1. मांग में कमी (आर्थिक मंदी)।
2. उत्पादन में कमी
3. रोजगार में कमी
4. मुद्रा की मात्रा में कमी परन्तु मूल्य में वृद्धि।
5. ऋण देने वाले को फायदा अर्थात बैंकों को (क्योंकि मुद्रा का मूल्य बढ़ चुका है)।

फिलिप्स वक्र (Philips curve)

मुद्रा अपस्फीति क्या है?

Please मुद्रा अपस्फीति क्या है? Enter a Question First

यदि वस्तुओं और सेवाओं की आपूर् .

अतिस्फीति मुद्रा संकुचन अवमूल्यन मुद्रा-स्फीति

Solution : जब समग्र मूल्य स्तर घटता है ताकि मुद्रास्फीति की दर नकारात्मक हां जाए, तो इसे अपस्फीति कहा जाता है। यह मुद्रास्फीति मुद्रा अपस्फीति क्या है? के विपरीत है। ज्यादातर मामलों में धन की आपूर्ति में कमी या ऋण उपलब्धता अपस्फीति का कारण है। सरकार या व्यक्तियों द्वारा किए गए निवेश के खर्च में कमी भी इसका कारण बन सकता है।

मुद्रा अपस्फीति का अर्थ क्या होता है?

वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों में लगातार कमी होते जाना मुद्रा अपस्फीति अथवा विस्फीति (Disinflation) कहलाता है, इसे ही मंदी कहते हैं। इस अवस्था में मुद्रा का मूल्य बढ़ जाता है, लेकिन सामान्य कीमत स्तर घट जाता है। ऐसा मुद्रा की पूर्ति की तुलना में वस्तुओं एवं सेवाओं के अनुत्पादन के कारण होता है।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण लाने हेतु जो प्रयास किए जाते हैं (जैसे साख नियंत्रण आदि), उनके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति की दर घटने लगती है, कीमतों में गिरावट आती है तथा रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह स्थिति मुद्रा अपस्फीति क्या है? मुद्रा अपस्फीति अथवा विस्फीति की स्थिति कहलाती मुद्रा अपस्फीति क्या है? है। इस स्थिति में यद्यपि मूल्य स्तर गिरता है, तथापि यह सामान्य मूल्य स्तर से ऊपर ही रहता है।

मुद्रास्फीति एवं अपस्फीति (Inflation and Deflation)

मुद्रास्फीति एवं अपस्फीति (Inflation and Deflation) किसे कहते हैं, मुद्रास्फीति के लाभ, मुद्रास्फीति के परिणाम, मुद्रास्फीति के कारण, मुद्रास्फीति के प्रकार, मुद्रा संकुचन क्या है, आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं। Inflation and Deflation UPSC notes in Hindi.

अर्थव्यवस्था में मांग एवं पूर्ति की तीन स्थितियों में से कोई एक सदा बनी रहती हैं। इन्हीं तीनों दशाओं या स्थितियों के आधार पर अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति और अपस्फीति की स्थिति उत्पन्न होती है। आइये अर्थव्यवस्था की इन तीनों स्थितियों का अध्ययन करें-

  1. मांग = पूर्ति – ये एक आदर्श स्थिति है जिसे किसी भी अर्थव्यवस्था में प्राप्त करना संभव नहीं है।
  2. मांग > पूर्ति – मुद्रास्फीती (Inflation)
  3. मांग < पूर्ति– अपस्फीति या मुद्रा संकुचन (Deflation)

मुद्रास्फीति (Inflation)

जिस समय अर्थव्यवस्था में वस्तु एवं सेवा की तुलना में मुद्रा अपस्फीति क्या है? मुद्रा की मात्रा अधिक होती है उस मुद्रा अपस्फीति क्या है? समय मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा अधिक होने के कारण मांग बढ़ती है (मांग > पूर्ति)। वस्तु एवं सेवा की मात्रा कम होने से उनकी कीमत मुद्रा अपस्फीति क्या है? भी बढ़ जाती है जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा तो ज्यादा होती है परन्तु उसका मुल्य कम हो जाता है।

उदाहरण के लिए यदि सामान्य स्थिति में कोई वस्तु 100रू0 में बाजार में उपलब्ध थी, तो मुद्रास्फीति होने पर वही वस्तु 200रू0 की हो जाएगी क्योंकि अब मुद्रा की कीमत (मूल्य) कम हो चुकी है।

मुद्रास्फीति को आसान शब्दों में महँगाई के रूप में मुद्रा अपस्फीति क्या है? भी जाना जाता है।

परिभाषा- जब किसी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की तुलना में मुद्रा की आपूर्ति अधिक हो जाती है तो इस स्थिति को मुद्रा स्फीति कहते हैं।

मुद्रा संकुचन या मुद्रा अपस्फीति (Deflation)

जब अर्थव्यवस्था में मुद्रा की मात्रा में कमी एवं वस्तु और सेवा की मात्रा में बढ़ोतरी होती है तो इस स्थिति को मुद्रा अपस्फीति कहा जाता है। मुद्रा की मात्रा कम होने से मांग मुद्रा अपस्फीति क्या है? में कमी आती है, परन्तु वस्तु और सेवाओं की मात्रा अधिक होने के कारण उनकी कीमतें गिर जाती हैं।

वस्तु और सेवा की मात्रा अधिक होने से उनका मूल्य कम हो जाता है। साथ ही मुद्रा की मात्रा कम होने से उसका मूल्य अधिक हो जाता है।
अर्थव्यवस्था में पहले से ही वस्तु और सेवाओं की अधिकता होने से उत्पादन में कमी आती है, जिससे रोजगार कम होते है जिससे उपभोक्ता की आय समाप्त हो जाती है और क्रय शक्ति घटती है। चीजें सस्ती होने पर भी नहीं बिकती जिसे आर्थिक मंदी भी कहते हैं।
आर्थिक मंदी, मुद्रास्फीति से ज्यादा भयानक होती है क्योंकि इससे चीजें जितनी सस्ती होती हैं। उतनी ही क्रय शक्ति घटती जाती है। क्रयशक्ति घटने से बाजार में तरलता भी कम हो जाती है, जिससे उत्पादन भी कम हो जाता है और पुनः मंदी आती है। यह एक चक्रीय क्रम में चलती रहती है।

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