छंटनी के बाद आवेदन की भरमार

भारत में नौकरी मुहैया कराने वाली एजेंसियां और जॉब पोर्टल के लिए व्यस्त समय है। स्टार्टअप में छंटनी होने और वैश्विक स्तर पर मंदी की आशंका से आईटी क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा था। छंटनी से प्रभावित हजारों लोग फिर से रोजगार पाने की कतार में खड़े हो गए हैं।

स्टाफिंग फर्म टीम लीज के मुताबिक साल 2020 में महामारी शुरू होने के बाद स्टार्टअप के क्षेत्र से ही 23,000 से अधिक लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इसके मुताबिक इसमें यूनिकॉर्न सहित 44 स्टार्टअप ने करीब 15,216 कर्मचारियों की छंटनी कर दी। इनमें 14 एडुटेक (तकनीकी शिक्षा) क्षेत्र की स्टार्टअप थीं जिन्होंने 2022 में ही 6,898 कर्मचारियों को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया था।

मानव संसाधन (एचआर) विशेषज्ञों ने बातचीत के दौरान बताया कि नौकरी के बाजार में आने वाले कुछ हफ्तों और महीनों में इच्छुक बायोडेटा की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। शाइन डॉट कॉम के मुख्य कार्याधिकारी अखिल गुप्ता के मुताबिक बीती दो तिमाहियों में छंटनी होने के कारण नौकरी मांगने वालों की संख्या बढ़ गई है। बेंगलूरु मुख्यालय स्थित टैलेंट सॉल्यूशन मुहैया कराने वाले करियरनेट के मुताबिक बीती तिमाही की तुलना में वर्तमान समय में नई नौकरी के लिए सकारात्मक जवाब मिलना 10 फीसदी बढ़ गया है।

करियरनेट के मुख्य कार्याधिकारी व सहसंस्थापक अंशुमन दास के मुताबिक,’हमने लोगों से छंटनी से प्रभावित होने वाले अपने दोस्तों के बारे में जानकारी देने के कार्यक्रम की शुरुआत की थी। वेबसाइट पर इस कार्यक्रम और नौकरी के लिए सीधे मिलने वाले आवेदनों में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।’ कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए नियोक्ता की हौसला अफजाई व तकनीकी कौशल के मामले में उनकी मदद के लिए इन पोर्टलों ने कई नई शुरुआत की हैं। जैसे शाइन.कॉम अभ्यार्थियों के लिए कोडिंग हैकाथन आयोजित कर रही है। इसमें नौकरी पाने के इच्छुक लोग संभावित नियोक्ताओं के समक्ष अपना हुनर साबित कर सकते हैं।

करियरनेट अपनी वेबसाइट पर कोडिंग के लिए प्रैक्टिस परीक्षा मुहैया करा रही है। इन परीक्षा में बैठने वाले लोग यह देख सकते हैं कि वे कहां खड़े हैं और अपने कौशल को कैसे अधिक बेहतर कर सकते हैं। यह पोर्टल रिज्यूम को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है। पोर्टल नौकरी चाहने वालों को बाजार की हालिया जरूरतों के बारे में जानकारी मुहैया करा रहा है। पोर्टल साक्षात्कार की तैयारी में मदद कर रहा है और अभ्यर्थियों को तैयारी करने के लिए बेहतर ढंग से तैयारी करा रहा है।

हालांकि यह आसान समय नहीं है। छंटनी के शिकार हुए कर्मचारियों के साथ-साथ नौकरी मुहैया कराने वाली एजेंसियों के लिए कठिन डगर है। करियर नेट पोर्टल के अनुसार नौकरी के लिए अभ्यर्थियों की मांग बढ़ रही है। कंपनियां अभ्यर्थियों के बारे में जानकारी मांग रही हैं। लेकिन यह मांग स्टार्टअप से नहीं आ रही है। स्टार्टअप में व्यापक पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी हुई थी।

दास ने कहा,’इनमें से ज्यादातर लोगों की छंटनी नकदी के संकट के कारण हुई थी। यह छंटनी इसलिए नहीं हुई थी कि इन लोगों के पास कौशल नहीं था या इन लोगों का कौशल समय की मांग के अनुरूप नहीं था।’ उन्होंने कहा,’ऐसी भी उम्मीद है कि इन लोगों को तुरंत नौकरी नहीं मिले या पुराने वेतन के बराबर वेतन नहीं मिले। लेकिन इन लोगों को कुछ समय बाद कम वेतन पर नौकरी मिल सकती है।’

इसमें एक अड़चन है। आउटप्लेसमेंट एजेंसियों के अनुसार कुछ कंपनियां यह गारंटी चाहती हैं कि कर्मचारी को रोजगार देने की स्थिति में नौकरी करे। दिल्ली स्थित आउटप्लेसमेंट एजेंसी कार्नर स्टोन के सीईओ विजय करकरे के मुताबिक,’हमें हाल में किसी भी संस्थान की नौकरी की मांग को पूरा नहीं कर रहे हैं लेकिन कई किंतु-परंतु हैं।’ उन्होंने कहा,’नौकरी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है लेकिन हमें कंपनियों की तरफ से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कंपनियां यह चाहती हैं कि जिन लोगों की छंटनी की थी उनके लिए रोजगार की गारंटी दी जाए।’ उन्होंने कहा, ‘यहां पर धन देने की भी समस्या है’। उन्होंने कहा,’कई कंपनियां पूरी गारंटी चाहती हैं लेकिन सेवा मुहैया कराने के एवज में दी जाने वाली रकम पर अत्यधिक मोलभाव कर रही हैं।’

कई स्टार्टअप ने कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया लेकिन वे अब इन कर्मचारियों को दूसरी नौकरी ढूंढ़ने में मदद भी कर रही हैं। बीते सप्ताह ओयो के संस्थान व समूह के मुख्य कार्याधिकार रीतेश अग्रवाल ने लिंक्डइन से अनुरोध किया था कि जिन लोगों को उनके समूह से नौकरी से निकाला गया है, उन्हें नई नौकरी ढूंढ़ने में मदद करे। उनका यह अनुरोध समाचार की सुर्खियों में बन गया था।

उन्होंने लिखा,’ओयो में कई प्रतिभाशाली उद्यमी शामिल हैं। तकनीक के क्षेत्र में नौकरी देने वाली कई कंपनियों ने हमसे टैलेंट एट द रेट ओयो डॉट कॉम पर संपर्क किया और हमने अपने संस्थान से बाहर गए कर्मचारियों की जानकारी उनसे साझा की।’ कंपनी के बयान के मुताबिक ओयो कर्मचारियों में 10 फीसदी कटौती कर रहा है और 600 नौकरियों की कटौती करेगा। अग्रवाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया,’ओयो में वरिष्ठ लीडर्स उनके दिए संपर्कों को खंगाल रही हैं। ऐसे लोगों को रोजगार मुहैया कराने में मदद कर रहे हैं। हम सोशल मीडिया पर भी इस सोच को आगे बढ़ा रहे हैं।’

उन्होंने कहा,’हमने संस्थान छोड़कर जा रहे कर्मचारियों की डायरेक्टरी बनाई है। हम इसे उन लोगों के साथ साझा कर रहे हैं जो बहुत कौशल संपन्न इन लोगों की सेवाएं लेना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा,’मैं स्वयं पहल कर ओवाईओ में इन प्रतिभाशाली व्यक्ति विशेषों के महत्त्वपूर्ण योगदान को स्वीकार करता हूं। मैं उन्हें सुनिश्चित करता हूं कि जब भी किसी नई नौकरी की जरूरत होगी तो मैं सबसे पहले उन लोगों से संस्थान में वापस आने के लिए संपर्क करूंगा।’

तकनीकी शिक्षा क्षेत्र की प्रमुख बैजूस ने अत्यधिक घाटा होने के कारण अपने 50,000 कर्मचारियों में से पांच फीसदी की छंटनी कर दी थी। इस कारण 25,00 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। उसने कहा कि निकाले गए इन लोगों को नौकरी पाने में मदद कर रही है। बैजूस ने अपने समूह की कंपनियों व्हाइट हैट जूनियर और टॉपर से 600 कर्मचारियों की छंटनी कर दी थी। बैजूस के प्रवक्ता के मुताबिक,’हमें मालूम है कि यह मुश्किल स्थिति है। इन कर्मचारियों के दर्द को कम करने के लिए हमने डेडिकेटिड आउटप्लेसमेंट टीम गठित कर दी है। यह टीम इन कर्मचारियों को नौकरी ढूंढ़ने में मदद करेगी।’

कर्व फाइनेंस एफटीएक्स पतन के लाभार्थियों में से एक रहा है, यहां बताया गया है कि कैसे

ये था प्रकट किया 14 दिसंबर को कर्व फाइनेंस zkSync 2.0 मेननेट पर तैनात किए जाने वाले प्रोटोकॉल में से एक होगा। यह तैनाती जेडके-रोलअप पर अपनी तरह की पहली होगी, एथेरियम के लिए एक क्रांतिकारी स्केलिंग और गोपनीयता तंत्र।

कर्व के डीएओ ने कर्व को एक शीर्ष ऑटोमेटेड मार्केट मेकर (एएमएम) बनने के लिए प्रोत्साहित किया है जिसने अपने कारखाने के माध्यम से सैकड़ों तरलता पूल बनाए हैं।

एकीकरण का मामला

कर्व के मालिकाना एल्गोरिदम के कारण ERC-20 टोकन का उपयोग करने वाले इसके लेनदेन सस्ते, तेज और तरल हैं। नेटवर्क नियमित रूप से दैनिक मात्रा में $ 100 मिलियन से अधिक की प्रक्रिया करता है, जिससे यह वॉल्यूम के मामले में शीर्ष DeFi में से एक बन जाता है।

वक्र को zkSync में शामिल करने का अर्थ है कि अधिक व्यक्ति सार्वभौमिक क्रिप्टो एक्सेसिबिलिटी के वादे का अनुभव कर सकते हैं। नतीजतन, प्रोटोकॉल zkSync 2.0 प्लेटफॉर्म की गति, मापनीयता और सुरक्षा से लाभ उठाने में सक्षम होगा और इसे DeFi वातावरण में उपयोगकर्ताओं के व्यापक दर्शकों के लिए उपलब्ध कराएगा।

अधिक लोग एकीकरण के माध्यम से पारिस्थितिकी तंत्र का उपयोग कर सकते हैं, जिससे विस्तार हो सकता है। पारिस्थितिक तंत्र का मूल सिक्का, CRV भी इससे लाभान्वित हो सकता है।

मूल्य और TVL में गिरावट

दैनिक समय सीमा में सीआरवी की जांच के अनुसार, परिसंपत्ति में हाल ही में कीमतों में मामूली उतार-चढ़ाव देखा गया था। 13 दिसंबर को, CRV के लाभदायक मूल्य निर्धारण परिवर्तनों की नवीनतम श्रृंखला देखी गई।

संपत्ति में लगभग 6% की वृद्धि हुई, जिससे कीमत लगभग $0.60 हो गई। हालांकि, जैसा कि देखा जा सकता है, पिछले 48 घंटों में कीमत में 4% से अधिक की कमी आई थी। रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स 50-लाइन मार्क से नीचे गिर गया, जो कीमतों में गिरावट का संकेत है। आरएसआई की स्थिति ने संकेत दिया कि परिसंपत्ति मंदी की स्थिति में थी।

वक्र मूल्य

स्रोत: ट्रेडिंग व्यू

इसके अतिरिक्त, कर्व के टोटल वैल्यू लॉक्ड (TVL) पर एक नज़र डालने से पता चला कि यह हाल ही में विभिन्न घटनाओं के कारण अरबों डॉलर से कम हो गया था।

लिखने के समय तक TVL $3.73 बिलियन था, जो इस वर्ष के पहले लगभग $18 बिलियन कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए से कम था। जैसा कि zkSync में शामिल श्रृंखलाओं पर प्रोटोकॉल लॉन्च किया जा सकता है, एकीकरण TVL के विकास को गति दे सकता है।

Mushroom Farming Subsidy: हरियाणा के किसानों को मशरूम की खेती पर मिलेगा 50 से 85% अनुदान जल्द करें आवेदन

प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने व उन्हें पारंपरिक खेती से बागवानी की लाभकारी फसलों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न फसलों पर विशेष अनुदान दिया जा रहा है। इसलिए किसानों को मशरूम यूनिट लगाने पर 50 से 85 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है।

जिला बागवानी अधिकारी जाता है। देवीलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि मशरूम के गुणकारी लाभों के चलते बाजार में इसकी मांग निरंतर बढ़ रही है। किसानों में इसकी खेती की सही जानकारी के अभाव में यह बाजार में अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं होता जबकि बाजार में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि किसान फसल विविधीकरण के तहत इसकी खेती को अपनाकर

बाजार से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जिला बागवानी अधिकारी ने बताया कि इस योजना के अनुसार बटन किस्म की मशरूम लगाने के लिए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोगों को 85 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के किसानों को बटन या अन्य किस्म की मशरूम की खेती करने पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया

अनुदान योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान पोर्टल पर ऑनलाइन इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अनुदान राशि विभाग के निर्देशानुसार योग्य पात्रों को ही दी जाएगी। मशरूम व अन्य व्यावसायिक फसलों के बारे में अधिक जानकारी के लिए किसान जिला उद्यान अधिकारी भिवानी के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

पिछले कुछ समय से भारत में मशरूम की मांग बढ़ती जा रही है. मशरूम भले ही विदेशी सब्जी हो लेकिन भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय हो चुकी है. यही कारण है कि बीते एक दशक से इसके उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है. मशरूम जहां खाने का स्वाद बढ़ाती है तो वहीं किसानों के लिए भी वरदान साबित हो रही है.

भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना समेत अलग-अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. कम जगह और कम समय में इसकी फसल तैयार होती है. खास बात है कि मशरूम की खेती में बेहद कम लागत आती है और मुनाफा कई गुना मिलता है. अगर आप किसान हैं, तो मशरूम की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.

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भारत में उगाई जाने वाली किस्में-

भारत में मशरूम को कुकरमुत्ता, खुम्भी, गुच्छी, भमोड़ी नाम से जाना जाता है. पूरे विश्वभर में खाने योग्य मशरूम की लगभग 10 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें से केवल 70 प्रजातियां ही खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं. भारत की जलवायु के हिसाब से मुख्य तौर पर 5 प्रकार के खाद्य मशरुमों की खेती की जाती है.

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम

सफेद बटन मशरूम- बटन मशरूम की भारत में सबसे अधिक डिमांड रहती है तथा इसकी कीमत भी अधिक होती है जिस कारण आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत में सफेद बटन मशरूम की एस-11, टीएम-79 और होर्स्ट यू-3 बीजों की खेती की जाती है. बटन मशरूम के लिए शुरुआत में 22-26 डिग्री सेल्सियस का तापमान आवश्यक होता है. कवक फैलाव के बाद 14-18 डिग्री सेल्सियस तापमान ही उपयुक्त रहता है. इसको हवादार कमरे, सेड, हट या झोपड़ी में आसानी से उगाया जा सकता है.

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम- इसकी खेती सालभर की जा सकती है. यह 2.5 से 3 महीने में तैयार हो जाता है. 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. 10 क्विंटल मशरूम उगाने में कुल 50 हजार का खर्च आता है.

दूधिया मशरूम: यह ग्रीष्मकालीन मशरूम है. जिसका आकार बड़ा होता है. राज्यों की जलवायु स्थिति के हिसाब से मार्च से अक्टूबर तक दूधिया मशरूम की खेती उपयुक्त होती है.

पैडीस्ट्रा मशरूम: पैडीस्ट्रा मशरूम उच्च तापमान पर तेजी से बढ़ने वाला मशरूम है. इसकी वृद्धि के लिए अनुकूल तापमान 28-35 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 60-70 प्रतिशत की आवश्यकता होती है. अनुकूल परिस्थितियों में यह 3 से 4 सप्ताह में ही तैयार हो जाती है.

शिटाके मशरूम: यह उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और विटामिन से भरपूर होता है. यह दुनिया में कुल मशरूम उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर आता है. आप इसे साल और किन्नु पेड़ की भूसी पर उगा सकते हैं.

मशरूम की खेती के लिए तैयारी

मशरूम की खेती चारों तरफ से बंद स्थान पर की जाती है. इसके लिए आप कोई झोपड़ी बना सकते है. 30 Χ22Χ12 की झोपड़ी बनाने में लगभग 30 हजार रुपए खर्च होते हैं.

मशरूम खेती के लिए कैसे बनाएं कम्पोस्ट

मशरूम की खेती में सबसे जरुरी है कॉम्पोस्ट खाद. इससे बनाने के लिए गेंहू के भूसे का उपयोग होता है. गेंहू के भूसे में फार्मलीन, बेवस्टीन की उचित मात्रा मिलाई जाती है. भूसे को भिगा दिया जाता है. इसके बाद उसमें मुर्गी की बीट, यूरिया, गेहूं का चोकर डालकर मिक्स कर देते हैं और उसे 1 हफ्ते के लिए छोड़ देते हैं. 1 हफ्ते बाद उसका तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है तापमान कम करने के लिए भूसे के ढेर को उलट देते हैं. अगले दिन फिर से तापमान चेक करते हैं और 5 दिन बाद ढेर को दोबारा उलट देते हैं. लगभग 28 दिन में कंपोस्ट खाद मशरूम उगाने के लिए तैयार हो जाती है. ढेर को अलग अलग दिनों के अंतर से उलटने से अमोनिया गैसा बाहर निकल जाती है, जिससे उसका तापमान कम हो जाता है.

कैसे करें मशरूम की बुवाई

मशरूम की बुवाई से पहले भीगे हुए भूसे को हवा में फैलाना होता है, ताकि पानी और नमी न रहें. इसके बाद पॉलीथिन के बैग्स में भूसा डालने के बाद मशरूम के दानों का छिड़काव करना होता है. दाने फैलाने के बाद दोबारा से भूसे की परत चढाई, इसके बार फिर बीज का छिड़काव होता है. इसके बाद पॉलिथिन बैग के दोनों कानों पर छेद करें ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए. इन बैग्स को ऐसे स्थान पर रखा जाता हैं जहां हवा लगने की गुंजाइश बेहद कम हो.

कहां से ले बीजः मशरूम की खेती में प्रयोग होने वाले बीज को स्पॉन कहते हैं. अच्छी किस्म का बीज प्राप्त करने के लिए कम से कम एक माह पहले कृषि विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग में बुकिंग करा दें, जिससे समय पर बीज तैयार करके आपको दिया जा सके. इसके अलावा मशरूम के बीज आप कृषि केंद्र, बाजार अथवा ऑनलाइन वेबसाइट जैसे इंडियामार्ट, अमेजॉन आदि से खरीद सकते हैं, जहां मशरूम के 80 से ₹120 प्रति किलो की कीमत पर उपलब्ध होते हैं.

लागत कम, मुनाफा होगा ज्यादा

मशरूम कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है. अगर आप छोटे किसान हैं, तो सिर्फ 10 से 50 हजार रुपए में खेती शुरु कर सकते हैं. आप चाहें तो घर से ही मशरूम की खेती शुरु कर हर महीने 10 से 15 हजार की कमाई कर सकते हैं. बड़ी जगह पर खेती करने से मुनाफा 40 से 50 हजार प्रति महीना तक बढ़ सकता है.

कहां बेच सकते हैं मशरूम

मशरूम बेचने के लिए सबसे अच्छी जगह है सब्जी मंडी, जहां आपको मशरूम के अच्छे दाम मिल जाएंगे. इसके अलावा आप होटल वालों से संपर्क करके अपने फसल उन्हें बेच सकते हैं. कई कंपनियां मशरूम के अलग अलग प्रोडक्ट बनाती हैं, अगर आप बड़े किसान हैं तो ऐसी कंपनियों से समझौता कर सकते हैं.

IND कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए vs BAN: इशान किशन की पारी से खत्म हुआ इस दिग्गज का करियर, अब विश्वकप से पहले लेना पड़ेगा संन्यास

IND vs BAN: बांग्लादेश के खिलाफ तीसरे एकदिवसीय मैच में इशान किशन दोहरा शतक लगाकर सलामी बल्लेबाज के तौर पर एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरे है और भारतीय टीम की नयी चयन समिति के गठन के बाद पिछले कुछ समय से खराब लय में चल रहे अनुभवी सलामी बल्लेबाज शिखर धवन के भविष्य को लेकर कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए चर्चा की जायेगी.

  • नई चयन समिति लेगी धवन के भविष्य पर फैसला
  • तीसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं धवन

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IND vs BAN: इशान किशन की पारी से खत्म हुआ इस दिग्गज का करियर, अब विश्वकप से पहले लेना पड़ेगा संन्यास

IND vs BAN: भारत और बांग्लादेश की टीम के बीच हाल ही में खत्म हुई वनडे सीरीज में इशान किशन ने शानदार पारी खेलते हुए अपना पहला शतक लगाया और इसे दोहरे शतक में तब्दील करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर में सबसे तेज डबल सेंचुरी लगाने वाले खिलाड़ी बन गये. इशान किशन की इस पारी ने जहां दुनिया भर के खेल प्रेमियों को उनका फैन बना दिया लेकिन वहीं पर भारतीय टीम के दिग्गज सलामी बल्लेबाज शिखर धवन के करियर को भी लगभग समाप्त कर दिया है.

बांग्लादेश के खिलाफ तीसरे एकदिवसीय मैच में इशान किशन दोहरा शतक लगाकर सलामी बल्लेबाज के तौर पर एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरे है और भारतीय टीम की नयी चयन समिति के गठन के बाद पिछले कुछ समय से खराब लय में चल रहे अनुभवी सलामी बल्लेबाज शिखर धवन के भविष्य को लेकर चर्चा की जायेगी. धवन ने अपने पिछले नौ वनडे में से आठ में बुरी तरह संघर्ष किया है. दिल्ली का यह बाएं हाथ का बल्लेबाज पावर प्ले के ओवरों में धीमी बल्लेबाजी कर रहा है जो टीम के लिए हानिकारक साबित हो रहा है.

नई चयन समिति लेगी धवन के भविष्य पर फैसला

टी20 के युग में शुबमन गिल और इशान की आक्रामक बल्लेबाजी के सामने पिछले कुछ समय से धवन फीके नजर आये है. बांग्लादेश में एकदिवसीय श्रृंखला गंवाने के बाद बीसीसीआई टीम के प्रदर्शन की समीक्षा बैठक करेगा . इसमें मुख्य कोच द्रविड़ और एनसीए (राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी) प्रमुख वीवीएस लक्ष्मण के साथ भविष्य के खाके पर चर्चा होगी. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के दौरान बोर्ड के एक विश्वसनीय सूत्र के हवाले रिपोर्ट किया था कि अनुभवी खिलाड़ियों को टीम से बाहर करने की प्रक्रिया अगले साल से शुरू होगी.

बीसीसीआई के एक वरिष्ठ सूत्र ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ' शिखर के भविष्य पर फैसला नयी चयन समिति के गठन के बाद ही होगा. लेकिन इस मामले में मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा के विचारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.'

तीसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं धवन

धवन के साथ सबसे बड़ी समस्या यह आ रही कि वह पारी की शुरुआत में तेजी से रन नहीं बना पा रहे है. 2019 विश्व कप से पहले उनका स्ट्राइक रेट 100 से अधिक का हुआ करता था जबकि 2022 में उनका स्ट्राइक रेट 75 का है. इशान किशन के दोहरे शतक और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने टीम को वह आक्रामक रवैया दिया जिसकी उसे जरूरत थी. उनकी इस पारी के बाद टीम प्रबंधन चयन मामलों पर विचार करने पर मजबूर होगा. ऐसे खिलाड़ी को बाहर करना आसान नहीं है जिसने 167 एकदिवसीय मैच खेले हैं.

वह मौजूदा टीम में रोहित (9454) और विराट कोहली (12471) के बाद भारत के तीसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी है. उनके नाम इस प्रारूप में 6793 रन दर्ज हैं. इस मामले में दूसरा विचार यह है कि धवन को श्रीलंका और न्यूजीलैंड के खिलाफ जनवरी में कम से कम छह एकदिवसीय मैचों में मौका दिया जाना चाहिये और फिर प्रदर्शन के आधार पर मार्च के अंत में होने वाली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला पर फैसला किया जाना चाहिये.

उम्रदराज खिलाड़ियों का नुकसान उठा रही है भारतीय टीम

इस मामले में शुबमन गिल को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. गिल पिछले छह महीने में भारत के सबसे निरंतर प्रदर्शन करने वाले एकदिवसीय बल्लेबाज रहे हैं. कुछ अजीब कारणों से चेतन शर्मा की अगुवाई वाली निवर्तमान समिति ने गिल को बांग्लादेश वनडे से आराम देने का फैसला किया. वह टी20 एशिया कप या विश्व कप टीम का हिस्सा नहीं थे इसके इसके बावजूद इस युवा बल्लेबाज को विश्राम देने का फैसला समझ से परे रहा. जुलाई में इंग्लैंड के खिलाफ एक टेस्ट के बाद भारत ने लंबे प्रारूप का कोई मैच भी नहीं खेला है. जब गिल और किशन जैसे बल्लेबाज टीम में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हों तो उन्हें ज्यादा देर तक बाहर रखना मुश्किल होगा.

टीम को धवन, रोहित और कोहली जैसे उम्रदराज खिलाड़ियों को एक ही एकदिवसीय एकादश रखने का खामियाजा उठाना पड़ रहा है. यह वैसे ही है जैसे रोहित, लोकेश राहुल और कोहली टी 20 अंतरराष्ट्रीय में शीर्ष तीन के बल्लेबाज हैं. कोहली पिछले कुछ समय से आक्रामक बल्लेबाजी की जगह एक छोर संभाले रखने को पसंद कर रहे हैं. ऐसे में दूसरे छोर के बल्लेबाज पर तेजी से रन बनाने का दबाव रहता है.

न्यूजीलैंड-श्रीलंका के खिलाफ हो सकती है आखिरी सीरीज

पिछले कुछ समय से रोहित भी आक्रामक बल्लेबाजी करने में विफल रहे है. धवन के लिए एक और समस्या यह है कि वह सिर्फ एकदिवसीय प्रारूप में खेल रहे है. पिछले चार साल में उन्होंने घरेलू क्रिकेट में भी ज्यादा मैच नहीं खेले है.

भारतीय टीम के एक पूर्व चयनकर्ता ने कहा, ' खेल के समय का कोई विकल्प नहीं है. क्या आपके कहने का मतलब है कि शिखर जनवरी के मध्य में अगले एक महीने तक बिना किसी मैच अभ्यास के वनडे खेलना शुरू करेंगे. यहां तक कि सूर्यकुमार यादव जैसा बल्लेबाज भी लय में रहने के लिए मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी मैच खेलने के लिए प्रतिबद्ध है.'

काफी बिजी है अगला कैलेंडर

भारतीय टीम का अगला कैलेंडर साल काफी व्यस्त है जिसकी शुरुआत तीन जनवरी को घरेलू श्रृंखला से होगी. टी20 अंतरराष्ट्रीय में कप्तान के रूप में रोहित के भविष्य और हार्दिक पांड्या के उत्थान पर बहुत उत्सुकता है. बीसीसीआई जनता की भावनाओं की जगह खुद के विवेक पर फैसला करता है ऐसे में फिलहाल हर प्रारूप में कप्तानी की बागडोर रोहित के पास ही रहती दिख रही है. तीन जनवरी से एक फरवरी के बीच भारत 29 दिनों के अंतराल में सीमित ओवरों के 12 मैच खेलेगा. इसमें न्यूजीलैंड के खिलाफ छह और श्रीलंका के खिलाफ छह मैच शामिल हैं. इस दौरान एकदिवसीय टीम में ऐसे खिलाड़ी हो सकते हैं जो टीम प्रबंधन को लगता है कि 2023 विश्व कप का हिस्सा होंगे.

बीसीसीआई के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, 'आपको रोहित को टी20 कप्तानी से हटाने की जरूरत क्यों है? क्या 2023 में टी20 अंतर्राष्ट्रीय सर्वोच्च प्राथमिकता हैं? नहीं. बीसीसीआई ने कभी भी जनता की भावनाओं के अनुसार काम नहीं किया. इसकी अपनी कार्यशैली है. हां आप, रोहित, विराट और लोकेश राहुल को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एकदिवसीय और टेस्ट श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कह सकते हैं जो इस समय अधिक महत्वपूर्ण हैं और हार्दिक को छह टी20 मैचों में नेतृत्व करने दें.’

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