दिन-ब-दिन इन जानवारो की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इस सम्बन्ध में हमारी टीम के द्वारा जब सांडों के आतंक से प्रभावित इन गांवो का निरीक्षण किया गया और प्रभावित लोगो से उनकी परेशानियों के बारे में पूछा गया तो मायंग निवासी गजेंद्रप्रताप सिंह ने बताया कि केवल हमारे ही गांव में ही नहीं बल्कि क्षेत्र के लगभग दर्जनो गांवों में इन साड़ों का भारी संख्या में प्रकोप है। ये केवल फसलों को चरकर बर्बाद ही नही करते है बल्कि कई सांड आदम खोर भी है जो क्षेत्र के आधा दर्जन लोगों को मारकर घायल भी कर चुके है। अगर ऐसा ही रहा तो कभी किसी दिन इन सांड़ो की वजह से भारी घटना भी घटित होकर लोगो के सामने आ जायेगा। साथ ही साथ औदहा निवासी ललन पांडेय, शम्भू पाण्डेय, अशोक पाण्डेय, मायंग गांव निवासी अमरदीप छुट्टा सांडों का आंतक सिंह, अंशु सिंह, ओमप्रकाश, छोटू छुट्टा सांडों का आंतक निषाद, जयकरन,

Battle of bulls

आवारा सांड़ ने हमलाकर ले ली वृद्ध महिला की जान

फैजाबाद। छुट्टा जानवरों ख़ासकर आवारा सांडों का आतंक अपने चरम पर है।बुधवार को छुट्टा सांड के हमले से एक वृद्ध महिला की दर्दनाक मौत हो गयी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ फैज़ाबाद जिले की बीकापुर क्षेत्र के गाँव सेवक मिश्र का पूरा में एक महिला रोज की तरह बुधवार की सुबह शौच के लिए घर से निकली।जहाँ रास्ते में बृद्धा के ऊपर एक आवारा सांड ने अचानक हमला बोल दिया।जिससे घटना स्थल पर ही बृद्धा की दर्दनाक मौत हो गयी ।घटना बीकापुर कोतवाली क्षेत्र के ग्राम पंचायत वहीउद्दीनपुर मजरे सेवक मिश्र का पुरवा की है।मृतका का नाम यशोदा देवी और उम्र तकरीबन 70 वर्ष बताया गया है। महिला मृतक राम छुट्टा सांडों का आंतक आधार मिश्र की पत्नी थी।घटना की जानकारी मिलने पर एसडीएम बृजेन्द्र दिवेदी और सीओ रुचि गुप्ता मौके पर पहुँचकर मौका मुआयना किया। https://kanvkanv.छुट्टा सांडों का आंतक com

एसिडिटी और कब्ज से हैं परेशान तो करें अजवायन का इस्तेमाल, तुरंत होगा फायदा

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जंगली पशुओं और छुट्टा सांडो से किसान परेशान

सुल्तानपुर। विकास क्षेत्र में जंगली पशुओं और छुट्टा सांडो का आतंक इस कदर कायम हो गया है कि किसान अपने हरे भरे फसलों को अपनी ही आंखो के सामने बर्बाद होते देख रहे है। भारी संख्या में जंगली सूअर, नीलगाय व सांडो का जमावड़ा हो गया है। देखा जाये तो किसानों के रोजी रोटी का एक मात्र साधन कृषि ही हैं, ऐसे मे दिन रात एक करके अपना खून पसीना निकाल कर खेती करते है और इनके महीनों की मेहनत जंगली, आवारा पशु रातों रात आकर फसलो को चरकर बर्बाद कर जाते है और किसान बेचारा हाथ मलकर रह जाता है। नतीजा यह है कि जहां एक तरफ पूरे दिन हाड़ कपा देने वाली ठण्ड में खेतो में काम करके लोग हताश हो जाते है तो वही दूसरी तरफ इन जंगली आवारा पशुओं की रखवाली में रातों की नींद भी हराम हो गयी है।

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