एक्सपर्ट एक्टिवली मैनेजड शॉर्ट ड्यूरेशन वाले फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं. (File)

Sovereign Gold Bonds: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? पर कितना लगता है टैक्स, कैसे मिलता हैं मुनाफा, देखें पूरी डिटेल

Sovereign Gold Bond Scheme में निवेश को अन्य निवेशों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. इसमें हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज आपको मिलता है. ये एक तरह की गवर्मेंट सिक्योरिटी है.

By: ABP Live | Updated at : 09 Sep 2022 11:30 PM (IST)

Edited By: Sandeep

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड

Sovereign Gold Bond: देश में ज्यादातर लोग सोने में निवेश (Gold Investment) करना पसंद कर रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी सोने में निवेश (Gold Investment Returns) करके अच्छा मुनाफा लेना चाहते हैं तो आपके लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) स्कीम के तहत सोना खरीदने का मौका है. हम आपको इसमें सोने पर लगने वाले टैक्स के बारे में जानकारी दे रहे हैं.

इतना मिलता है ब्याज

सोने में निवेश को अन्य निवेशों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. इसमें हर साल 2.5 प्रतिशत का ब्याज आपको मिलता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक तरह की गवर्मेंट सिक्योरिटी है, जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक सरकार की ओर से जारी करता है. ये निवासी व्यक्तियों, अविभाजित हिंदू परिवार (HUF), ट्रस्ट्स, विश्वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्थाओं को बेचे जाते हैं.

1 ग्राम सोने का निवेश

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आपको बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में कम से कम एक ग्राम सोने के लिए निवेश कर सकते हैं. कोई भी व्यक्ति और हिंदू क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? अविभाजित परिवार मैक्सिमम 4 किलोग्राम मूल्य तक का गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है. ट्रस्ट और समान संस्थाओं के लिए खरीद की मैक्सिमम लिमिट 20 किलोग्राम है.

कैसे लगता हैं टैक्स

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पर हर साल एक निश्चित ब्याज निवेशकों को मिलता है. इसकी ब्याज की दर 2.5 फीसदी सालाना तय है. यह ब्याज इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत टैक्सेबल इनकम में आती है. एक वित्त वर्ष में गोल्ड बॉन्ड से हासिल ब्याज गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज करदाता की अन्य सोर्स से इनकम में काउंट होता है. इस पर टैक्स इस आधार पर लगता है कि करदाता किस इनकम टैक्स स्लैब में आता है. हालांकि गोल्ड बॉन्ड से हासिल ब्याज पर TDS नहीं है.

मेच्योरिटी पीरियड

Sovereign Gold Bond का मेच्योरिटी पीरियड 8 साल है. 8 साल पूरा होने के बाद ग्राहक को प्राप्त होने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री होगा. हालांकि यह एक विशेष कर लाभ है, जो सरकार द्वारा बॉन्ड को अधिक आकर्षक बनाने और अधिक निवेशकों को भौतिक सोने से गैर-भौतिक सोने पर शिफ्ट करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पेश किया है. इस बॉन्ड से 2 तरीके से प्रीमैच्योरली एग्जिट होता है. ऐसा करने पर बॉन्ड के रिटर्न पर अलग-अलग टैक्स रेट लागू हो जाते हैं.

क्या हैं लॉन्ग टर्म

आमतौर पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का लॉक इन पीरियड 5 साल है. इस अवधि के पूरा होने के बाद और मेच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले गोल्ड बॉन्ड की बिक्री से आने वाला रिटर्न, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स में रखा जाता है. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स की दर एडेड सेस और इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसदी रहा है.

क्या है शॉर्ट टर्म

अगर गोल्ड बॉन्ड की बिक्री 3 साल के अंदर की जाती है तो प्राप्त होने वाला रिटर्न शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स माना जाएगा. यह निवेशक की सालाना आय में जुड़ेगा. एप्लीकेबल टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा. वहीं अगर गोल्ड बॉन्ड को खरीद की तारीख से 3 साल पूरे होने के बाद बेचा जाता है तो प्राप्त रिटर्न को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? में रखा जाएगा. इसमें एडेड सेस व इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा.

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Published at : 09 Sep 2022 11:30 PM (IST) Tags: Reserve Bank of India gold price Sovereign gold bond Gold ETF Gold investment Gold business हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

शॉर्ट टर्म म्युचुअल फंड

यहाँ भारत में शीर्ष प्रदर्शन करने वाली संतुलित धनराशि / हाइब्रिड म्यूचुअल फ़ंड योजनाएँ हैं:

शॉर्ट टर्म म्यूचुअल फंड नाम3 साल का रिटर्न5 साल का रिटर्न
रिलायंस प्राइम डेट फंड7.65%8.16%
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल शॉर्ट टर्म फंड7.6%8.4%
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल सेविंग्स फंड7.85%8.34%
आदित्य बिड़ला सनलाइफ शॉर्ट टर्म ऑपर्चुनिटीज फंड7.86%8.51%
यूटीआई ट्रेजरी एडवांटेज फंड7.76%8.26%
आदित्य बिड़ला सन लाइफ सेविंग्स फंड8.08%8.52%
एचडीएफसी शॉर्ट टर्म डेट फंड7.74%8.34%
आईडीएफसी बॉन्ड फंड7.21%7.88%
कोटक कॉर्पोरेट क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? बॉन्ड फंड8.21%9.10%
एलएंडटी शॉर्ट टर्म बॉन्ड फंड7.33%7.93%
आईडीएफसी बॉन्ड फंड – एमटीपी-डी5.17%5.67%
कोटक डायनामिक बॉन्ड फंड9.10%8.78%
IDFC बॉन्ड फंड शॉर्ट टर्म डायरेक्ट प्लान (ग्रोथ)7.92%8.54%

* प्रदर्शन के अनुसार रिटर्न रेट्स सब्जेक्ट को बदलने के लिए हैं

शॉर्ट टर्म म्यूचुअल फंड क्या हैं?

म्यूचुअल फंड स्कीम 4 साल तक के अल्पकालिक निवेश एवेन्यू के साथ ग्राहकों को सक्षम करने को आम तौर पर अल्पकालिक म्यूचुअल फंड कहा जाता है। ये वित्तीय योजनाएं हैं जिनके पोर्टफोलियो में 15 दिनों से लेकर अधिकतम 91 दिनों तक की परिपक्वता अवधि की पेशकश करने वाली प्रतिभूतियां शामिल हैं। यह म्यूचुअल फंड स्कीम एक निवेश साधन है जो कम से मध्यम जोखिम के साथ स्थिर रिटर्न की सुविधा देता है। यह टुकड़ा शॉर्ट-टर्म म्यूचुअल फंड्स पर एक संक्षिप्त जानकारी देता है। इन फंड योजनाओं को विशेष रूप से छोटी अवधि में स्थिर रिटर्न अर्जित करने के लिए तैयार किया गया है।

कई बार, शॉर्ट टर्म म्यूचुअल फंड स्कीम की तुलना फिक्स्ड डिपॉजिट्स (एफडी) से की गई है क्योंकि इन दोनों स्कीमों का निवेश रिटर्न बहुत समान है।

भले ही सावधि जमा, कर दक्षता, तरलता के साथ-साथ स्थिर रिटर्न के साथ तुलना में शॉर्ट टर्म डेट फंड जोखिम भरा साधन हो, लेकिन ये म्यूचुअल फंड स्कीम फिक्स्ड डिपॉजिट को खत्म कर देती हैं।

बहुत कम क्षितिज वाले निवेशक 15 दिन या उससे कम समय के लिए लिक्विड फंड का विकल्प चुन सकते हैं, जबकि अधिक से अधिक निवेश अवधि की तलाश करने वाले निवेशकों का कहना है कि 2 से 3 महीने के लिए अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म फंडों की एक विस्तृत श्रृंखला से चुन सकते हैं। डेट फंड निवेशों ने फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीमों के विपरीत 10% वार्षिक रिटर्न का उत्पादन किया है जो वार्षिक रिटर्न का मात्र 7% उपज है।

इसके अतिरिक्त, अल्पकालिक म्यूचुअल फंड परिपक्वता की तारीख से क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? पहले रिडेम्पशन पर जुर्माना आकर्षित नहीं करते हैं, जब तक कि उन्हें पूर्व-निर्धारित अवधि से पहले भुनाया नहीं जाता है। सामान्य परिस्थितियों में, पूर्व निर्धारित अवधि 5 दिन से 6 महीने तक होती है। इसके विपरीत, भले ही फिक्स्ड डिपॉजिट में लिक्विडिटी अधिक हो, 1% तक का जुर्माना लगाया जाता है, अगर एफडी उनकी परिपक्वता तिथि से पहले भुनाए जाते हैं।

Short Term Investment: शॉर्ट टर्म के लिए लगाना है पैसा, चुनें 1 महीने से 1 साल मैच्योरिटी वाली स्कीम, 24% तक सालाना मिल रहा है रिटर्न

Invest in Short Term Maturity Scheme: मौजूदा दरें बॉन्ड मार्केट के लिए कंफर्टेबल दिख रही है, खासतौर से शॉर्ट मैच्योरिटी वाले पेपर्स के लिए. लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड में वोलेटिलिटी दिख सकती है.

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एक्सपर्ट एक्टिवली मैनेजड शॉर्ट ड्यूरेशन वाले फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं. (File)

Short Duration Maturity Funds Return: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मई से अबतक 3 बार में ब्याज दरों में 140 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा कर दिया है. रेपो रेट 5.40 फीसदी पर आ गया है. महंगाई कंट्रोल करने के लिए ब्याज दरों में कुछ और बढ़ोतरी की जा सकती है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी या कटौती का सीधा असर बॉन्ड मार्केट डेट मार्केट पर होता है. एक्सपर्ट का क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? मानना है कि बाजार को दरों में कुछ और इजाफे की उम्मीद है. हालांकि मौजूदा दरें बॉन्ड मार्केट के लिए कंफर्टेबल दिख रही है, खासतौर से शॉर्ट मैच्येारिटी वाले पेपर्स के लिए. लॉन्ग ड्यूरेशन बॉन्ड में वोलेटिलिटी दिख रही है. एक्सपर्ट एक्टिवली मैनेज्ड शॉर्ट ड्यूरेशन वाले फंड में निवेश की सलाह दे रहे हैं.

शॉर्ट से मिड ड्यूरेशन मैच्योरिटी फंड का सुधरा रिटर्न

बॉन्ड मार्केट के रिटर्न चार्ट पर नजर डालें तो अब इसमें सुधार हो रहा है. मिड ड्यूरेशन के फंडों की बात करें तो इसमें 24 फीसदी तक सालाना के क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? हिसाब से रिटर्न मिल रहा है. वहीं शाूर्ट ड्यूरेशन फंडों में 12 फीसदी तक, लो ड्यूरेशन फंडों में 12 फीसदी तक और अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंडों में 7 फीसदी तक सालाना के हिसाब से रिटर्न दिख रहा है. एक्सपट्र भी इनमें पैसे लगाने की सलाह दे रहे हैं.

क्या कहना है एक्सपर्ट का

PGIM India MF के हेड-फिक्स्ड इनकम पुनीत पाल का कहना है कि आरबीआई ने अगस्त पॉलिसी रेपो दर में 50 बीपीएस की बढ़ोतरी करके मैक्रो स्टेबिलिटी और 35 बेसिस प्वॉइंट के अनुमान से महंगाई पर फोकस किया है. उम्मीद है कि आगे दरों में बढ़ोतरी की स्पीड कम होगी. ऐसा अनुमान है कि अप्रैल 2023 तक रेपो रेट 6 फीसदी से 6.25 फीसदी के दायरे में रह सकता है. यह शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी वाले फंडों के लिए कंफर्टेबल है. निवेशकों को एक्टिवली क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? मैनेज्ड शॉर्ट टर्म फंड में पैसे लगाने चाहिए. वहीं रिस्क क्षमता के अनुसार कुछ पैसे डायनमिक बॉन्ड फंड में लगाया जा सकता है.

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मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के CIO, फिक्स्ड इनकम, महेंद्र जाजू का कहना है कि रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023 के लिए महंगाई का अनुमान 6.70 क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? फीसदी पर बरकरार रखा है. पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों सहित ग्लोबल कमोडिटी की कीमतों में गिरावट और रीसेंट हाई से ग्लोबल बॉन्ड यील्ड में भारी गिरावट को देखते हुए, डेट मार्केट से थोड़ा बेहतर गाइडेंस मिल रहा है. हालांकि अभी भी कुछ सतर्कता बरतने की जरूरत है. हाल फिलहाल में मैक्रो कंडीशंस सुधरने से बॉन्ड मार्केट में यील्ड कुछ बढ़ा है. शॉर्ट टर्म में अभी दरों में इजाफा हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में दरें स्टेबल रहने की उम्मीद है.

(Disclaimer: यहां निवेश की सलाह एक्सपर्ट के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)

अगर Bonds में करते हैं निवेश तो जानिए क्या इसको लेकर टैक्स के नियम, हर बॉन्ड की है अपनी खासियत

पोर्टफोलियो मैनेजर्स हमेशा एकबात को कहते हैं को अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखें. इसमें इक्विटी के साथ-साथ डेट को भी शामिल करें. जानिए बॉन्ड में निवेश को लेकर क्या हैं टैक्स के नियम.

अगर Bonds में करते हैं निवेश तो जानिए क्या इसको लेकर टैक्स के नियम, हर बॉन्ड की है अपनी खासियत

निवेशक के तौर पर जब आप अपने लिए ज्यादा सुरक्षित विकल्प की तलाश करते हैं तो बॉन्ड में निवेश करना बेहतर माना जाता है. यह एक डेट इंस्ट्रूमेंट है, जिसमें आपको फिक्स्ड रिटर्न मिलता है. इक्विटी मार्केट में निवेश पर रिटर्न ज्यादा मिलता है, लेकिन रिस्क भी ज्यादा होता है. वहीं डेट इंस्ट्रूमेंट में रिटर्न कम होता है, लेकिन फिक्स्ड होता है.

यही वजह है कि जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो डेट फंड का रिटर्न कम होता है, वहीं इक्विटी फंड में बेहतर रिटर्न ऑफर किया जाता है. बॉन्ड, डिबेंचर, लीज, सर्टिफिकेट, बिल ऑफ एक्सचेंज प्रमुख डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं. इस आर्टिकल में बॉन्ड में निवेश के बारे में विशेष रूप से जानेंगे. इसमें निवेश के क्या फायदे हैं और टैक्स को लेकर क्या नियम हैं, आइए इसके बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं.

पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड और बैलेंस्ड रखें

पोर्टफोलियो मैनेजर्स हमेशा एकबात को कहते हैं को अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखें. इसमें इक्विटी के साथ-साथ डेट को भी शामिल करें. इससे नेट आधार पर रिटर्न भी अच्छा मिलेगा और पोर्टफोलियो भी सुरक्षित रहेगा. अगर आप बॉन्ड में निवेश करना चाहते हैं तो बाजार में यह कई तरह का उपलब्ध है.

हर बॉन्ड की अपनी खासियत

अलग-अलग बॉन्ड के लिए टाइम पीरियड, टैक्स बेनिफिट, कूपन रेट और लॉक-इन पीरियड अलग-अलग हैं. कुछ बॉन्ड टैक्सेशन का लाभ देते हैं तो कई बॉन्ड पर फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले ज्यादा इंट्रेस्ट ऑफर किया जाता है. अगर बॉन्ड का ड्यूरेशन लंबा है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स भी देना होता है.

54EC Bonds की खासियत

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI), रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन की तरफ से जो बॉन्ड जारी किया जाता है वह अनलिस्टेड होता है. यह 54EC Bonds होता है. इसमें इंट्रेस्ट पर टैक्स जमा करना होता है, हालांकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स फ्री होता है. कम से कम 10 हजार और अधिकतम 50 लाख निवेश किया जा सकता है.

इंट्रेस्ट पर लगता है टैक्स

लिस्टेड बॉन्ड में निवेश करने पर इंट्रेस्ट इनकम टैक्सेबल होती है. शॉर्ट टर्म कैपिटल भी टैक्सेबल होता है, जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 10.40 फीसदी की दर से टैक्स लगता है. 1 साल से ज्यादा होने पर लॉन्ग टर्म माना जाता है.

टैक्स क्या शॉर्ट टर्म बॉन्ड हैं? फ्री बॉन्ड

टैक्स फ्री बॉन्ड जो लिस्टेड होता है वह Section 10(15) के अंतर्गत आता है वह लॉन्ग पीरियड के लिए होता है. इसमें इंट्रेस्ट इनकम पर टैक्स नहीं लगता है. हालांकि शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के लिए टैक्स भरना होता है. टैक्स फ्री बॉन्ड जो अनलिस्टेड होता है, उसके लिए 3 साल से ज्यादा लॉन्ग टर्म माना जाता है. इसके लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20.80 फीसदी का टैक्स लगता है.

Money Guru: Sovereign Gold Bond के क्या हैं फायदे? Gold में निवेश के कितने विकल्प?

कैसे करें 'सुनहरा' निवेश? सोने के दाम किस पर निर्भर? मंदी में कैसे चमकता है सोना? सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के क्या हैं फायदे? सोने में कितना निवेश सही? सोनें में निवेश के कितने विकल्प हैं? एक्सपर्ट्स की राय जानने के लिए देखिए Money Guru.

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