता को संजीवनी दी है। कांग्रेस के लिए हिमाचल की यह जीत सूबे में केवल सत्ता हासिल करने भर तक ही सीमित नहीं है बल्कि भाजपा के संपूर्ण राजनीतिक वर्चस्व के दौर में उसे मुकाबला करने के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

Himachal में मुख्यमंत्री को लेकर माथापच्ची शुरू।

कांग्रेस ने पहली बार सीधे मुकाबले में हासिल की जीत

खासकर इसलिए कि पिछले चार सालों के दौरान तमाम राज्यों में हुए चुनाव में भाजपा से आमने-सामने के मुकाबले में कांग्रेस की यह पहली सीधी जीत है। अपने राजनीतिक संक्रमण काल की चुनौतियों से गुजर रही कांग्रेस के सामने अपनी सियासी जमीन बचाने का संघर्ष अब भी बहुत लंबा और पथरीला है। लेकिन हिमाचल प्रदेश की जीत से पार्टी को यह हौसला जरूर मिलेगा कि आमने-सामने के चुनावी मुकाबले में भाजपा को पटखनी देने की उसकी क्षमता अब भी बाकी है।

हिमाचल कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह का सीएम पद पर आया बयान।

बीते चार साल के दौरान कई राज्यों में हुए चुनावों में जहां भाजपा से उसका सीधे मुकाबला रहा वहां कांग्रेस को लगातार हार का सामना ही करना पड़ा था। हिमाचल के चुनाव नतीजों ने इस चुनावी करवट को 2018 के बाद पहली बार पलटा है। नवंबर-दिसंबर 2018 में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ के चुनाव में कांग्रेस ने आखिरी बार सीधी टक्कर में भाजपा को हराया था। 2019 के लेाकसभा चुनाव की हार के बाद उसी साल हरियाणा विधानसभा के चुनाव में भी कांग्रेस लगातार दूसरी बार भाजपा से मात खा गई।

इन राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन 2024 में उसकी सियासी प्रासंगिकता की तय करेगा दिशा

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तो गुजरात के मौजूदा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ इसको लेकर ही सबसे ज्यादा प्रचार किया। ऐसे में हिमाचल की यह जीत मौजूदा दौर में कांग्रेस के राजनीतिक मनोबल के लिए हौसले की कितनी बड़ी खुराक है इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। खासकर यह देखते हुए कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व 2023 में सात राज्यों में से चार बड़े राज्यों में कांग्रेस और भाजपा की सीधी टक्कर है। अगले साल मार्च-अप्रैल में कर्नाटक के चुनाव के लिए हिमाचल के नतीजे कांग्रेस को आत्मविश्वास की नई ऊर्जा दे सकता है।

Assembly Election 2022: भाजपा को 257 सीटों में से 183 पर मिली जीत

Stock Market: गुजरात में BJP की जीत से बाजार खुश, सेंसेक्‍स 160 अंक बढ़कर बंद, निफ्टी 18609 पर, Axis Bank टॉप गेनर

Stock Market: गुजरात में BJP की जीत से बाजार खुश, सेंसेक्‍स 160 अंक बढ़कर बंद, निफ्टी 18609 पर, Axis Bank टॉप गेनर

Stock Market: मिले जुले ग्‍लोबल संकेतों के बीच घरेलू शेयर बाजार में आज बढ़त देखने को मिली है.

Stock Market Update Today: मिले जुले ग्‍लोबल संकेतों के बीच घरेलू शेयर बाजार में आज बढ़त देखने को मिली है. आज के कारोबार में सेंसेक्‍स और निफ्टी दोनों इंडेक्‍स हरे निशान में बंद हुए हैं. निफ्टी 18600 के पार चला गया है. आज कारोबार के शुरू में शेयर बाजार कमजोर होकर खुले थे, लेकिन गुजरात चुनाव में बीजेपी धुरी बिंदु की जीत से बाजार सेंटीमेंट बेहतर हुए. कारोबार में आईटी शेयरों में बिकवाली रही है. फार्मा और रियल्‍टी इंडेक्‍स भी लाल निशान में बंद हुए हैं. जबकि निफ्टी बैंक इंडेक्‍स 1 फीसदी से ज्‍यादा मजबूत हुआ. पीएसयू बैंक और प्राइवेट बैंक इंडेक्‍स में 3.5 फीसदी और 1 फीसदी के करीब तेजी रही. मेटल, फाइनेंशियल और ऑटो इंडेक्‍स भी हरे निशान में बंद हुए.

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